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ग्राउंड रिपोर्ट : बारिश होने से धान की रोपनी में जुटे किसान, बोले- जेब ढीली होने से बची

जिले में लगातार बारिश होने से किसान खुश हैं. उनका कहना है कि बारिश होने से खेतों में मर रहे बिचडों को संजीवनी मिल गई है.

धान की रोपनी में जुटे किसान
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Published : Jul 9, 2019, 8:11 PM IST

कटिहार: बिहार में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. मॉनसून आने के साथ ही जिले के सभी किसान अपने-अपने खेतों में धान की रोपनी करने में जुट गए हैं. सूबे में पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर खुशियां साफ दिखने लगी है.

किसानों में खुशी का माहौल
पिछले कुछ दिनों से सूबे के हर जिले में लगातार बारिश हो रही है. जहां दो-तीन दिन पहले तक किसानों के चेहरे मुरझाए हुए थे वहीं अब किसानों के चेहरे पर खुशियां दिखने लगी है. पुनर्वसु नक्षत्र के पहले दिन से ही आसमान से पानी बरस रहा है. इससे खेतों में मर रहे बिचरों को संजीवनी भी मिल गई है. किसान धान की रोपनी में जुट गए हैं.

बारिश होने से धान की रोपनी में जुटे किसान

बारिश नहीं होने से चिंतित थे किसान
जिले में लगभग 40% रोपनी हो चुकी है. किसान इस बात से चिंतित थे कि अगर पिछले साल की तरह इस बार भी बारिश नहीं हुई तो धान के फसल बर्बाद हो जाएंगे. ऐसे में किसानों को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ेगा. किसान बताते हैं इस बारिश के कारण उनकी जेब ढीली होने से बच गई.

डीजल और मोटर पंप से नहीं करना पड़ेगा पटवन
किसानों का कहना है कि अगर बारिश नहीं होती तो डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी करनी पड़ती. इसमें काफी पैसे खर्च होते हैं. लेकिन बारिश होने से धान की रोपनी में अभीतक एक रूपये भी खर्च नहीं हुआ है. आने वाले कुछ दिनों तक डीजल और मोटर पंप से धान के फसल की पटवन नहीं करनी पड़ेगी.

कटिहार: बिहार में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. मॉनसून आने के साथ ही जिले के सभी किसान अपने-अपने खेतों में धान की रोपनी करने में जुट गए हैं. सूबे में पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर खुशियां साफ दिखने लगी है.

किसानों में खुशी का माहौल
पिछले कुछ दिनों से सूबे के हर जिले में लगातार बारिश हो रही है. जहां दो-तीन दिन पहले तक किसानों के चेहरे मुरझाए हुए थे वहीं अब किसानों के चेहरे पर खुशियां दिखने लगी है. पुनर्वसु नक्षत्र के पहले दिन से ही आसमान से पानी बरस रहा है. इससे खेतों में मर रहे बिचरों को संजीवनी भी मिल गई है. किसान धान की रोपनी में जुट गए हैं.

बारिश होने से धान की रोपनी में जुटे किसान

बारिश नहीं होने से चिंतित थे किसान
जिले में लगभग 40% रोपनी हो चुकी है. किसान इस बात से चिंतित थे कि अगर पिछले साल की तरह इस बार भी बारिश नहीं हुई तो धान के फसल बर्बाद हो जाएंगे. ऐसे में किसानों को आर्थिक तंगी से भी गुजरना पड़ेगा. किसान बताते हैं इस बारिश के कारण उनकी जेब ढीली होने से बच गई.

डीजल और मोटर पंप से नहीं करना पड़ेगा पटवन
किसानों का कहना है कि अगर बारिश नहीं होती तो डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी करनी पड़ती. इसमें काफी पैसे खर्च होते हैं. लेकिन बारिश होने से धान की रोपनी में अभीतक एक रूपये भी खर्च नहीं हुआ है. आने वाले कुछ दिनों तक डीजल और मोटर पंप से धान के फसल की पटवन नहीं करनी पड़ेगी.

Intro:कटिहार

मानसून के दस्तक देने के साथ ही किसान अपने खेतों में धान की रोपनी को लेकर भीड़ गए हैं। सूबे में पिछले दो-तीन दिन से लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर खुशियां साफ दिखने लगी है। इस बारिश ने जहां किसानों के चेहरे पर खुशियां लाई है वहीं इनके जेब ढीले होने से भी बचेंगे।


Body:बिहार में मानसून के दस्तक देने के बाद लगातार सूबे के हर जिले में बारिश हो रही है। जहां दो-तीन दिन पहले तक किसानों के चेहरे मुरझाए हुए थे वही अब किसानों के चेहरे पर खुशियां दिखाई देने लगी है। पुनर्वसु नक्षत्र के पहले दिन से ही आसमान से पानी की बूंदे के रूप में सोना बरस रही हैं। इससे खेतों में मर रहे बिचडो को संजीवनी भी मिल गई है वही निराश किसानों के चेहरे खिल गए और वह मन मिजाज बनाकर खेतों में उतर गए हैं और धान की रोपनी में जुट गए हैं।

कटिहार के किसान जहां दो-तीन दिन पहले बारिश नहीं होने के कारण चिंतित थे वहीं अब उनके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ उठी है। जिले में लगभग 40% रोपनी हो चुकी है। लिहाजा किसान इस बात से चिंतित थे कि अगर बारिश नहीं हुई तो धान की फसल बर्बाद हो जाएंगे लेकिन मॉनसून ने ऐसी दस्तक दी की पिछले दो-तीन दिन से लगातार बारिश हो रही है जिससे उनके चेहरे खिलखिला उठा।

किसान बताते हैं इस बारिश के कारण उनके जेब ढीली होने से बच गए। बारिश नहीं होती तो डीजल और मोटर पंप के जरिए धान की रोपनी करनी पड़ती जिससे इनके जेब ज्यादा ढीली पड़ जाती। लेकिन बारिश की वजह से अभी तक धान के रोपनी करने में ₹1 भी खर्च पटवन में नहीं पड़ा है। लगातार बारिश से किसान अब इस बात को लेकर खुश हैं की अगले एक डेढ़ महीने तक डीजल और मोटर पंप से धान के फसल की पटवन नहीं करनी पड़ेगी।






Conclusion:सूखे की चपेट में पड़े किसानों को लगातार दो-तीन दिन से हो रही बारिश ने बड़ी राहत दी है। बिचड़ा गिराने का अंतिम नक्षत्र आर्द्रा का बीते हुए 24 घंटे नहीं हुए थे कि पुनर्वसु नक्षत्र ने किसानों को निहाल कर दिया। सूबे के लगभग 35% किसान अब तक बिचड़ा नहीं गिरा पाए थे लेकिन इस बारिश के वजह से वह इस काम में जुट गए हैं वहीं शेष 65% किसानों को बिचड़ा पटाने की समस्या से दूर हो गए हैं।

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