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बदतर हालत में है कटिहार का सदर अस्पताल, सालों से बंद पड़ा है ICU - bihar news

बिहार विधानसभा के सचेतक तार किशोर प्रसाद बताते हैं कि सौ बेड के अस्पताल से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा. वहीं, सिविल सर्जन डॉ मुर्तजा अली ने बताया कि स्वास्थ विभाग की टीम ग्राउंड रिपोर्ट बनाकर ले गई है.

सदर अस्पताल
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Published : Sep 11, 2019, 2:00 PM IST

कटिहारः क्या बिहार के अस्पतालों में बनने वाली नई इमारतें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर सकती हैं. हम यह सवाल इसलिये पूछ रहे हैं क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने कटिहार सदर अस्पताल को अपग्रेड कर सौ बेड के अस्पताल में तब्दील करने की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद स्थानीय लोग स्वास्थ्य विभाग पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.

katihar
अस्पताल में मौजूद लोग

इलाज के नाम पर होती है खानापूर्ति
दरअसल, यहां के लोग अस्पताल की बदतर हालत से काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि जब अस्पताल का आईसीयू सालों से बंद पड़ा है, मरीजों के इलाज के लिये डॉक्टरों की बेहद कमी है, जहां के तैंतीस फीसदी डॉक्टर इलाज के नाम पर खानापूर्ति करत हों, ऐसे में सिर्फ 100 बेड लगा देने से क्या होगा? सिर्फ अस्पतालों में नए भवन बना देने से स्वास्थ्य सेवा में सुधार नहीं हो जाता. स्थानीय आशु पाण्डेय बताते हैं कि जिस अस्पताल को खुद ही इलाज की जरूरत है, डॉक्टर की जरूरत है, ऐसे में नये भवन का निर्माण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कैसे कर सकता है.

katihar
बयान देता स्थानीय युवक

पटना या कहीं और का रुख करते हैं मरीज
जिले में तैंतीस लाख की आबादी के इलाज का जिम्मा कटिहार सदर अस्पताल पर है. लेकिन यहां की हालत बद से बदतर है. अस्पताल का आईसीयू, जिसकी शुरुआत बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने की थी, वह डॉक्टरों की कमी के कारण एक भी दिन नहीं चला. हालात यह है कि अगर कटिहार में मरीजों की जान बचानी है तो प्राइवेट अस्पताल या फिर हाइयर सेंटर के नाम पर पटना या कहीं और का रुख किया जाए.

बदतर स्थिति में कटिहार सदर अस्पताल

सदर अस्पताल को अपग्रेड करने की घोषणा
राज्य सरकार ने हाल ही में सदर अस्पताल को अपग्रेड करते हुए सौ बेडों के अस्पताल में तब्दील करने की घोषणा की है. बिहार विधानसभा के सचेतक तार किशोर प्रसाद बताते हैं कि सौ बेड के अस्पताल से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा. वहीं, सिविल सर्जन डॉ मुर्तजा अली ने बताया कि स्वास्थ विभाग की टीम ग्राउंड रिपोर्ट बनाकर ले गई है. तैंतीस फीसदी डॉक्टर से जैसे-तैसे काम चल रहा है. रह गया सवाल आईसीयू का, चिकित्सकों की उपलब्धता पर उसे भी शुरू कर दिया जायेगा.

कटिहारः क्या बिहार के अस्पतालों में बनने वाली नई इमारतें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर सकती हैं. हम यह सवाल इसलिये पूछ रहे हैं क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने कटिहार सदर अस्पताल को अपग्रेड कर सौ बेड के अस्पताल में तब्दील करने की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद स्थानीय लोग स्वास्थ्य विभाग पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.

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अस्पताल में मौजूद लोग

इलाज के नाम पर होती है खानापूर्ति
दरअसल, यहां के लोग अस्पताल की बदतर हालत से काफी आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि जब अस्पताल का आईसीयू सालों से बंद पड़ा है, मरीजों के इलाज के लिये डॉक्टरों की बेहद कमी है, जहां के तैंतीस फीसदी डॉक्टर इलाज के नाम पर खानापूर्ति करत हों, ऐसे में सिर्फ 100 बेड लगा देने से क्या होगा? सिर्फ अस्पतालों में नए भवन बना देने से स्वास्थ्य सेवा में सुधार नहीं हो जाता. स्थानीय आशु पाण्डेय बताते हैं कि जिस अस्पताल को खुद ही इलाज की जरूरत है, डॉक्टर की जरूरत है, ऐसे में नये भवन का निर्माण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कैसे कर सकता है.

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बयान देता स्थानीय युवक

पटना या कहीं और का रुख करते हैं मरीज
जिले में तैंतीस लाख की आबादी के इलाज का जिम्मा कटिहार सदर अस्पताल पर है. लेकिन यहां की हालत बद से बदतर है. अस्पताल का आईसीयू, जिसकी शुरुआत बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने की थी, वह डॉक्टरों की कमी के कारण एक भी दिन नहीं चला. हालात यह है कि अगर कटिहार में मरीजों की जान बचानी है तो प्राइवेट अस्पताल या फिर हाइयर सेंटर के नाम पर पटना या कहीं और का रुख किया जाए.

बदतर स्थिति में कटिहार सदर अस्पताल

सदर अस्पताल को अपग्रेड करने की घोषणा
राज्य सरकार ने हाल ही में सदर अस्पताल को अपग्रेड करते हुए सौ बेडों के अस्पताल में तब्दील करने की घोषणा की है. बिहार विधानसभा के सचेतक तार किशोर प्रसाद बताते हैं कि सौ बेड के अस्पताल से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा. वहीं, सिविल सर्जन डॉ मुर्तजा अली ने बताया कि स्वास्थ विभाग की टीम ग्राउंड रिपोर्ट बनाकर ले गई है. तैंतीस फीसदी डॉक्टर से जैसे-तैसे काम चल रहा है. रह गया सवाल आईसीयू का, चिकित्सकों की उपलब्धता पर उसे भी शुरू कर दिया जायेगा.

Intro:.....क्या बिहार में नई इमारतें स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर सकती हैं ....। हम यह सवाल इसलिये पूछ रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग ने कटिहार सदर अस्पताल को नये सौ बेड के अस्प्ताल में तब्दील करने की घोषणा की हैं ....। इस घोषणा के बाद स्थानीय लोग स्वास्थ्य विभाग को आड़े हाथों ले रहे हैं और सवाल - दर - दर की फेहरिस्त रख रहे हैं कि जब अस्प्ताल का आईसीयू सालों से बन्द पड़ा हों ....। जब अस्प्ताल में मरीजों के इलाज के लिये डॉक्टर की बेहद कमी हों जहाँ तैंतीस फीसदी डॉक्टर से भगवान - भगवान की तरह जैसे - तैसे पुरी होती हैं खानापूर्ति ....। इलाज के नाम पर दवाइयाँ नहीं मिलती हों तो ऐसे में अस्पताल का नया भवन.....स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कैसे करेगा ......।


Body:यह हैं कटिहार सदर अस्पताल ....। जिले के तैतीस लाख आबादी के इलाज का इसपर जिम्मा हैं लेकिन जरा हालात देखिये , अस्प्ताल का आईसीयू , जिसे बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने शुरुआत की थी , चिकित्सकों की कमी के कारण एक दिन भी नहीं चालू हुआ....। अब तो यह हालात यह हैं कि कटिहार में मरीजों की जान बचानी हैं तो प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराइये या फिर हाइयर सेंटर के नाम पर पटना या दूसरी अन्य जगह का रुख अख्तियार करें .....। राज्य सरकार ने हाल ही में इसे अपग्रेड करते हुए सौ बेडों के अस्पताल में तब्दील करने की घोषणा की हैं । बिहार विधानसभा के सचेतक तारकिशोर प्रसाद बताते हैं कि सौ बेड के अस्प्ताल से स्वास्थ्य सुविधाओं में बहार आयेगी । सिविल सर्जन डॉ मुर्तजा अली ने बताया कि टीम थी और ग्राउंड रिपोर्ट बना साथ ले गयी हैं ....। तैतीस फीसदी डॉक्टर से जैसे - तैसे काम चल रहा है ....रह गया सवाल आईसीयू का , चिकित्सकों की उपलब्धता पर उसे भी शुरू कर दिया जायेगा लेकिन इस घोषणा के साथ ही आम - अवाम ने सवालों की झड़ी लगा डाली है । स्थानीय आशु पाण्डेय बताते हैं कि जिस अस्प्ताल को खुद ही इलाज की जरूरत हों , डॉक्टर की जरूरत हो तो ऐसे में नये भवन का निर्माण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कैसे कर सकता हैं ......।


Conclusion:घोषणा हैं , घोषणाओं का क्या ....। सच तो यह हैं कि आज बिहार में सरकारी अस्पताल बेपटरी हो चुकी हैं और इसका फायदा कुरमुरमुत्ते की तरह उग आये प्राइवेट डॉक्टर और नर्सिंग होम उठाते हैं जो गरीब जनता को खून चूस मालामाल हो रहे हैं ....। होनी तो यह चाहिये कि संसाधन जुटाने और सुविधाएं बढ़ाने पर सरकार का ध्यान जाना चाहिये था , ना कि इमारत बनवाने में .....। उम्मीद की जानी चाहिये कि बिहार सरकार जनहित में कुछ अच्छे निर्णय करेगी .....।
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