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कैमूरः अक्षय नवमी पर महिलाओं ने आंवला के वृक्ष के नीचे किया पूजा-अर्चना

श्रद्धालुओं ने बताया कि कार्तिक मास के नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे महिलाएं पूजा करती है. पूजा के बाद वृक्ष की छांव में भोजन पकाया जाता है, जिसे पूरे परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है.

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Published : Nov 23, 2020, 10:15 PM IST

कैमूर(भभुआ): शहर के बस स्टैंड स्थित अखलासपुर नागा बाबा के पोखरा पर दूर-दूर से आई महिलाओं ने अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष का परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की. उसके बाद महिलाओं ने आंवला के वृक्ष के छांव में भोजन पकाया और परिवार के साथ ग्रहण किया.

श्रद्धालुओं ने बताया कि कार्तिक मास के नवमी के दिन आंवला वृक्ष का पूजन किया जाता है. उसके बाद पेड़ के नीचे खाना बनाकर पेड़ के नीचे ही ग्रहण किया जाता है. उन्होंने बताया कि आंवला के वृश्र की पूजा से परिवार का जीवन सुखमय होता है और धन-दौलत बनी रहती है.

इस दिन पूजा का है खास महत्व
बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को यह पर्व मानाने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है. मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास भगवान विष्णु को सदा प्रिय रहा है. इस मास में 33 कोटि देवता मनुष्य के समीप आ जाते है. इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. महिलाएं आंवला के वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला के पेड़ पर हल्दी, रौली और सिंदूर लगाने के साथ-साथ दीपक जलाकर पूजा की जाती है.

कैमूर(भभुआ): शहर के बस स्टैंड स्थित अखलासपुर नागा बाबा के पोखरा पर दूर-दूर से आई महिलाओं ने अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष का परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की. उसके बाद महिलाओं ने आंवला के वृक्ष के छांव में भोजन पकाया और परिवार के साथ ग्रहण किया.

श्रद्धालुओं ने बताया कि कार्तिक मास के नवमी के दिन आंवला वृक्ष का पूजन किया जाता है. उसके बाद पेड़ के नीचे खाना बनाकर पेड़ के नीचे ही ग्रहण किया जाता है. उन्होंने बताया कि आंवला के वृश्र की पूजा से परिवार का जीवन सुखमय होता है और धन-दौलत बनी रहती है.

इस दिन पूजा का है खास महत्व
बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को यह पर्व मानाने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है. मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास भगवान विष्णु को सदा प्रिय रहा है. इस मास में 33 कोटि देवता मनुष्य के समीप आ जाते है. इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. महिलाएं आंवला के वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला के पेड़ पर हल्दी, रौली और सिंदूर लगाने के साथ-साथ दीपक जलाकर पूजा की जाती है.

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