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लॉक डाउन में बेजुबानों के मसीहा बने ASP, वेतन के पैसे से खिलाते हैं खाना - asp became the messiah of the innocent in lock down

एएसपी हरिमोहन शुक्ला बताते हैं कि इन बेजुबानों से हमलोगों का कोई रिश्ता भी नहीं पालतू जानवर भी नहीं. लेकिन जब इन्हें भोजन देते हैं तो घनिष्ठता हो जाती हैं. भोजन मिलने से सभी खुश होते है.

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Published : Apr 7, 2020, 10:38 AM IST

Updated : Apr 7, 2020, 7:52 PM IST

कटिहारः कोरोना महामारी को लेकर लॉक डाउन ने आम जिन्दगी के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो कर दिया है. लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर उन बेजुबानों पर भी पड़ा हैं. जो सड़कों पर जिन्दगी गुजारते हैं. सब कुछ बन्द होने की वजह इनके सामने पेट भरना काफी मुश्किल हो गया है. वहीं, दूसरी ओर हमारे देश और समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन असहाय और निरीह बेजुबानों के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं.

एएसपी बने बेजुबानों के मसीहा
हम आज आपको एक ऐसे ही कहानी दिखाने जा रहे हैं. जिसके कंधे पर पब्लिक से एक ओर लॉक डाउन का पालन कराने की जिम्मेदारी हैं. वहीं, दूसरी ओर लॉक डाउन के दौरान आवारा पशुओं के लिये भोजन उपलब्ध कराना एक जिम्मेदारी भी है. रात के अंधेरे में भोजन के पैकेट खिलाते यह बेजुबानों के लिये मसीहा से कोई कम नहीं है.

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बेजुबानों के मसीहा

भूख से तड़प रहे आवारा कुत्तों को कराते हैं भोजन
बिहार के कटिहार जिले में लॉक डाउन के दौरान बीते दो सप्ताह से आम जन जीवन बेपटरी है. किसी तरह प्रशासन के आदेश पर लोगों को रोजमर्रा की चीजे तो उपलब्ध हो जाती है. लेकिन बाजार में पसरे सन्नाटे की वजह से कारोबार ठप्प है. इस लॉक डाउन का असर उन लोगों पर ज्यादा पड़ा है. जो रोज कमाने खाने वाले थे. लेकिन उससे तो बुरी हालत उन बेजुबानों की हैं जो सड़कों की जिन्दगी गुजारते है. सब कुछ बन्द होने की वजह से इनके सामने भुखमरी के हालात है. कुछ इलाके में तो भूख की वजह से दो- एक आवारा कुत्ते और पक्षियों की मौत की भी खबरें सामने आ रही है.

भूख से बेजुबानों की भी मौत
वहीं, बेजुबानों की ऐसी हालत देख कटिहार के अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला की मानवता जग गयी. एएसपी प्रतिदिन इन बेजुबानों के लिये अपने घर पर भोजन तैयार कराते हैं और गश्ती के दौरान रास्ते में जो भी आवारा कुत्ते, गाय या अन्य दूसरे पशु मिलते हैं. उसे स्वयं भोजन कराते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बेजुबानों से हो जाती है घनिष्ठता
अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला बताते हैं कि लॉक डाउन के दौरान रेस्टोरेंट, होटल सब बन्द हैं. पब्लिक की दैनिक क्रियायें बन्द हैं. जिससे यह पलते-बढ़ते थे. पुलिस परिवार की तरफ से यह विचार किया गया कि आम आदमी जो इस आपदा से परेशान है उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर ही रहे है. लेकिन समय निकाल कर इन बेजुबानों की भी रक्षा करे. इनके भी पेट पालने का काम करे. एएसपी हरिमोहन शुक्ला बताते हैं कि इन बेजुबानों से हमलोगों का कोई रिश्ता भी नहीं पालतू जानवर भी नहीं. लेकिन जब इन्हें भोजन देते हैं तो घनिष्ठता हो जाती हैं. भोजन मिलने से सभी खुश होते है.

कटिहारः कोरोना महामारी को लेकर लॉक डाउन ने आम जिन्दगी के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो कर दिया है. लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर उन बेजुबानों पर भी पड़ा हैं. जो सड़कों पर जिन्दगी गुजारते हैं. सब कुछ बन्द होने की वजह इनके सामने पेट भरना काफी मुश्किल हो गया है. वहीं, दूसरी ओर हमारे देश और समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन असहाय और निरीह बेजुबानों के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं.

एएसपी बने बेजुबानों के मसीहा
हम आज आपको एक ऐसे ही कहानी दिखाने जा रहे हैं. जिसके कंधे पर पब्लिक से एक ओर लॉक डाउन का पालन कराने की जिम्मेदारी हैं. वहीं, दूसरी ओर लॉक डाउन के दौरान आवारा पशुओं के लिये भोजन उपलब्ध कराना एक जिम्मेदारी भी है. रात के अंधेरे में भोजन के पैकेट खिलाते यह बेजुबानों के लिये मसीहा से कोई कम नहीं है.

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बेजुबानों के मसीहा

भूख से तड़प रहे आवारा कुत्तों को कराते हैं भोजन
बिहार के कटिहार जिले में लॉक डाउन के दौरान बीते दो सप्ताह से आम जन जीवन बेपटरी है. किसी तरह प्रशासन के आदेश पर लोगों को रोजमर्रा की चीजे तो उपलब्ध हो जाती है. लेकिन बाजार में पसरे सन्नाटे की वजह से कारोबार ठप्प है. इस लॉक डाउन का असर उन लोगों पर ज्यादा पड़ा है. जो रोज कमाने खाने वाले थे. लेकिन उससे तो बुरी हालत उन बेजुबानों की हैं जो सड़कों की जिन्दगी गुजारते है. सब कुछ बन्द होने की वजह से इनके सामने भुखमरी के हालात है. कुछ इलाके में तो भूख की वजह से दो- एक आवारा कुत्ते और पक्षियों की मौत की भी खबरें सामने आ रही है.

भूख से बेजुबानों की भी मौत
वहीं, बेजुबानों की ऐसी हालत देख कटिहार के अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला की मानवता जग गयी. एएसपी प्रतिदिन इन बेजुबानों के लिये अपने घर पर भोजन तैयार कराते हैं और गश्ती के दौरान रास्ते में जो भी आवारा कुत्ते, गाय या अन्य दूसरे पशु मिलते हैं. उसे स्वयं भोजन कराते हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बेजुबानों से हो जाती है घनिष्ठता
अपर पुलिस अधीक्षक हरिमोहन शुक्ला बताते हैं कि लॉक डाउन के दौरान रेस्टोरेंट, होटल सब बन्द हैं. पब्लिक की दैनिक क्रियायें बन्द हैं. जिससे यह पलते-बढ़ते थे. पुलिस परिवार की तरफ से यह विचार किया गया कि आम आदमी जो इस आपदा से परेशान है उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर ही रहे है. लेकिन समय निकाल कर इन बेजुबानों की भी रक्षा करे. इनके भी पेट पालने का काम करे. एएसपी हरिमोहन शुक्ला बताते हैं कि इन बेजुबानों से हमलोगों का कोई रिश्ता भी नहीं पालतू जानवर भी नहीं. लेकिन जब इन्हें भोजन देते हैं तो घनिष्ठता हो जाती हैं. भोजन मिलने से सभी खुश होते है.

Last Updated : Apr 7, 2020, 7:52 PM IST
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