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कैमूर: उप-स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को दी जाती है EXPIRY दवा, उपाधीक्षक बोले- होगी कार्रवाई

मरीजों का आरोप है कि इस अस्पताल की स्थिति बेहद खराब है. अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं. पूरे महीने में एक बार सिर्फ यह स्वास्थ्य केंद्र खुलता है. वहीं, कईयों को दवा तक नसीब नहीं हो पाती है.

मरीज
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Published : Oct 20, 2019, 10:21 PM IST

कैमूर: जिले के मोहनिया प्रखंड के उप स्वास्थ्य केंद्र से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां के मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर एक्सपायरी दवा देने का आरोप लगाया है. हालांकि इस मामले में अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक ने कार्रवाई की बात कही है.

मरीजों का आरोप है कि इस अस्पताल की स्थिति बेहद खराब है. अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं. पूरे महीने में एक बार सिर्फ यह स्वास्थ्य केंद्र खुलता है. वहीं, कईयों को दवा तक नसीब नहीं हो पाती है.

पेश है रिपेर्ट

मरीज का आरोप
गांव निवासी बनारसी राम ने कहा कि वह अपना आंख जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र गए थे. उनका आरोप है कि वहां मौजूद डॉक्टर मृत्युंजय सिंह ने बगैर आंख जांच किए उन्हें दवा दी. मरीज ने बताया कि दवा डालने के बाद आंखों में खुजली होने लगी. जिससे वह घबरा गया. लिहाजा उन्होंने दवा अपने बेटे को दिखाई. जिसके बाद मालूम चला कि दवा एक्सपायरी है. मरीज बनारसी राम ने कहा कि उन्होंने इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की है.

kaimur
अस्पताल उपाधीक्षक चंदेश्वरी रजक

'दोषियों पर होगी कार्रवाई'
इस संबंध में अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक चंदेश्वरी रजक ने बताया कि आरोप संज्ञान में आया है. इसपर गहन जांच होगी. उपाधीक्षक ने बताया कि इस ममाले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कैमूर: जिले के मोहनिया प्रखंड के उप स्वास्थ्य केंद्र से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां के मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर एक्सपायरी दवा देने का आरोप लगाया है. हालांकि इस मामले में अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक ने कार्रवाई की बात कही है.

मरीजों का आरोप है कि इस अस्पताल की स्थिति बेहद खराब है. अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं. पूरे महीने में एक बार सिर्फ यह स्वास्थ्य केंद्र खुलता है. वहीं, कईयों को दवा तक नसीब नहीं हो पाती है.

पेश है रिपेर्ट

मरीज का आरोप
गांव निवासी बनारसी राम ने कहा कि वह अपना आंख जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र गए थे. उनका आरोप है कि वहां मौजूद डॉक्टर मृत्युंजय सिंह ने बगैर आंख जांच किए उन्हें दवा दी. मरीज ने बताया कि दवा डालने के बाद आंखों में खुजली होने लगी. जिससे वह घबरा गया. लिहाजा उन्होंने दवा अपने बेटे को दिखाई. जिसके बाद मालूम चला कि दवा एक्सपायरी है. मरीज बनारसी राम ने कहा कि उन्होंने इसकी शिकायत अस्पताल प्रशासन से की है.

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अस्पताल उपाधीक्षक चंदेश्वरी रजक

'दोषियों पर होगी कार्रवाई'
इस संबंध में अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक चंदेश्वरी रजक ने बताया कि आरोप संज्ञान में आया है. इसपर गहन जांच होगी. उपाधीक्षक ने बताया कि इस ममाले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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झोलाछाप नहीं बल्कि सरकारी डॉक्टर पर मरीज ने एक्सपायरी दवाई देने का लगाया आरोप

कैमूर

बिहार सरकार चाहे कितनी भी दाव ठोक ले लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं। बात अगर स्वास्थ्य विभाग की हो तो स्थिति बद से बतर हैं।


आपकों बतादें कि कैमूर जिले के स्वास्थ्य विभाग के विषय में जहां की डॉक्टर हैं तो अस्पताल नहीं अस्पताल है तो डॉक्टर नही।

मोहनिया प्रखंड के कटरा गांव स्तिथ अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र से एक अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया हैं।

एक तो अक्सर स्वस्थ केंद्र बंद रहता है। 1 महीने में कभी कभार खुलता है जब खुलता है तो ग्रामीण दवा लेने के लिए वहां जाते हैं ग्रामीणों को दवा तक नसीब नही हो पाती हैं।

ग्रामीणों का आरोप हैं की डॉक्टर साहब के द्वारा बोला जाता है कि दवा ही नहीं है यही नही बल्कि एक मरीज को तो एक्सपायरी दवा दे दी गई।


गांव निवासी बनारसी राम ने बताएं कि यहां डॉक्टर मृत्युजय सिंह आए थे हमने उनसे बोला कि हमारे आंख में दर्द हो रहा है डॉक्टर साहब बगैर जांच किए ही हमको दवा उठा कर दे दिए। जब हमने दवा खाया तो हमको गजब सा होने लगा तब हमने अपने लड़कों को दवा दिखाये तो लड़का के द्वारा बोला गया कि यह दवा एक्सपायरी है । जिसका की जीता जागता सबूत आज भी हमने रखा है ।

लोगों में डॉक्टर के प्रति इतनी नाराजगी हैं कि लोग कहते हैं कि डॉक्टर को ज्ञान नहीं है कि दवा एक्सपायरी कब हुई यह डॉक्टर को ही नही पता हैं या लापरवाही हैं।

जो दवा मिला है वह अप्रैल 2019 में ही एक्सपायर हो गया था लेकिन अक्टूबर महीना चल रहा है लगभग 6 महीना पूर्व एक्सपायरी दवा हमें देकर डॉक्टर साहब चले गए।

तब से लेकर अभी तक हम इस दवा को रखे हैं कि डॉक्टर साहब आएंगे तो हम उनको दिखाएंगे ।

बिहार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही अक्सर उजागर होती है। आखिर स्वास्थ्य विभाग कब सुधरेगा लोगों को कब अच्छी और सुविधापूर्ण इलाज मिलेगी। इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हैं।

इस संबंध में जब अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक से पूछा गया तो उपाधीक्षक के द्वारा यह कह कर टाल दिया गया कि अगर इस तरह की मामला है तो जांच किया जाएगा और कार्रवाई भी की जाएगी लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर कब तक इस तरह की व्यवस्था चलेगी लोगों के बीच एक सवाल बनकर घूम रहा है कि आखिर बिहार सरकार क्यों नहीं स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार रही है ।Conclusion:
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