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बाढ़ इलाकों में सर्पदंश बना खतरा, कटिहार में सांप काटने से 9 साल के बच्चे की हुई मौत

बाढ़ के बाद प्रभावित इलाकों में एक दूसरी समस्या खड़ी हो गई है. इन इलाकों में सांप काटने की घटना बढ़ गई है. कटिहार मेंं भी सांप काटने 9 वर्ष के बच्चे की मौत हो गई. मौत के बाद परिजन मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

कटिहार पोस्टमार्टम रूम
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Published : Jul 24, 2019, 7:23 PM IST

कटिहार: जिले के आजमनगर थाना इलाके में सांप काटने से एक बच्चे की मौत हो गई. मौत के बाद परिवार में शोक का माहौल है. वहीं, परिजन सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

सर्पदंश बनी नई समस्या
बाढ़ प्रभावित इलाकों में जन-जीवन पहले से ही बदहाल है. लेकिन अब बाढ़ पीड़ित एक नई समस्या का सामना कर रहे हैं. उनके सामने सांप काटने का डर हमेशा बना हुआ है. इसी तरह का मामला जिले के आजमनगर थाना इलाके से आई है. यहां सांप के काटने से 9 साल के रवि की मौत हो गई. परिजन बताते हैं कि रवि शौच के लिये बाहर निकला था. तभी पैर फिसलने के कारण पानी में गिर गया. इसबीच सांप ने उसे डस लिया. सांप डसने के कारण उसकी मौत हो गयी. बच्चे की मौत से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है. वहीं, मृतक के परिजन सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

बाढ़ के बाद बढ़ा सर्पदंश का खतरा

'सर्पदंश को माना जाए प्राकृतिक आपदा'
बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक तार किशोर प्रसाद ने सरकार से सर्पदंश को प्राकृतिक आपदा मानने की मांग की है. उनका कहना है कि इसके शिकार लोगों को मुआवजा भी दिया जाए. फिलहाल अभी यह मांग विचाराधीन है.

कटिहार: जिले के आजमनगर थाना इलाके में सांप काटने से एक बच्चे की मौत हो गई. मौत के बाद परिवार में शोक का माहौल है. वहीं, परिजन सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

सर्पदंश बनी नई समस्या
बाढ़ प्रभावित इलाकों में जन-जीवन पहले से ही बदहाल है. लेकिन अब बाढ़ पीड़ित एक नई समस्या का सामना कर रहे हैं. उनके सामने सांप काटने का डर हमेशा बना हुआ है. इसी तरह का मामला जिले के आजमनगर थाना इलाके से आई है. यहां सांप के काटने से 9 साल के रवि की मौत हो गई. परिजन बताते हैं कि रवि शौच के लिये बाहर निकला था. तभी पैर फिसलने के कारण पानी में गिर गया. इसबीच सांप ने उसे डस लिया. सांप डसने के कारण उसकी मौत हो गयी. बच्चे की मौत से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है. वहीं, मृतक के परिजन सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

बाढ़ के बाद बढ़ा सर्पदंश का खतरा

'सर्पदंश को माना जाए प्राकृतिक आपदा'
बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक तार किशोर प्रसाद ने सरकार से सर्पदंश को प्राकृतिक आपदा मानने की मांग की है. उनका कहना है कि इसके शिकार लोगों को मुआवजा भी दिया जाए. फिलहाल अभी यह मांग विचाराधीन है.

Intro:.......काल बनकर सैलाबजदा इलाकों में लोगों पर कहर बरपा रहे हैं नागदेवता .....। मौका पाकर पानी मे जहरीले फन से लोगों को डंस लेते हैं जिससे हो जाती हैं लोगों की असमय मौतें.....। आजमनगर थाना इलाके में सर्पदंश से किशोर की मौत , मचा कोहराम...। बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक की राज्य सरकार से माँग कि बाढ़ अवधि के बाद सर्पदंश को प्राकृतिक आपदा जनित कारण मानते हुए आपदा विभाग परिजनों को दे मुआवजा .......।


Body:पोस्टमार्टम रूम के समीप यह शव बदनसीब रवि की हैं जिसकी पानी मे सर्पदंश से मौत हो गयी हैं । रवि ठीक से जिन्दगी के दस वसंत भी नहीं देखा था कि नाग देवता के जबड़े ने अपने जहरीले फन से उसे सदा के लिये गहरी नींद में सुला डाला । मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया और पुलिस ने अग्रतर कार्रवाई करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिये कटिहार सदर अस्पताल भेज दिया .....। परिजन बताते हैं कि रवि शौच के लिये बाहर निकला था कि पैर फिसल जाने के कारण पानी मे गिर गया और मौका पाकर साँप ने उसे डस लिया जिससे उसकी मौत हो गयी.....। बिहार विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के सचेतक तारकिशोर प्रसाद बताते हैं कि सर्पदंश को प्राकृतिक आपदा या स्थानीय प्रकृति की आपदा के अंतर्गत अधिसूचित नहीं किया गया हैं लिहाजा बाढ़ जनित कारणों से हुए सर्पदंश के कारण मौत को प्राकृतिक आपदा जनित मानते हुए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ द्वारा निर्धारित प्रक्रिया एवं मानकर के सदृश्य अनुग्रह अनुदान एवं अन्य अनुदान देय हैं लेकिन बाढ़ अवधि के बाद सर्पदंश को प्राकृतिक आपदा नहीं माना गया हैं जिसपर हमने विधानसभा के अंदर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया हैं और माँग करते हैं कि बाढ़ अवधि के बाद सर्पदंश के शिकार लोगों को प्राकृतिक आपदा हुए उनके परिजनों को मुआवजा मिलनी चाहिये .....। उन्होंने बताया कि सर्पदंश भी एक प्राकृतिक दुर्घटना की श्रेणी में हैं क्योंकि कोई जानबूझकर तो सर्पदंश नहीं होता हैं इसलिये निश्चित रूप से सरकार को इसपर विचार करते हुए सर्पदंश से पीड़ित परिजनों को मुआवजा की राशि मिलनी चाहिये .......।


Conclusion:गौरतलब है कि जिस इलाके में बाढ़ आती हैं , उस क्षेत्र में आबादी वाले इलाका और खेतों से पानी निकल जाने के बाद राज्य सरकार बाढ़ खत्म कह पीड़ितों को कुछ हजार रुपये बाढ़ सहायता राशि और फसल क्षतिपूर्ति दे अपने कर्तव्यों का इतिश्री समझ लेती हैं लेकिन वास्तविकता यह हैं कि निचले इलाके , ताल- तलैया , स्थानीय तालाबों - पोखरों जैसे जगहों पर बाढ़ का पानी लंबे समय तक जमा रहता हैं और इसमें भूल - चूक पहुँच जाने के बाद लोगों की समय - समय पर सर्पदंश से मौतें भी हो जाती हैं और आपदा विभाग इसे प्राकृतिक आपदा नहीं मानते हुए पीड़ित परिजनों को कोई मुआवजा प्रदान नहीं करता हैं और इस तरह मुफ्त में लोगों की जानें चली जाती हैं और पीड़ित परिजनों को जिन्दगी भर आँसू बहाने के सिवा मदद की फूटी कौड़ी कहीं से नहीं मिलती .......।
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