कैमूर (भभुआ): वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस वे (Varanasi Kolkata Expressway) निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण में मुआवजा को लेकर पेच फंसा है. किसानों का आरोप है कि उन्हें सही मुआवजा नहीं दी जा रही है. इसके लिए शनिवार को किसानों द्वारा महापंचायत बुलायी गयी थी. इस पंचायत में भाग लेने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत कैमूर के चांद में पहुंचे. हजारों की संख्या में जिले के कोने कोने से किसान पहुंचे हुए थे. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी इस महापंचायत में पहुंचे थे. किसानों ने राकेश टिकैत एवं सुधाकर सिंह का स्वागत किया.
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जमीन का उचित मुआवजाः किसानों की मांग है कि दूसरे राज्य की तरह ही बिहार के किसानों को भी एक्सप्रेसवे में जाने वाली जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए. इसको लेकर कई बार किसानों द्वारा प्रदर्शन भी किया जा चुका है. आज किसानों के समर्थन में पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि बिना आंदोलन किए किसानों की जमीन का उचित मुआवजा सरकार नहीं देगी. आंदोलन होगा तभी सरकार सुनेगी और एक्सप्रेसवे में जाने वाले कैमूर के किसानों की जमीन का उचित मुआवजा मिल पाएगा.
जमीन के लिए लड़ने को रहें तैयारः राकेश टिकैत ने कैमूर के किसानों से अपील की है कि आप किसी भी हालत में अपनी जमीन का सौदा ना करें. बल्कि बाहर कार्य करने ना जाकर अपने जमीन में ही धान, गेहूं, सब्जी इत्यादि की बुआई करें. क्योंकि जमीन हमारी है. यह कभी तकलीफ नहीं देगी. अपनी जमीन को अपने मां-बाप या भगवान की तरह समझें, क्योंकि अगर एक बार यह जमीन आपके हाथ से निकल जाती है तो बाद में पछताना पड़ता है. सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. इसलिए जब भी आपकी जमीन पर कोई आघात करता है तो, उससे लड़ने के लिए तैयार रहें.
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बिहार में मंडी कानून जरूरीः किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब से बिहार में मंडी कानून बंद हुआ है, तब से बिहार का किसान बर्बाद हो गया है. जब पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह बिहार के किसानों के बारे में लड़ना शुरू किया तो उनसे इस्तीफा दिलवाया गया. उन्होंने सुधाकर सिंह को क्रांतिकारी व्यक्ति बताया. साथ ही कहा कि इन्हीं के अगुआई में बिहार सरकार मंडी कानून को चालू करेगी. मंडी चालू करने के अलावा बिहार सरकार के पास और कोई दूसरा चारा नहीं है.
अपना हक लेकर रहेंगेः पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि 2 साल पहले भी सरकार द्वारा कैमूर के दुर्गावती में बिजली किट लगाने पर एक करोड़ 28 लाख रुपए प्रति एकड़ जमीन का मुआवजा दिया था. लेकिन अब जमीन की कीमत बढ़ी है तो एक्सप्रेस वे के लिए उचित मुआवजा नहीं देकर कम रेट दे रही है. इसलिए जब तक सरकार किसानों को सही मुआवजा नहीं देती तब तक हम किसान बाध्य होकर लड़ते रहेंगे. अपना हक लेकर रहेंगे.
"बिना आंदोलन किए किसानों की जमीन का उचित मुआवजा सरकार नहीं देगी. आंदोलन होगा तभी सरकार सुनेगी और एक्सप्रेसवे में जाने वाले कैमूर के किसानों की जमीन का उचित मुआवजा मिल पाएगा"- राकेश टिकैत, किसान नेता