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क्या कटिहार में बीजेपी पर भारी पड़ी जदयू?

बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रभूषण ठाकुर बताते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव में कटिहार के 5 विधानसभा पर उन्होंने डिफिट खाया था. लेकिन इस बार 5 विधानसभा पर बढ़त मिली यह सब मोदी मैजिक का कारनामा है.

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Published : May 26, 2019, 12:02 AM IST

कटिहार:लोकसभा चुनाव का नतीजा आ चुका है. कटिहार संसदीय सीट से जदयू के प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद चुने गए हैं. लेकिन इस चुनाव परिणाम ने कई ऐसे अनसुलझे सवाल खड़े कर डाले हैं जिसका उत्तर ढूंढना मुश्किल साबित हो रहा है. जदयू- बीजेपी की जोड़ी में जनता की नजरों में कौन अच्छा है. यह सवाल भी इसी अनसुलझे सवालों में से एक है.

कटिहार से खास रिपोर्ट


हम बात कर रहे हैं चुनाव परिणाम के विधानसभा वार रूझानो की. 2014 के लोकसभा चुनाव में कटिहार संसदीय सीट पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था. बीजेपी को कटिहार सदर विधानसभा को छोड़कर किसी भी विधानसभा में बढ़त नहीं मिली थी. लेकिन ठीक 5 साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी परंपरागत सीट मानी जाने वाली कटिहार संसदीय सीट को सीट शेयरिंग के तहत जदयू को दे दिया.

जदयू ने बीजेपी से अच्छा किया प्रदर्शन
जदयू ने चुनाव लड़ा तो पहली बार में लोकसभा का रास्ता तय हो गया. क्षेत्र के 6 में से 5 विधानसभा पर जदयू को लगातार बढ़त मिलना अचंभित करने वाला है, क्योंकि जिस परंपरागत सीट को बीजेपी अपना क्षेत्र बताती है. उस सीट पर 2014 के चुनाव में बीजेपी बुरी तरह से मात खाई थी और 5 विधानसभा में पिछड़ गई थी. वहीं 2019 में जदयू ने 5 विधानसभा सीट पर बढ़त ली और जीत दर्ज की.

बीजेपी बता रही मोदी मैजिक
अब सवाल है कि क्या मतदाताओं के बीच जदयू पहली पसंद है. बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रभूषण ठाकुर बताते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव में कटिहार के 5 विधानसभा पर उन्होंने डिफिट खाया था. लेकिन इस बार 5 विधानसभा पर बढ़त मिली यह सब मोदी मैजिक का कारनामा है. लेकिन बीजेपी और जदयू के बीच मतदाताओं में कौन अच्छा है इस सवाल पर जनाब पल्ला झाड़ने लगे.

जदयू का क्या है कहना
वहीं, दूसरी और जदयू के युवा प्रदेश महासचिव आशीष बलिदानी बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस जीत के पीछे बहुत बड़ा योगदान है. नीतीश कुमार के किए गए विकास की गंगा के वजह से पूरे सूबे में एनडीए को महा बढ़त मिली है. कटिहार लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा में लीड करना भी नीतीश के डेवलपमेंट फार्मूला का हिस्सा है. लेकिन इस सवाल पर जदयू नेता भी चुप हो जाते हैं कि मतदाताओं के बीच जेडीयू और बीजेपी में कौन पार्टी अच्छी है. वो बिहार में मोदी फैक्टर की जगह नीतीश फैक्टर को जीत की वजह बताते हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव में पड़ेगा इसका असर
भले ही बिहार के 39 सीट एनडीए के झोली में चली गयी हो. लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के आधार पर जदयू बीजेपी के तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें. तो सचमुच यह कहना मुश्किल होगा कि जेडीयू और बीजेपी के बीच कौन अच्छा है. लेकिन इतना तो निश्चित ही कहा जा सकता है कि ठीक 1 साल के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव है. यह चुनाव परिणाम निश्चित हीं बिहार में उम्मीदवार चयन और सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों को आपस में सोचने पर मजबूर कर देगा.

कटिहार:लोकसभा चुनाव का नतीजा आ चुका है. कटिहार संसदीय सीट से जदयू के प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद चुने गए हैं. लेकिन इस चुनाव परिणाम ने कई ऐसे अनसुलझे सवाल खड़े कर डाले हैं जिसका उत्तर ढूंढना मुश्किल साबित हो रहा है. जदयू- बीजेपी की जोड़ी में जनता की नजरों में कौन अच्छा है. यह सवाल भी इसी अनसुलझे सवालों में से एक है.

कटिहार से खास रिपोर्ट


हम बात कर रहे हैं चुनाव परिणाम के विधानसभा वार रूझानो की. 2014 के लोकसभा चुनाव में कटिहार संसदीय सीट पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था. बीजेपी को कटिहार सदर विधानसभा को छोड़कर किसी भी विधानसभा में बढ़त नहीं मिली थी. लेकिन ठीक 5 साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी परंपरागत सीट मानी जाने वाली कटिहार संसदीय सीट को सीट शेयरिंग के तहत जदयू को दे दिया.

जदयू ने बीजेपी से अच्छा किया प्रदर्शन
जदयू ने चुनाव लड़ा तो पहली बार में लोकसभा का रास्ता तय हो गया. क्षेत्र के 6 में से 5 विधानसभा पर जदयू को लगातार बढ़त मिलना अचंभित करने वाला है, क्योंकि जिस परंपरागत सीट को बीजेपी अपना क्षेत्र बताती है. उस सीट पर 2014 के चुनाव में बीजेपी बुरी तरह से मात खाई थी और 5 विधानसभा में पिछड़ गई थी. वहीं 2019 में जदयू ने 5 विधानसभा सीट पर बढ़त ली और जीत दर्ज की.

बीजेपी बता रही मोदी मैजिक
अब सवाल है कि क्या मतदाताओं के बीच जदयू पहली पसंद है. बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रभूषण ठाकुर बताते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव में कटिहार के 5 विधानसभा पर उन्होंने डिफिट खाया था. लेकिन इस बार 5 विधानसभा पर बढ़त मिली यह सब मोदी मैजिक का कारनामा है. लेकिन बीजेपी और जदयू के बीच मतदाताओं में कौन अच्छा है इस सवाल पर जनाब पल्ला झाड़ने लगे.

जदयू का क्या है कहना
वहीं, दूसरी और जदयू के युवा प्रदेश महासचिव आशीष बलिदानी बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस जीत के पीछे बहुत बड़ा योगदान है. नीतीश कुमार के किए गए विकास की गंगा के वजह से पूरे सूबे में एनडीए को महा बढ़त मिली है. कटिहार लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा में लीड करना भी नीतीश के डेवलपमेंट फार्मूला का हिस्सा है. लेकिन इस सवाल पर जदयू नेता भी चुप हो जाते हैं कि मतदाताओं के बीच जेडीयू और बीजेपी में कौन पार्टी अच्छी है. वो बिहार में मोदी फैक्टर की जगह नीतीश फैक्टर को जीत की वजह बताते हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव में पड़ेगा इसका असर
भले ही बिहार के 39 सीट एनडीए के झोली में चली गयी हो. लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के आधार पर जदयू बीजेपी के तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें. तो सचमुच यह कहना मुश्किल होगा कि जेडीयू और बीजेपी के बीच कौन अच्छा है. लेकिन इतना तो निश्चित ही कहा जा सकता है कि ठीक 1 साल के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव है. यह चुनाव परिणाम निश्चित हीं बिहार में उम्मीदवार चयन और सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों को आपस में सोचने पर मजबूर कर देगा.

Intro:कटिहार

लोकसभा चुनाव का नतीजा आ चुका है और कटिहार संसदीय सीट से जदयू के प्रत्याशी दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद चुने गए हैं। लेकिन इस चुनाव परिणाम ने कई ऐसे अनसुलझे सवाल खड़े कर डाले हैं जिसका उत्तर ढूंढना मुश्किल साबित हो रहा है। जदयू- बीजेपी की जोड़ी में जनता की नजरों में कौन अच्छा है यह सवाल भी इसी अनसुलझे सवालों में से एक है।


Body:हम बात कर रहे हैं चुनाव परिणाम के विधानसभा वार रूझानो की। 2014 के लोकसभा चुनाव में कटिहार संसदीय सीट पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था और उन्हें कटिहार सदर विधानसभा को छोड़कर किसी भी विधानसभा में बढ़त नहीं मिली थी। लेकिन ठीक 5 साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी ने अपनी परंपरागत सीट माने जाने वाले कटिहार संसदीय सीट को सीट शेयरिंग के तहत जदयू को दे दिया और जदयू ने जब चुनाव लड़ा तो पहली बार में लोकसभा का रास्ता तय हो गया। 6 में से 5 विधानसभा पर जदयू को लगातार बढ़त मिलना अचंभित करने वाला है क्योंकि जिस परंपरागत सीट को बीजेपी अपना क्षेत्र बताती है और उस सीट पर 2014 के चुनाव में बीजेपी बुरी तरह से मात खाई थी और 5 विधानसभा में पिछड़ गई थी। वहीं 2019 में 5 विधानसभा सीट जदयू को बढ़त के रूप में मिली और जीत दर्ज हुई।

अब सवाल है कि क्या मतदाताओं के बीच जेडीयू पहली पसंद है। बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्र भूषण ठाकुर बताते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव में कटिहार के 5 विधानसभा पर उन्होंने डिफिट खाया था लेकिन इस बार 5 विधानसभा पर बढ़त मिली यह सब मोदी मैजिक का कारनामा है। लेकिन बीजेपी और जदयू के बीच मतदाताओं में कौन अच्छा है इस सवाल पर जनाब पल्ला झाड़ने लगते हैं।


Conclusion:वहीं दूसरी और जदयू के युवा प्रदेश महासचिव आशीष बलिदानी बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस जीत के पीछे बहुत बड़ा योगदान है और उनके द्वारा किए गए विकास की गंगा के वजह से पूरे सूबे में एनडीए को महा बढ़त मिली है। कटिहार लोकसभा क्षेत्र के पांच विधानसभा में लीड करना भी नीतीश डेवलपमेंट फार्मूला का हिस्सा है। लेकिन इस सवाल पर जदयू नेता भी चुप हो जाते हैं कि मतदाताओं के बीच जेडीयू और बीजेपी में कौन पार्टी अच्छी है। और बिहार में मोदी फैक्टर की जगह नीतीश फैक्टर को जीत का वजह बताते हैं।

जीत भले ही दर्ज हो गई हो और बिहार के 39 सीट एनडीए के झोली में चला गया हो लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के जदयू बीजेपी के तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें तो सचमुच यह कहना मुश्किल होगा कि जेडीयू और बीजेपी के बीच कौन अच्छा है। लेकिन हम तो इतना निश्चित ही कहेंगे कि ठीक 1 साल के बाद बिहार विधानसभा का चुनाव है। यह चुनाव परिणाम निश्चित हीं बिहार में उम्मीदवार चयन और सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों को आपस में सोचने पर मजबूर कर देगा।
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