कटिहारः सरकार दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ढेर सारी सरकारी योजनाएं चला रखी हैं. लेकिन जिले में तानसेन के नाम से मशहूर दिव्यांग दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं से पूरी तरह वंचित हैं. उन्होंने बताया कि महज 400 रुपये मिल रहे मासिक पेंशन से बुढ़ापे में जीवन-यापन करना मुश्किल हो गया है. लिहाजा वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
बचपन में खो दी थी आंखों की रोशनी
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि 5 साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बाद इन्होंने संगीत में करियर बनाते हुए जीवन संवारने की कोशिश की. इन्होंने गुरु जॉर्ज से संगीत और गायकी की शिक्षा-दीक्षा ली. फिर धीरे-धीरे क्षेत्र में संगीत और गायकी के माध्यम से अपना जलवा बिखेरा और तानसेन के नाम से मशहूर हो गए. संगीत और गायकी के माध्यम से जो थोड़ा बहुत पैसा आता था. उससे घर परिवार चलता था. लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव में वह बेरोजगार हो गए हैं.
जलवा बिखेर रहे शिष्य
संगीत और गायकी में यह इतना निपुण हो गए कि इन्होंने कई लोगों को संगीत और गायकी की शिक्षा भी दी. आज पूरे भारत में इनके शिष्य संगीत और गायकी के माध्यम से इनका नाम रोशन कर रहे हैं. कई शिष्य दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में संगीत के माध्यम से जलवे बिखेर रहे हैं. वहीं, कई शिष्य T-SERIES में काम कर रहे हैं.
सरकार से लगाई गुहार
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि उन्हें सराकर की ओर से वृद्धा पेंशन योजना को छोड़कर किसी भी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. पिछले 20 साल से राशन भी नहीं मिला है. उन्होंने सरकार से 10 हजार रुपये प्रति माह पेंशन देने की मांग की है. इसके अलावा उनकी मांग है कि उन्हें हर महीने राशन मिले. जिससे उम्र के अंतिम पड़ाव में उनका जीवन आसानी से कट सके.