कैमूरः जिले के अधौरा प्रखंड स्थित विनोवानगर गांव में लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. गांव के लोगों को सरकार की जन वितरण प्रणाली योजना के तहत राशन लेने के लिए बारह किमी तक जटिल पहाड़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है. यहां के लोग जान जोखिम में डालकर राशन लेने जाते हैं.
खानापूर्ति के नाम पर मिलता है राशन
बता दें कि अधौरा प्रखंड नक्सलग्रस्त क्षेत्र में शुमार है. यह प्रखंड कैमूर पहाड़ी पर बसा हुआ है. इस प्रखंड के विनोवानगर गांव में लोगों को खानापूर्ति के नाम पर साल में 3-4 बार ही राशन दिया जाता है. उसे लेने के लिए भी दूसरा कोई रास्ता नहीं होने की वजह से लोगों को 12 किमी दुर्गम पहाड़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है.
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जान जोखिम में डालने को मजबूर लोग
खास बात यह है कि इस गांव में ऐसे कई परिवार हैं, जिन्होंने नक्सलवाद छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ने के लिए खुद को प्रशासन के सामने सरेंडर किया था, लेकिन आज वह दो वक्त की रोटी के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं. यही नहीं गांव की महिलाएं भी पुरुषों की गैरमौजूदगी में पहाड़ की चढ़ाई करके राशन लेने जाती हैं.
नहीं मिलता है हर महीने राशन
नक्सलवाद छोड़कर मुख्य धारा से जुड़े गांव के रामसूरत राम ने बताया कि ग्रामीणों को हर महीने राशन नहीं मिलता है. 6 महीने बाद उन्हें राशन मिला है. उन्होंने बताया कि विनोवानगर गांव से पंचायत बड़वानकला पहाड़ के रास्ते 12 किमी की दूरी पर है. वहीं, रोड से यह दूरी 50 किमी है. ऐसे में पिछले कई दशक से गांव के लोग पहाड़ियों की चढ़ाई करके राशन लाते हैं.
झेलनी पड़ती है परेशानी
स्थानीय कलावती देवी ने बताया कि पहाड़ की चढ़ाई के बाद उन्हें राशन तो मिल गया लेकिन राशन उठाकर ले जाने में सक्षम नहीं होने के कारण कई दफा खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है. इससे काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.
एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना
डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बताया कि उनके संज्ञान में ये मामला है, लेकिन दूसरे केंद्र से राशन लेने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से वे कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि जून 2020 से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना लागू हो जाएगी. जिसके बाद ग्रामीणों को किसी राशन केंद्र से राशन मिल जाएगा.