कटिहार: बिहार के 13 जिलों में बाढ़ के पानी से लाखों लोग घिर चुके हैं. कटिहार में नेपाल से छोड़े गये पानी से महानन्दा नदी उफान पर है. निचले इलाके के लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. इन सबके सामने एक और समस्या आकर खड़ी हो गई है पशुओं के चारे की.
बाढ़ प्रभावित लोग किसी तरह स्वयं की भूख तो मिटा रहे हैं लेकिन पशुओं की जान बचाना अब मुश्किल हो रहा है. कटिहार की महानन्दा नदी के तटबन्ध का यह दृश्य बड़ा ही भयावह है. नेपाल से पानी की शक्ल में आई आफत ने पूरा इलाका जलमग्न कर दिया है.
जलमग्न हुए कई गांव
खेत-खलिहात समेत घर भी तबाह हो चुके हैं. लोगों ने किसी तरह बांध पर पहुंचकर झाड़-फानूस से झोपड़े बनाए जिसमें किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं. लेकिन यहां भी समस्याओं ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और भूख बनकर सामने खड़ी हो गईं. लोग किसी तरह खुद के लिए खाने की जुगाड़ कर रहे हैं, लेकिन पशुओं का चारा जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो रहा है. चारा संकट धीरे-धीरे गहराता ही जा रहा है.
पशुओं पर पड़ी पेट की मार
पशुओं को हरी घास मिल नहीं रही. लोग इस आशा में बैठे हैं कि पानी का लेवल कम हो तो बाजार से सूखा चारा ही उपलब्ध हो जाए. स्थानीय ग्रामीण गांधी शर्मा बतातें हैं कि मवेशियों का चारा जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीण मिट्ठू शर्मा बताते हैं कि बहुत दिक्कत है. हरी घास मिलती नहीं और सूखा चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
सरकार से मदद की आस
ग्रामीण आसमां देवी बताती हैं कि हर साल बाढ़ तबाही मचाती है. 2007 से ही उसका परिवार विस्थापित हो गया है लेकिन सरकारी मदद अब तक मय्यसर नहीं हुई. कटिहार जिले के 16 में से आधे से अधिक प्रखण्ड बाढ़ की चपेट में घिर चुके हैं. हजारों लोग विस्थापित हो रहे हैं. इन सबके बावजूद सरकारी मदद नहीं मिल रही है. पशु भूख से परेशान हैं.