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कटिहारः कबाड़ में तब्दील हो रहा जिम का सामान, बरामदे में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे - Rampur Middle School

बता दें कि पूर्णिया से जेडीयू कोटा से लोकसभा सदस्य संतोष कुशवाहा ने एमपी फंड से 2016-17 में बीस लाख रूपये की राशि से बच्चों की सेहत सुधारने के लिये जिम का सामान भेजा  था. जिसे कटिहार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर विद्यालय के एक कमरे में रखवा दिया गया था. लेकिन आज तक इसका उपयोग नहीं किया गया.

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Published : Dec 12, 2019, 2:14 PM IST

कटिहारः जिले के रामपुर मध्य विद्यालय के बच्चे क्लासरूम होने के बावजूद बरामदे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दरअसल, पूर्णिया के जेडीयू सांसद ने एमपी फंड से बच्चों के लिए जिम का सामान उपलब्ध कराया था. जिसे क्लासरूम में रख दिया गया. अब हालात ऐसे हैं कि बच्चे न तो जिम का सामान उपयोग कर पा रहे हैं, न ही क्लासरूम में पढ़ाई कर पा रहे हैं.

बरामदे में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे
बता दें कि पूर्णिया से जेडीयू कोटा से लोकसभा सदस्य संतोष कुशवाहा ने एमपी फंड से 2016-17 में बीस लाख रुपये की राशि से बच्चों की सेहत सुधारने के लिये जिम का सामान भेजा था. जिसे कटिहार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर विद्यालय के एक कमरे में रखवा दिया गया था. लेकिन आज तक इसका उपयोग नहीं किया गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

जिम का सामान हो रहा कबाड़ में तब्दील
प्राचार्य मो ओबैदुल्लाह भी मानते हैं कि जिम का सामान क्लासरूम में रखने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. बच्चे ठंड के मौसम में बाहर बरामदे पर पढ़ने को मजबूर हो गये. इनका कहना है कि स्कूल में जीम का सामान तो ला दिया गया है लेकिन आज तक गेम टीचर की पोस्टिंग नहीं हुई. लिहाजा लाखों का सामान यूं ही कबाड़ में तब्दील हो रहा हैं.

कटिहारः जिले के रामपुर मध्य विद्यालय के बच्चे क्लासरूम होने के बावजूद बरामदे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दरअसल, पूर्णिया के जेडीयू सांसद ने एमपी फंड से बच्चों के लिए जिम का सामान उपलब्ध कराया था. जिसे क्लासरूम में रख दिया गया. अब हालात ऐसे हैं कि बच्चे न तो जिम का सामान उपयोग कर पा रहे हैं, न ही क्लासरूम में पढ़ाई कर पा रहे हैं.

बरामदे में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे
बता दें कि पूर्णिया से जेडीयू कोटा से लोकसभा सदस्य संतोष कुशवाहा ने एमपी फंड से 2016-17 में बीस लाख रुपये की राशि से बच्चों की सेहत सुधारने के लिये जिम का सामान भेजा था. जिसे कटिहार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर विद्यालय के एक कमरे में रखवा दिया गया था. लेकिन आज तक इसका उपयोग नहीं किया गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

जिम का सामान हो रहा कबाड़ में तब्दील
प्राचार्य मो ओबैदुल्लाह भी मानते हैं कि जिम का सामान क्लासरूम में रखने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. बच्चे ठंड के मौसम में बाहर बरामदे पर पढ़ने को मजबूर हो गये. इनका कहना है कि स्कूल में जीम का सामान तो ला दिया गया है लेकिन आज तक गेम टीचर की पोस्टिंग नहीं हुई. लिहाजा लाखों का सामान यूं ही कबाड़ में तब्दील हो रहा हैं.

Intro:कटिहार

संसद के अंदर क्षेत्रों के विकास के लिये हर दल के नेता सरकार से अधिक से अधिक राशि की माँग करते हैं ताकि इलाके में विकास की गाथा लिखी जा सकें लेकिन लोकसभा सदस्यों को हर वर्ष मिलने वाली साँसद निधि के पैसे का कितना सदुपयोग होता हैं , इसपर कोई सवाल नहीं करता।

Body:आइये, आज हम आपको एक बानगी दिखाते हैं जहाँ पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के जेडीयू साँसद के एमपी फण्ड से कटिहार जिले के रामपुर मध्य विद्यालय में बीस लाख रूपये से जिम के सामान उपलब्ध कराये गये लेकिन हैरत की बात यह हैं कि एमपी फण्ड के लाखों के जिम के सामान का एक दिन भी उपयोग नहीं हुआ। ना ही किसी बच्चे ने सेहत दुरस्त करने के लिये इसपर वर्जिश ही किया। नतीजा यह हुआ कि एक औऱ लाखों का यह जिम का सामान कबाड़ में तब्दील हो रहा हैं वहीं दुसरी ओर जिम के सामान को चोरों से महफूज रखने के चक्कर में स्कुल प्रशासन का एक कमरा इंगेज हो गया और जिस कारण कमरे के दिक्कत में मासूम ठंड के इस मौसम में बरामदे पर पढ़ने को मजबूर हैं।

इस दृश्य को ज़रा गौर से देखिये, यह कोई खेल सामग्री विक्रेता के दूकान की गोदाम नहीं बल्कि कटिहार के रामपुर मध्य विद्यालय का क्लासरूम हैं। यूँ तो इस क्लासरूम का निर्माण नौनिहालों को पढ़ाने के लिये किया गया था लेकिन नेताजी ने इसकी भी वाट लगा डाली। दरअसल , पूर्णिया से जेडीयू कोटा से लोकसभा सदस्य संतोष कुशवाहा के एमपी फंड से 2016 - 17 में बीस लाख रूपये की राशि से यहाँ बच्चों की सेहत सुधारने के लिये जिम का सामान भेजा गया जिसे कटिहार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर विद्यालय के एक कमरे में तत्काल रखवा दिया गया जो आजतक उसी कमरे में यूँ ही धूल फाँक रहा हैं।

प्राचार्य मो ओबैदुल्लाह बताते हैं कि इस पुरे वाकये का प्रभाव यह हुआ कि स्कुल का एक क्लासरूम यूँ ही इंगेज हो गया और बच्चे ठंड के मौसम में बाहर बरामदे पर पढ़ने को मजबूर हो गये। आजतक स्कुल में गेम टीचर की पोस्टिंग नहीं हुई और दूसरे कोई शिक्षक को इसका ज्ञान नहीं, जो बच्चों में बाँट सके। लिहाजा लाखों का सामान यूँ ही कबाड़ में तब्दील हो रहा हैं।

स्कुल के प्राचार्य बताते हैं कि यदि कभी - कभार मन में आया तो पोस्टेड एक टीचर इसपर हाथ फेर डाली, वह भी कोई ट्रेंड ट्रेनर नहीं, बस दिल बहलाने के लिये। शिक्षकों के पास इस लाखों के जिम के सामान के सुरक्षा की भी चिन्ता हैं कि कहीं चोरों ने हाथ साफ़ कर लिया तो अपनी भी शांतिपूर्ण सरकारी नौकरी में एक नयी समस्या की नौबत ना आ जाये, लिहाजा बेहतर हैं कि कमरे में सदा के लिये ताला बन्द रहें, वहीं अच्छा हैं।

Conclusion:अब सवाल उठता हैं कि बीस लाख रूपये की लागत से सिर्फ एक स्कुल में साँसद निधि से बच्चों के लिये जिम का सामान उपलब्ध कराया गया। इस तरह के कई स्कुल सदस्यों के लोकसभा क्षेत्र में होते हैं जहाँ यह उपलब्ध कराये जाते हैं और सबका कमोवेश यही हाल हैं। दरअसल, अंदरखाने की बात यह हैं कि यह भारी - भरकम कमीशन का खेल हैं जिसमें बच्चों के नाम पर दस का सामान पच्चीस रूपये में बिल दिखा निकाला जाता हैं और इसमें बड़ा नेक्सस होता हैं। बच्चा सामान से खेले या नहीं खेले, इसकी किसी को चिंता नहीं। सामान की आपूर्ति घटिया या बढ़िया सामान कबाड़ में तब्दील हो जाये, किसी को इसकी चिंता नहीं। बस कमीशन से पॉकेट गर्म होता रहें, बच्चे पढ़े, खेले - कूदे, किसको फ़िक्र हैं।
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