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कटिहार: 22 साल तक की देश की सेवा, अब रिटायर होने के बाद कर रहे आम की बागवानी - lakhibagh ion jamnagar

कर्नल उदय शंकर में आम के बागानों को नए शक्ल देने के लिए जिले के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में संपर्क किया. इसके बाद वैज्ञानिक तरीके से बागवानी की. अब पेड़ नए मंजर के साथ पल्लवित हो रहे हैं. आगामी सालों में ये फल भी देने लगेंगे.

रिटायर्ट कर्नल उदय शंकर वर्मा
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Published : Aug 22, 2019, 11:15 AM IST

कटिहार: 22 वर्षों तक भारतीय सेना में नौकरी कर देश की रक्षा करने वाले उदय शंकर वर्मा रिटायरमेंट के बाद अपने सपनों को साकार करने में लगे हैं. वह अपने गांव हफलागंज में वैज्ञानिक तरीके से आम की बागवानी कर रहे हैं. इसके अलावा उदय शंकर मखाना, धान, गेहूं, मक्का और सब्जियों की भी खेती करते हैं.

कर्नल उदय शंकर में आम के बागानों को नए शक्ल देने के लिए जिले के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में संपर्क किया. इसके बाद वैज्ञानिक तरीके से बागान को फलों के उत्पादन के लिए तैयार किया. उन्होंने आम के पुराने पेड़ों को जड़ से 8 फीट ऊपर पूरी तरह से काट डाला. अब यह पेड़ नए मंजर के साथ पल्लवित हो रहे हैं. आगामी सालों में ये फल भी देने लगेंगे.

वैज्ञानिक तरीके से आम की बागवानी
उन्होंने कहा कि पैतृक संपत्ति को सुरक्षित के साथ उपजाऊ बनाना लोगों का दायित्व होता है. यही वजह है कि वो दिल्ली में अपना मकान छोड़कर गांव आकर खेती कर रहे हैं. वह मेट्रो लाइफ के चकाचौंध से दूर किसानी जिंदगी को अपनाकर काफी खुश हैं. उनका एक सपना है. वह अपने गांव को रत्नागिरी और जूनागढ़ में तब्दील करना चाहते हैं जहां भारी मात्रा में आम का उत्पादन होता है.

अपने गांव को जामनगर बनाने का है सपना
कर्नल उदय शंकर ने सेना से रिटायर होने के बाद रिलायंस कंपनी में 18 वर्ष गुजारा. वह इस इलाके को जामनगर में भी तब्दील करना चाहते हैं क्योंकि जामनगर में रिलायंस कंपनी ने लखीबाग लगाया है जहां तकरीबन डेढ़ लाख पेड़ लगाएं हैं. इनमें 123 किस्म के आम के पेड़ हैं. उनका कहना है कि बगीचे की हमेशा देर रेख करनी चाहिय़े तभी वो हर साल फल देगा.

1980 में लिया था सेना में दाखिला
बता दें कि उदय शंकर ने हफलागंज गांव में प्रारंभिक शिक्षा के बाद सैनिक स्कूल से मैट्रिक तक की शिक्षा हासिल की. 1980 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी में तालीम हासिल करने के बाद भारतीय सेना ज्वाइन किया था. उसके बाद विभिन्न पदों पर रहते हुए वो कर्नल पद से रिटायर हुए.

कटिहार: 22 वर्षों तक भारतीय सेना में नौकरी कर देश की रक्षा करने वाले उदय शंकर वर्मा रिटायरमेंट के बाद अपने सपनों को साकार करने में लगे हैं. वह अपने गांव हफलागंज में वैज्ञानिक तरीके से आम की बागवानी कर रहे हैं. इसके अलावा उदय शंकर मखाना, धान, गेहूं, मक्का और सब्जियों की भी खेती करते हैं.

कर्नल उदय शंकर में आम के बागानों को नए शक्ल देने के लिए जिले के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में संपर्क किया. इसके बाद वैज्ञानिक तरीके से बागान को फलों के उत्पादन के लिए तैयार किया. उन्होंने आम के पुराने पेड़ों को जड़ से 8 फीट ऊपर पूरी तरह से काट डाला. अब यह पेड़ नए मंजर के साथ पल्लवित हो रहे हैं. आगामी सालों में ये फल भी देने लगेंगे.

वैज्ञानिक तरीके से आम की बागवानी
उन्होंने कहा कि पैतृक संपत्ति को सुरक्षित के साथ उपजाऊ बनाना लोगों का दायित्व होता है. यही वजह है कि वो दिल्ली में अपना मकान छोड़कर गांव आकर खेती कर रहे हैं. वह मेट्रो लाइफ के चकाचौंध से दूर किसानी जिंदगी को अपनाकर काफी खुश हैं. उनका एक सपना है. वह अपने गांव को रत्नागिरी और जूनागढ़ में तब्दील करना चाहते हैं जहां भारी मात्रा में आम का उत्पादन होता है.

अपने गांव को जामनगर बनाने का है सपना
कर्नल उदय शंकर ने सेना से रिटायर होने के बाद रिलायंस कंपनी में 18 वर्ष गुजारा. वह इस इलाके को जामनगर में भी तब्दील करना चाहते हैं क्योंकि जामनगर में रिलायंस कंपनी ने लखीबाग लगाया है जहां तकरीबन डेढ़ लाख पेड़ लगाएं हैं. इनमें 123 किस्म के आम के पेड़ हैं. उनका कहना है कि बगीचे की हमेशा देर रेख करनी चाहिय़े तभी वो हर साल फल देगा.

1980 में लिया था सेना में दाखिला
बता दें कि उदय शंकर ने हफलागंज गांव में प्रारंभिक शिक्षा के बाद सैनिक स्कूल से मैट्रिक तक की शिक्षा हासिल की. 1980 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी में तालीम हासिल करने के बाद भारतीय सेना ज्वाइन किया था. उसके बाद विभिन्न पदों पर रहते हुए वो कर्नल पद से रिटायर हुए.

Intro:कटिहार

22 वर्षों तक भारतीय सेना में नौकरी कर देश की सीमा का रक्षा करने वाले उदय शंकर वर्मा रिटायरमेंट के बाद अब जय जवान जय किसान के सपनों को साकार करने में लगे हैं। रिटायरमेंट के बाद अब गांव के माटी का कर्ज उतार रहे हैं और वैज्ञानिक तरीके से आम के बागानों का प्रबंधन कर जुटे हैं कटिहार के हफलागंज गांव को रत्नागिरी में तब्दील करने के मुहिम में।


Body:दरअसल यह पूरा वाक्य जिले से 15 किलोमीटर दूर है हफलागंज गांव का है जहां आम के बगीचे को दिन रात मेहनत कर एक नए शक्ल देने में जुटे हैं रिटायर्ड कर्नल उदय शंकर। कर्नल उदय शंकर 1980 में सेना के सेकंड लेफ्टिनेंट में ज्वाइन किया था उसके बाद विभिन्न पदों पर रहते हुए कर्नल पद से रिटायर हुए। हफलागंज गांव में प्रारंभिक शिक्षा के बाद सैनिक स्कूल से मैट्रिक तक की शिक्षा हासिल की उसके बाद वह इंडियन मिलिट्री एकेडमी में तालीम हासिल करने के बाद भारतीय सेना ज्वाइन किया था। 22 साल की फौज की नौकरी के बाद अपने घर लौटे तो अपने पैतृक संपत्ति में आम के बागानों को काफी बुरे हालात में देखें और यहीं से शुरू हो गया कर्नल उदय शंकर का किसानी जीवन।

कर्नल उदय शंकर में आम के बागानों को नए शक्ल देने के लिए जिले के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में संपर्क किया और उसके बाद वैज्ञानिक तरीके से बागानों से फलों का उत्पादन के लिए तैयार किया। उसके लिए उन्होंने आम के पुराने पेड़ों को जड़ से 8 फीट ऊपर पूरी तरह से काट डाला और कटिंग ऐसी थी की कटे हुए जगह पर पानी नहीं जमा हो सकता जो कि इस कटे पेड़ों के सूखने में सहायक बनता। कर्नल उदय शंकर बताते हैं इस तरह से उन्होंने कई पेड़ों को काटा और अब यह पेड़ नए मंजर के साथ पल्लवित हो रहा है और आगामी सालों में फलों का उत्पादन भी देने लगेगा।

उन्होंने बताया गांव के माटी का काफी कर्ज होता है और आदमी नौकरी के सिलसिले में बाहर चले जाते हैं और यादें गांव से जुड़ी रहती है। पैतृक संपत्ति को सुरक्षित के साथ उपजाऊ बनाना भी लोगों की दायित्व होता है और यही वजह है कि दायित्व निर्वहन के लिए वह दिल्ली ऐसे शहर में अपना मकान होने के बावजूद कटिहार ऐसे रिमोट इलाके के हफलागंज गांव में आकर किसानी कर रहे हैं। गांव के मिट्टी के सुगंध ने यहां तक खींच लाई है और फौज का एक अनुशासित जिंदगी गुजारने के बाद किसानी जिंदगी का मजा उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर आदमी को गांव से जुड़ना चाहिए और किसानी करनी चाहिए।


Conclusion:कर्नल उदय शंकर शर्मा मेट्रो लाइफ के चकाचौंध से दूर किसानी जिंदगी को अपनाकर काफी खुश हैं और उनका एक सपना भी है कि वह अपने गांव को रत्नागिरी और जूनागढ़ में तब्दील करना चाहते हैं जहां कि आम बड़े मात्रा में उत्पादन होता है। कर्नल उदय शंकर सेना से रिटायर होने के बाद रिलायंस कंपनी में 18 वर्ष गुजारे और वह इस इलाके को जामनगर में भी तब्दील करना चाहते हैं क्योंकि जामनगर में रिलायंस कंपनी ने डेढ़ लाख पेड लगाएं हैं जिसमें 123 किस्म के आम के पेड़ हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कुशल वैज्ञानिक तरीके से कटिहार का यह कर्नल आमबाग अपने शौहरत और मुकाम हासिल करेगा।
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