ETV Bharat / state

पति के साथ एक साल से घूम-घूमकर लोगों से वोट मांगती थीं समदेईया देवी, 8254 मतों से जीतकर बनीं जिला पार्षद

समदेईया देवी कैमूर के भगवानपुर से जिला परिषद की सदस्य (Samdeiya Devi became member of Zilla Parishad) बनीं हैं. उन्होंने 8254 मतों से जीत हासिल की है. गरीब महादलित परिवार से आने वाली समदेईया पिछले एक साल से अपने पति के साथ मिलकर क्षेत्र में घूम-घूमकर लोगों से वोट मांगती थीं.

समदेईया देवी जिला परिषद की सदस्य बनीं
समदेईया देवी जिला परिषद की सदस्य बनीं
author img

By

Published : Nov 18, 2021, 8:35 PM IST

कैमूर (भभुआ): बुधवार को बिहार के कैमूर (Kaimur) जिले के भगवानपुर प्रखण्ड में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) के सातवें चरण की मतगणना का परिणाम आया. महादलित परिवार से आने वाली समदेईया देवी जिला परिषद की सदस्य (Samdeiya Devi became member of Zilla Parishad) चुनी गईं हैं. उनकी धमाकेदार जीत इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.

ये भी पढ़ें: मुंगेर की बांक पंचायत से बहू बनी मुखिया और सास चुनी गयी पंचायत समिति की सदस्य

बेहद गरीब परिवार से आने वाली समदेईया देवी को जिला परिषद चुना में 15,715 वोट मिले हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को रिकॉर्ड 8254 मतों से करारी शिकस्त दी है. हालांकि ये जीत इतनी आसान नहीं है. समदेईया देवी और उनके पति मलु मुसहर पिछले पांच साल से लगातार पसीना बहा रहे थे. मलु मुसहर कहते हैं कि 2006 में वह वार्ड सदस्य बने थे. 2011 में मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ा था, लेकिन मात्र 206 वोट ही मिले. जिसके बाद 2016 में जिला परिषद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. तब 5000 वोट मिले थे.

देखें रिपोर्ट

मलु मुसहर कहते हैं कि तभी ही हमने ठान लिया था कि अगले चुनाव में हर हाल में जीत हासिल करेंगे. मन में प्रण लेकर पूरे 5 साल तक लोगों के बीच जाते रहे. हर गांव और हर घर जाकर लोगों से मिले. कुछ उनकी सुनी, कुछ अपने बारे में बताया. 5 साल की मेहनत और जन सेवा को देखते हुए लोगों ने इस बार हमें भारी अंतर से विजय दिलाई है.

ये भी पढ़ें: JDU सांसद का बेटा नहीं जीत पाया मुखिया का चुनाव, मिली करारी शिकस्त

गरीबी के कारण प्रचार करने के लिए इनके पास कोई गाड़ी नहीं थी, जिस वजह से पैदल ही हर गांव का भ्रमण करते थे. समदेईया देवी कहती हैं कि पिछले साल से ही जनता से जनसम्पर्क करते रहे. क्षेत्र बड़ा होने के कारण महीनों महीनों घर नहीं आते थे. पैदल चलते-चलते अब तक पांच जोड़ी चपल टूट गई. चंदा के पैसे से खर्चा-पानी चलता था.

समदेईया देवी भगवानपुर प्रखण्ड के मोकरम गांव की रहने वाली हैं. परिवार में तीन बेटे और दो बेटियां हैं. दो बेटों की शादी हो गई है. उनके पास अभी भी रहने की दिक्कत है. इंदिरा आवास योजना से एक घर बना पाए हैं. वहीं आंगन में झोपड़ी बनाकर परिवार के बाकी सदस्य किसी तरह गुजारा करते हैं. इस नव निर्वाचित जिला पार्षद के घर तक सड़क भी नहीं है. नाली और शौचालय की भी दिक्कत है.

जीत के बाद जनता का आभार जताते हुए समदेईया देवी कहती हैं कि उनकी पूरी कोशिश होगी कि इलाके का विकास हो. आवास, सड़क, शौचालय, नाली और अन्य दूसरी जरूरी सुविधाएं ठीक करने का प्रयास करेंगे. गांव के लोग भी उनकी जीत से काफी खुश हैं.

कैमूर (भभुआ): बुधवार को बिहार के कैमूर (Kaimur) जिले के भगवानपुर प्रखण्ड में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) के सातवें चरण की मतगणना का परिणाम आया. महादलित परिवार से आने वाली समदेईया देवी जिला परिषद की सदस्य (Samdeiya Devi became member of Zilla Parishad) चुनी गईं हैं. उनकी धमाकेदार जीत इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.

ये भी पढ़ें: मुंगेर की बांक पंचायत से बहू बनी मुखिया और सास चुनी गयी पंचायत समिति की सदस्य

बेहद गरीब परिवार से आने वाली समदेईया देवी को जिला परिषद चुना में 15,715 वोट मिले हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को रिकॉर्ड 8254 मतों से करारी शिकस्त दी है. हालांकि ये जीत इतनी आसान नहीं है. समदेईया देवी और उनके पति मलु मुसहर पिछले पांच साल से लगातार पसीना बहा रहे थे. मलु मुसहर कहते हैं कि 2006 में वह वार्ड सदस्य बने थे. 2011 में मुखिया पद के लिए चुनाव लड़ा था, लेकिन मात्र 206 वोट ही मिले. जिसके बाद 2016 में जिला परिषद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. तब 5000 वोट मिले थे.

देखें रिपोर्ट

मलु मुसहर कहते हैं कि तभी ही हमने ठान लिया था कि अगले चुनाव में हर हाल में जीत हासिल करेंगे. मन में प्रण लेकर पूरे 5 साल तक लोगों के बीच जाते रहे. हर गांव और हर घर जाकर लोगों से मिले. कुछ उनकी सुनी, कुछ अपने बारे में बताया. 5 साल की मेहनत और जन सेवा को देखते हुए लोगों ने इस बार हमें भारी अंतर से विजय दिलाई है.

ये भी पढ़ें: JDU सांसद का बेटा नहीं जीत पाया मुखिया का चुनाव, मिली करारी शिकस्त

गरीबी के कारण प्रचार करने के लिए इनके पास कोई गाड़ी नहीं थी, जिस वजह से पैदल ही हर गांव का भ्रमण करते थे. समदेईया देवी कहती हैं कि पिछले साल से ही जनता से जनसम्पर्क करते रहे. क्षेत्र बड़ा होने के कारण महीनों महीनों घर नहीं आते थे. पैदल चलते-चलते अब तक पांच जोड़ी चपल टूट गई. चंदा के पैसे से खर्चा-पानी चलता था.

समदेईया देवी भगवानपुर प्रखण्ड के मोकरम गांव की रहने वाली हैं. परिवार में तीन बेटे और दो बेटियां हैं. दो बेटों की शादी हो गई है. उनके पास अभी भी रहने की दिक्कत है. इंदिरा आवास योजना से एक घर बना पाए हैं. वहीं आंगन में झोपड़ी बनाकर परिवार के बाकी सदस्य किसी तरह गुजारा करते हैं. इस नव निर्वाचित जिला पार्षद के घर तक सड़क भी नहीं है. नाली और शौचालय की भी दिक्कत है.

जीत के बाद जनता का आभार जताते हुए समदेईया देवी कहती हैं कि उनकी पूरी कोशिश होगी कि इलाके का विकास हो. आवास, सड़क, शौचालय, नाली और अन्य दूसरी जरूरी सुविधाएं ठीक करने का प्रयास करेंगे. गांव के लोग भी उनकी जीत से काफी खुश हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.