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अनलॉक 1.0 : पैदल चल रहे मजदूरों की ट्रक ड्राइवर ने की मदद, सरकारी मदद फेल

मजदूर बताते हैं कि नागपुर में एक फैक्ट्री में काम करते थे, जब लॉकडाउन हुआ तो ठेकेदार से संपर्क करने का काफी प्रयास किया गया. लेकिन ठेकेदार के मोबाइल पर रिंग जाने के बाद भी फोन नहीं उठाता था. किसी तरह से हम लोगों ने अपने पास रहे पैसे और मदद मांग कर गुजारा किया.

कैमूर
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Published : Jun 9, 2020, 12:36 AM IST

कैमूर : देश में लॉकडाउन होने के बाद अब एक जून से अनलॉक के जरिए धीरे-धीरे सारी गतिविधियां शुरू हो रही है, लेकिन मजदूरों की समस्या कम नहीं हो रही है. लॉकडाउन में नागपुर में फंसे डेहरी के तीन मजदूरों के पास पैसे नहीं थे, तो वे लोग 2 जून को पैदल ही डेहरी के लिए चल दिए. कुछ दूर चलने के बाद एक ट्रक चालक ने उनकी सहायता की, तो मजदूरों की राहें आसान हुई.

ट्रक चालक ही इनको नाश्ता, पानी और भोजन कराते हुए लाया. मजदूर कुल 4 दिनों में सोमवार को नागपुर से मोहनिया पहुंचे हैं. पैसे के अभाव में ना तो बस में, ना ही ऑटो में और ना ही रेल का सहरा लेकर दूरी तय कर सकते थे. इसलिए पैदल चलना ही मुनासिब समझा.

देखें पूरी रिपोर्ट

मदद मांग कर किया गुजारा
मजदूर बताते हैं कि नागपुर में एक फैक्ट्री में काम करते थे, जब लॉकडाउन हुआ तो ठेकेदार से संपर्क करने का काफी प्रयास किया गया. लेकिन ठेकेदार के मोबाइल पर रिंग जाने के बाद भी फोन नहीं उठाता था. किसी तरह से हम लोगों ने अपने पास रहे पैसे और मदद मांग कर गुजारा किया. लेकिन जब अनलॉक वन हुआ तो हम लोगों के पास इतने पैसे नहीं थे कि हम लोग रेल का टिकट खरीद सके या कोई गाड़ी पर बैठ कर आ सके.

kaimur
प्रवासी मजदूर

'बाहर जाने की हिम्मत नहीं रही'
मजदूर ने कहा कि हम तीन दोस्तों ने पैदल ही चलने का निर्णय लिया. जब 20 किलोमीटर पैदल चले, तो एक ट्रक वाले ने डेढ़ सौ किलोमीटर आगे पहुंचा दिया. इस तरह करते हुए कुल 4 दिन में हम लोग सोमवार को मोहनिया पहुंचे हैं. यहां से पैदल ही निकल जाएंगे. मजदूर ने कहा कि अपने घर पर रहेंगे अपने गांव में ही कोई भी काम धंधा कर लेंगे. लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे, क्योंकि इस हालात ने इतना हमें चोट पहुंचाया है की बाहर जाने की हिम्मत नहीं रही.

कैमूर : देश में लॉकडाउन होने के बाद अब एक जून से अनलॉक के जरिए धीरे-धीरे सारी गतिविधियां शुरू हो रही है, लेकिन मजदूरों की समस्या कम नहीं हो रही है. लॉकडाउन में नागपुर में फंसे डेहरी के तीन मजदूरों के पास पैसे नहीं थे, तो वे लोग 2 जून को पैदल ही डेहरी के लिए चल दिए. कुछ दूर चलने के बाद एक ट्रक चालक ने उनकी सहायता की, तो मजदूरों की राहें आसान हुई.

ट्रक चालक ही इनको नाश्ता, पानी और भोजन कराते हुए लाया. मजदूर कुल 4 दिनों में सोमवार को नागपुर से मोहनिया पहुंचे हैं. पैसे के अभाव में ना तो बस में, ना ही ऑटो में और ना ही रेल का सहरा लेकर दूरी तय कर सकते थे. इसलिए पैदल चलना ही मुनासिब समझा.

देखें पूरी रिपोर्ट

मदद मांग कर किया गुजारा
मजदूर बताते हैं कि नागपुर में एक फैक्ट्री में काम करते थे, जब लॉकडाउन हुआ तो ठेकेदार से संपर्क करने का काफी प्रयास किया गया. लेकिन ठेकेदार के मोबाइल पर रिंग जाने के बाद भी फोन नहीं उठाता था. किसी तरह से हम लोगों ने अपने पास रहे पैसे और मदद मांग कर गुजारा किया. लेकिन जब अनलॉक वन हुआ तो हम लोगों के पास इतने पैसे नहीं थे कि हम लोग रेल का टिकट खरीद सके या कोई गाड़ी पर बैठ कर आ सके.

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प्रवासी मजदूर

'बाहर जाने की हिम्मत नहीं रही'
मजदूर ने कहा कि हम तीन दोस्तों ने पैदल ही चलने का निर्णय लिया. जब 20 किलोमीटर पैदल चले, तो एक ट्रक वाले ने डेढ़ सौ किलोमीटर आगे पहुंचा दिया. इस तरह करते हुए कुल 4 दिन में हम लोग सोमवार को मोहनिया पहुंचे हैं. यहां से पैदल ही निकल जाएंगे. मजदूर ने कहा कि अपने घर पर रहेंगे अपने गांव में ही कोई भी काम धंधा कर लेंगे. लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे, क्योंकि इस हालात ने इतना हमें चोट पहुंचाया है की बाहर जाने की हिम्मत नहीं रही.

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