कटिहारः सूबे में बेरोजगारी की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही है. तमाम युवा पढ़ाई के बाद भी बेरोजगार घूम रहे हैं. ऐसे लोगों को रोजगार दिलाने की बात 'आत्मनिर्भर बिहार युवा मंच ' सभा आयोजन करके की. इसके संयोजक का कहना है कि सरकार 20 लाख लोगों को रोजगार देने की बात करती है. जबकि 50 लाख लोग प्रत्येक साल 10वीं की परीक्षा पास करते हैं. ऐसे में यह संख्या बहुत कम है.
प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी
'आत्मनिर्भर बिहार युवा मंच' के कार्यकर्ताओं ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही है. नये साल में सरकार ने युवाओं के लिये नौकरी का पिटारा खोलने की घोषणा की. इसके बावजूद यह ऊँट के मुंह में जीरे के समान है. हुनरमंदों के पलायन रोकने और रोजगार सृजन कर आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से कटिहार में ' आत्मनिर्भर बिहार युवा मंच ' के बैनर तले एक सभा का आयोजन किया गया. जिसमें बढ़-चढ़ कर लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान आत्मनिर्भर बिहार युवा मंच के प्रान्तीय संयोजक हीरालाल राही ने कहा कि आगामी मार्च में युवा मंच का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. जिसमें उपमुख्यमंत्री सहित सूबे के कई अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों को आमंत्रित किया जायेगा.
सूबे में नवगठित एनडीए सरकार का चुनावी मुद्दा रोजगार सृजन और बिहार को आत्मनिर्भर बनाना है. लेकिन इच्छाशक्ति की कमी एवं ठोस कार्ययोजना नहीं होने से समस्या आने वाले समय मे विकराल हो सकती है. हर साल लाखों की तादाद में बेरोजगारों की भीड़ बढ रही है. जो हाइड्रोजन बम से भी खतरनाक है. ऐसे में युवा मंच का मकसद स्थानीय मुद्दों के साथ रोजगार पैदा करना, विभिन्न क्षेत्रों के तकनीकी विकास, विश्व स्तरीय विषय विशेषज्ञ को एकजुट कर सरकार और प्रशासन को मदद करना है.
प्रो. एके सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एसपीएआई
बिहार में हर साल जहां लाखों की तादाद में मैट्रिक की परीक्षा में विद्यार्थी हिस्सा लेते हैं. वहीं सरकार के पांच साल में बीस लाख युवाओं को रोजगार देने का चुनावी नारा बेरोजगारी को नहीं भगा सकता. ऐसे में मंच की कोशिश होगी कि इसकी एक भावी रणनीति बनाकर सरकार को सौंपी जाए.
हीरालाल राही, संयोजक, आत्मनिर्भर बिहार युवा मंच
युवा मंच सबसे पहले स्किल्ड और नॉन स्किल्ड का सर्वे कर यह तय करेगा कि किस हाथ को किस तरह की रोजगार दिया जा सकता है. बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास एकेडमिक डिग्रियां नहीं हैं. लेकिन उनके हाथों की कारीगरी है, ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है.
राजीव रंजन, आत्मनिर्भर बिहार युवा मंच