ETV Bharat / state

बाढ़ ने मारी पशुओं के पेट पर लात, चारा संकट बढ़ने से मवेशी पालक परेशान

author img

By

Published : Jul 17, 2019, 4:30 AM IST

बिहार में आई बाढ़ से लोग त्राहिमाम हैं. लोगों के सामने कई तरह की समस्याएं पनप रही हैं. अब खास तौर से पशुपालकों की परेशानी बढ़ने लगी है. पशुओं का चारा मिलना मुश्किल होता जा रहा है.

cattle ranchers

कटिहार: बिहार के 13 जिलों में बाढ़ के पानी से लाखों लोग घिर चुके हैं. कटिहार में नेपाल से छोड़े गये पानी से महानन्दा नदी उफान पर है. निचले इलाके के लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. इन सबके सामने एक और समस्या आकर खड़ी हो गई है पशुओं के चारे की.

बाढ़ से लोग बेहाल

बाढ़ प्रभावित लोग किसी तरह स्वयं की भूख तो मिटा रहे हैं लेकिन पशुओं की जान बचाना अब मुश्किल हो रहा है. कटिहार की महानन्दा नदी के तटबन्ध का यह दृश्य बड़ा ही भयावह है. नेपाल से पानी की शक्ल में आई आफत ने पूरा इलाका जलमग्न कर दिया है.

जलमग्न हुए कई गांव
खेत-खलिहात समेत घर भी तबाह हो चुके हैं. लोगों ने किसी तरह बांध पर पहुंचकर झाड़-फानूस से झोपड़े बनाए जिसमें किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं. लेकिन यहां भी समस्याओं ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और भूख बनकर सामने खड़ी हो गईं. लोग किसी तरह खुद के लिए खाने की जुगाड़ कर रहे हैं, लेकिन पशुओं का चारा जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो रहा है. चारा संकट धीरे-धीरे गहराता ही जा रहा है.

पशुओं पर पड़ी पेट की मार
पशुओं को हरी घास मिल नहीं रही. लोग इस आशा में बैठे हैं कि पानी का लेवल कम हो तो बाजार से सूखा चारा ही उपलब्ध हो जाए. स्थानीय ग्रामीण गांधी शर्मा बतातें हैं कि मवेशियों का चारा जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीण मिट्ठू शर्मा बताते हैं कि बहुत दिक्कत है. हरी घास मिलती नहीं और सूखा चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

सरकार से मदद की आस
ग्रामीण आसमां देवी बताती हैं कि हर साल बाढ़ तबाही मचाती है. 2007 से ही उसका परिवार विस्थापित हो गया है लेकिन सरकारी मदद अब तक मय्यसर नहीं हुई. कटिहार जिले के 16 में से आधे से अधिक प्रखण्ड बाढ़ की चपेट में घिर चुके हैं. हजारों लोग विस्थापित हो रहे हैं. इन सबके बावजूद सरकारी मदद नहीं मिल रही है. पशु भूख से परेशान हैं.

कटिहार: बिहार के 13 जिलों में बाढ़ के पानी से लाखों लोग घिर चुके हैं. कटिहार में नेपाल से छोड़े गये पानी से महानन्दा नदी उफान पर है. निचले इलाके के लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. इन सबके सामने एक और समस्या आकर खड़ी हो गई है पशुओं के चारे की.

बाढ़ से लोग बेहाल

बाढ़ प्रभावित लोग किसी तरह स्वयं की भूख तो मिटा रहे हैं लेकिन पशुओं की जान बचाना अब मुश्किल हो रहा है. कटिहार की महानन्दा नदी के तटबन्ध का यह दृश्य बड़ा ही भयावह है. नेपाल से पानी की शक्ल में आई आफत ने पूरा इलाका जलमग्न कर दिया है.

जलमग्न हुए कई गांव
खेत-खलिहात समेत घर भी तबाह हो चुके हैं. लोगों ने किसी तरह बांध पर पहुंचकर झाड़-फानूस से झोपड़े बनाए जिसमें किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं. लेकिन यहां भी समस्याओं ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और भूख बनकर सामने खड़ी हो गईं. लोग किसी तरह खुद के लिए खाने की जुगाड़ कर रहे हैं, लेकिन पशुओं का चारा जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो रहा है. चारा संकट धीरे-धीरे गहराता ही जा रहा है.

पशुओं पर पड़ी पेट की मार
पशुओं को हरी घास मिल नहीं रही. लोग इस आशा में बैठे हैं कि पानी का लेवल कम हो तो बाजार से सूखा चारा ही उपलब्ध हो जाए. स्थानीय ग्रामीण गांधी शर्मा बतातें हैं कि मवेशियों का चारा जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीण मिट्ठू शर्मा बताते हैं कि बहुत दिक्कत है. हरी घास मिलती नहीं और सूखा चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

सरकार से मदद की आस
ग्रामीण आसमां देवी बताती हैं कि हर साल बाढ़ तबाही मचाती है. 2007 से ही उसका परिवार विस्थापित हो गया है लेकिन सरकारी मदद अब तक मय्यसर नहीं हुई. कटिहार जिले के 16 में से आधे से अधिक प्रखण्ड बाढ़ की चपेट में घिर चुके हैं. हजारों लोग विस्थापित हो रहे हैं. इन सबके बावजूद सरकारी मदद नहीं मिल रही है. पशु भूख से परेशान हैं.

Intro:...... बिहार के तेरह जिलों में बाढ़ के पानी में लाखों लोग घिरे हुए हैं....। कटिहार में नेपाल से छोड़े गये पानी से महानन्दा नदी लबालब भर चुका हैं और निचले इलाके के लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में घर - द्वार छोड़ ऊँचे जगहों पर जा छिपे हैं लेकिन इनके सामने अब पशुओं की चारा की समस्या उत्पन्न हो गयी हैं क्योंकि किसी तरह उनके दिन- रात कट रहें हैं लेकिन वह बेजुबानों को क्या खिलायें , कैसे उसकी जान बचायें .....।


Body:यह दृश्य कटिहार के महानन्दा नदी तटबन्ध का हैं जहाँ नेपाल से आये आफत के पानी ने पूरा इलाका जलमग्न कर डाला हैं । क्या खेत और क्या खलियान .....सब कुछ तबाह हो चुका हैं । लोगों ने किसी तरह बाँध पर पहुँच झाड़ - फानूस से झोपड़े बनाये जिसमें उसके तिल - तिल समय कट रहा हैं लेकिन यहाँ भी तबाही ने लोगों का पीछा नहीं छोड़ा । बाढ़ से जद्दोजहद कर महफूज लाये अनाज के दाने से किसी तरह पेट की आग बुझ जा रही हैं लेकिन जान बचाकर आये बेज़ुबानों पर चारा संकट आ गया हैं । हरी घास मिलती नहीं , जो मिला किसी तरह खिला डाला ताकि बेरहम वक्त कट जाये और पानी का लेवल कम होने पर पशुओं के लिये आसपास के बाजारों से सूखा चारा ला सकें ......। स्थानीय ग्रामीण ग़ांधी शर्मा बतातें हैं मवेशियों का चारा जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा हैं । ग्रामीण मिट्ठू शर्मा बताते हैं कि बहुत दिक्कत हैं, हरा घास मिलता नहीं और सूखा चारा उपलब्ध नहीं हैं । ग्रामीण आसमां देवी बताती हैं कि हर साल फ्लड तबाही मचाता हैं , 2007 से ही उसका परिवार विस्थापित हो गया हैं लेकिन सरकारी मदद अब तक मय्यसर नहीं हैं .....।


Conclusion:.........कटिहार जिले के सोलह में से आधे से अधिक प्रखण्ड सैलाबजदा हैं और हजारों लोग नेपाल से आये आफत के पानी से विस्थापित हो दूसरे जगहों पर जा चुके हैं । इस तक सरकारी मदद अब तक मय्यसर नहीं हैं जिससे सूखा चारा भी पशुओं को नहीं मिल पा रहा हैं । ऐसे में जल्द मदद के हाथ नहीं बढ़ाये गये तो पशुओं की जान भी जा सकती हैं ......।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.