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कटिहारः 'दिव्यांग तानसेन' को सरकारी मदद की दरकार, बहुत ही मुश्किल में कट रही जिंदगी

दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि उन्हें सराकर की ओर से वृद्धा पेंशन योजना को छोड़कर किसी भी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. पिछले 20 साल से राशन भी नहीं मिला है. उन्होंने सरकार से 10 हजार रुपये प्रति माह पेंशन की मांग की है.

divyang tansen
दिव्यांग तानसेन
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Published : Dec 26, 2019, 6:50 PM IST

कटिहारः सरकार दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ढेर सारी सरकारी योजनाएं चला रखी हैं. लेकिन जिले में तानसेन के नाम से मशहूर दिव्यांग दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं से पूरी तरह वंचित हैं. उन्होंने बताया कि महज 400 रुपये मिल रहे मासिक पेंशन से बुढ़ापे में जीवन-यापन करना मुश्किल हो गया है. लिहाजा वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

बचपन में खो दी थी आंखों की रोशनी
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि 5 साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बाद इन्होंने संगीत में करियर बनाते हुए जीवन संवारने की कोशिश की. इन्होंने गुरु जॉर्ज से संगीत और गायकी की शिक्षा-दीक्षा ली. फिर धीरे-धीरे क्षेत्र में संगीत और गायकी के माध्यम से अपना जलवा बिखेरा और तानसेन के नाम से मशहूर हो गए. संगीत और गायकी के माध्यम से जो थोड़ा बहुत पैसा आता था. उससे घर परिवार चलता था. लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव में वह बेरोजगार हो गए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

जलवा बिखेर रहे शिष्य
संगीत और गायकी में यह इतना निपुण हो गए कि इन्होंने कई लोगों को संगीत और गायकी की शिक्षा भी दी. आज पूरे भारत में इनके शिष्य संगीत और गायकी के माध्यम से इनका नाम रोशन कर रहे हैं. कई शिष्य दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में संगीत के माध्यम से जलवे बिखेर रहे हैं. वहीं, कई शिष्य T-SERIES में काम कर रहे हैं.

katihar
पेंशन योजना कार्ड

सरकार से लगाई गुहार
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि उन्हें सराकर की ओर से वृद्धा पेंशन योजना को छोड़कर किसी भी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. पिछले 20 साल से राशन भी नहीं मिला है. उन्होंने सरकार से 10 हजार रुपये प्रति माह पेंशन देने की मांग की है. इसके अलावा उनकी मांग है कि उन्हें हर महीने राशन मिले. जिससे उम्र के अंतिम पड़ाव में उनका जीवन आसानी से कट सके.

कटिहारः सरकार दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ढेर सारी सरकारी योजनाएं चला रखी हैं. लेकिन जिले में तानसेन के नाम से मशहूर दिव्यांग दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं से पूरी तरह वंचित हैं. उन्होंने बताया कि महज 400 रुपये मिल रहे मासिक पेंशन से बुढ़ापे में जीवन-यापन करना मुश्किल हो गया है. लिहाजा वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

बचपन में खो दी थी आंखों की रोशनी
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि 5 साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इसके बाद इन्होंने संगीत में करियर बनाते हुए जीवन संवारने की कोशिश की. इन्होंने गुरु जॉर्ज से संगीत और गायकी की शिक्षा-दीक्षा ली. फिर धीरे-धीरे क्षेत्र में संगीत और गायकी के माध्यम से अपना जलवा बिखेरा और तानसेन के नाम से मशहूर हो गए. संगीत और गायकी के माध्यम से जो थोड़ा बहुत पैसा आता था. उससे घर परिवार चलता था. लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव में वह बेरोजगार हो गए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

जलवा बिखेर रहे शिष्य
संगीत और गायकी में यह इतना निपुण हो गए कि इन्होंने कई लोगों को संगीत और गायकी की शिक्षा भी दी. आज पूरे भारत में इनके शिष्य संगीत और गायकी के माध्यम से इनका नाम रोशन कर रहे हैं. कई शिष्य दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में संगीत के माध्यम से जलवे बिखेर रहे हैं. वहीं, कई शिष्य T-SERIES में काम कर रहे हैं.

katihar
पेंशन योजना कार्ड

सरकार से लगाई गुहार
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि उन्हें सराकर की ओर से वृद्धा पेंशन योजना को छोड़कर किसी भी योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. पिछले 20 साल से राशन भी नहीं मिला है. उन्होंने सरकार से 10 हजार रुपये प्रति माह पेंशन देने की मांग की है. इसके अलावा उनकी मांग है कि उन्हें हर महीने राशन मिले. जिससे उम्र के अंतिम पड़ाव में उनका जीवन आसानी से कट सके.

Intro:कटिहार

जिले में तानसेन के नाम से है मशहूर दिव्यांग दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा, 5 साल की उम्र में चली गई थी आंखों की रोशनी शास्त्रीय संगीत और गायकी से बनाया कैरियर, आज उनके शिष्य पूरे देश में कर रहे हैं इनका नाम रौशन, लेकिन दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा दिव्यांगों के लिए चलाए जा रहे हैं सरकारी योजनाओं से हैं वंचित, पिछले 20 वर्ष से नहीं उठा सके हैं अंत्योदय योजना का लाभ।




Body:Anchor_ सरकार दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेको सरकारी योजनाएं चला रहे हैं लेकिन कटिहार के दुर्गा स्थान निवासी दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा जिनकी आंखों की रोशनी 5 साल की उम्र में चली गई थी पेशे से संगीतकार है और जिले में तानसेन के नाम से मशहूर हैं आज वह सरकारी लाभ से पूरी तरह वंचित है। 400 रुपए मासिक पेंशन से जीवन चलाना मुश्किल है लिहाजा सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

V.O1_ 80 वर्षीय दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा जिनका 5 वर्ष की उम्र में आंखों की रोशनी चली गई थी तब उन्होंने संगीत को कैरियर बनाते हुए अपना जीवन संवारने की कोशिश किए। संगीत और गायकी के माध्यम से थोड़ा बहुत पैसा आता उससे घर परिवार चलता था लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव में अब बेरोजगार हो गए हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। संगीत और गायकी की शिक्षा दीक्षा अंग्रेज गुरु जॉर्ज से ली। फिर धीरे-धीरे अपने ही क्षेत्र में संगीत और गायकी के माध्यम से अपना जलवा दिखाने लगे और जिले में तानसेन के नाम से मशहूर हो गए। इतना ही नहीं इनके शिष्य आज पूरे भारत में संगीत और गायकी के माध्यम से इनका नाम रोशन कर रहे हैं। कोई शिष्य दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में संगीत के माध्यम से जलवा बिखेर रहे हैं तो कोई t-series में काम कर रहा है।

Byte1_दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा
दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा बताते हैं 5 साल की उम्र में दोनों आंखों की रोशनी जाने के बाद शास्त्रीय संगीत के माध्यम से आगे बढ़ना शुरू किया बाद में अंग्रेज गुरु जॉर्ज से संगीत की शिक्षा दीक्षा ली। गायकी और संगीत के माध्यम से ही घर परिवार चलाते रहें फिर बच्चों को संगीत का ज्ञान दिया जो आज पूरे भारत में इनका नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने बताया सरकार की ओर से सिर्फ ₹400 मासिक पेंशन मिलता है। दिव्यांगों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ इन तक नहीं पहुंच पाता लिहाजा उम्र के इस अंतिम पलों में जीवन यापन करना कठिन है।


Conclusion:केंद्र सरकार और बिहार सरकार दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेकों सरकारी योजनाएं चला रही है लेकिन इन योजनाओं का जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। दरअसल जिले में तानसेन के नाम से मशहूर दिव्यांग दुर्गा प्रसाद विश्वकर्मा पिछले 20 वर्षों से सरकार के अंतोदय योजना के लाभ से वंचित है। साथ ही साथ सरकार के पेंशन योजना को छोड़ कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में सरकार के दिव्यांगों के प्रति झूठे वादे ढकोसला साबित हो रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए सरकार का नजरिया ऐसे झूठे वादे से अलग हटकर उन तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने का काम करें जिससे उनका जीवन बेहतर हो सके।
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