कटिहार: स्वास्थ्य विभाग के काले-चिट्ठे का राज डेढ़ महीने बाद भी नहीं खुल पाया है, कि मरीजों को दी जाने वाली करोड़ों रुपये की दवाइयों को किसने और क्यों कबाड़खाने में सड़ने के लिये फेंक दिया, मामले में अब भी सस्पेंस बना हुआ है. सिविल सर्जन अब भी तफ्शीश की बातें कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं. लोगों की मानें तो यह एक बड़ा दवा घोटाला है. जिसका नेक्सस जिले के सदर अस्पताल प्रबंधन से लेकर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय तक है. साथ ही स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि जल्द दवा मामले का पर्दाफाश नहीं हुआ तो पब्लिक सड़कों पर उतरकर धरना-प्रदर्शन करेगी.
मामले का कुछ राजफाश नहीं हो पाया
बात बीते सात जुलाई की है, जब कटिहार सदर अस्पताल के कबाड़खानानुमा एक कमरे के बाहर मरीजों के बीच बांटे जाने वाली दवाइयां कचरे के ढ़ेर में पड़ी मिलीं. इनमें कई दवाइयां तो ऐसी थी जो 2020 में एक्सपायर होनी थी. मामले के खुलासे के बाद हंगामा मच गया. कटिहार से लेकर पटना तक स्वास्थ्य विभाग में मचे हड़कंप के बाद सिविल सर्जन डा. मुरतजा अली ने आनन-फानन में जांच के आदेश दिये. तफ्शीश के लिये तीन सदस्यीय टीम गठित कर घोषणा की गई कि जल्द ही मामले का राजफाश होगा. बात आई और गई हो गई, आलम यह है कि डेढ़ महीने के बाद भी मामले का कुछ खुलासा नहीं हो पाया है.
'जनता धरना-प्रदर्शन करेगी'
सिविल सर्जन डॉ. मुरतजा अली अब भी जांच की बातें कह रहे हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. अब सवाल उठता है कि यह जांच आखिर कब तक चलेगी और कब तक उसकी रिपोर्ट आयेगी? यदि जांच रिपोर्ट आ भी गयी तो जब जांच रिपोर्ट आने में महीनों का वक्त गुजार दिया गया तो आरोपियों पर कार्रवाई में कितना समय लगेगा. वहीं, स्थानीय पब्लिक इसे एक बड़े घोटाले की नजर से देख रही है. जिसकी काली कमाई में स्वास्थ्य कर्मचारी से विभाग के मंत्री मंगल पांडेय तक शामिल हैं. लोगों का कहना है यदि जल्द मामले में कार्रवाई नहीं हुई तो जनता सड़क पर उतरकर धरना-प्रदर्शन करेगी.