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कचरे से जैविक खाद बना रहा भभुआ नगर परिषद, किसानों को 6 रुपये/किलो की दर से कराया जा रहा उपलब्ध

सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार बताया कि डाभ के छिलके, पेड़ के टूटे पत्ते और गाय के गोबर को गीले कचरे में मिक्स किया जाता है. 1 लीटर माइनर केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे 4-5 क्विंटल खाद तैयार होती है. पूरी प्रक्रिया में 6-7 सप्ताह का समय लगता है.

organic manure is being made
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Published : Jan 29, 2020, 12:58 PM IST

कैमूर: नगर परिषद भभुआ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम कदम उठाये हैं. ग्रीन भभुआ, क्लीन भभुआ के सपनों को साकार करने के लिए नगर परिषद नें कचड़े से खाद बनाने का नया तरीका अपनाया है. इसके लिए नगर परिषद ने शहर में एक प्लांट लगाया है.

6 रुपये प्रति किलो की दर से मिलेगी खाद
नगर परिषद के मुताबिक आने वाले दिनों में ऐसे 3 प्लांट और लगाए जाएंगे, जहां कचरे से खाद बनाई जाएगी. ईटीवी भारत से बातचीत में नगर परिषद के सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार ने बताया कि नगर परिषद के कर्मी रोजाना सुबह डोर टू डोर कचरा लेते हैं और फिर सूखे और गीले कचरे को अलग किया जाता है. गीले कचरे को इस प्लांट पर लाया जाता है जहां खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसके बाद खाद पैक कर नगर परिषद द्वारा 6 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को उपलब्ध कराया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पूरी प्रक्रिया में लगता है 6-7 सप्ताह का समय
सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार बताया कि डाभ के छिलके, पेड़ के टूटे पत्ते और गाय के गोबर को गीले कचरे में मिक्स किया जाता है. 1 लीटर माइनर केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे 4-5 क्विंटल खाद तैयार होती है. पूरी प्रक्रिया में 6-7 सप्ताह का समय लगता है. जैसे ही खाद तैयार हो जाती है, उसकी पैकिंग की जाती है. परिषद सस्ते दरों में किसानों को खाद उपलब्ध कराता है. उन्होंने बताया कि ये खाद एकदम प्राकृतिक है और किसी भी तरह के केमिकल से मुक्त होती है.

अब 30 घंटों में होगा खाद का निर्माण
सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार कहते हैं कि दूसरे खादों की तुलना में प्राकृतिक होने के कारण इसका लाभ अधिक हैं. इसको देखते हुए नगर परिषद द्वारा मशीन लगाने की योजना है. मशीन 30 घंटों में खाद का निर्माण कर देगी. उन्होंने बताया कि जनसंख्या और एरिया को देखते हुए नगर परिषद ने ऐसे 3 प्लांट और लगाने का निर्णय लिया है. प्रस्ताव पारित होते ही प्लांट लगाए जाएंगे.

कैमूर: नगर परिषद भभुआ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम कदम उठाये हैं. ग्रीन भभुआ, क्लीन भभुआ के सपनों को साकार करने के लिए नगर परिषद नें कचड़े से खाद बनाने का नया तरीका अपनाया है. इसके लिए नगर परिषद ने शहर में एक प्लांट लगाया है.

6 रुपये प्रति किलो की दर से मिलेगी खाद
नगर परिषद के मुताबिक आने वाले दिनों में ऐसे 3 प्लांट और लगाए जाएंगे, जहां कचरे से खाद बनाई जाएगी. ईटीवी भारत से बातचीत में नगर परिषद के सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार ने बताया कि नगर परिषद के कर्मी रोजाना सुबह डोर टू डोर कचरा लेते हैं और फिर सूखे और गीले कचरे को अलग किया जाता है. गीले कचरे को इस प्लांट पर लाया जाता है जहां खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसके बाद खाद पैक कर नगर परिषद द्वारा 6 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को उपलब्ध कराया जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पूरी प्रक्रिया में लगता है 6-7 सप्ताह का समय
सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार बताया कि डाभ के छिलके, पेड़ के टूटे पत्ते और गाय के गोबर को गीले कचरे में मिक्स किया जाता है. 1 लीटर माइनर केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे 4-5 क्विंटल खाद तैयार होती है. पूरी प्रक्रिया में 6-7 सप्ताह का समय लगता है. जैसे ही खाद तैयार हो जाती है, उसकी पैकिंग की जाती है. परिषद सस्ते दरों में किसानों को खाद उपलब्ध कराता है. उन्होंने बताया कि ये खाद एकदम प्राकृतिक है और किसी भी तरह के केमिकल से मुक्त होती है.

अब 30 घंटों में होगा खाद का निर्माण
सैनेटरी इंस्पेक्टर संजीत कुमार कहते हैं कि दूसरे खादों की तुलना में प्राकृतिक होने के कारण इसका लाभ अधिक हैं. इसको देखते हुए नगर परिषद द्वारा मशीन लगाने की योजना है. मशीन 30 घंटों में खाद का निर्माण कर देगी. उन्होंने बताया कि जनसंख्या और एरिया को देखते हुए नगर परिषद ने ऐसे 3 प्लांट और लगाने का निर्णय लिया है. प्रस्ताव पारित होते ही प्लांट लगाए जाएंगे.

Intro:कैमूर। नगर परिषद भभुआ द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम कदम उठाये गए हैं। ग्रीन भभुआ क्लीन भभुआ के सपनों को साकार करनें के लिए नगर परिषद नें कचड़े से खाद बनाने का नया तरीका अपनाया हैं।


Body:आपकों बतादें कि नगर परिषद अब कचड़े से खाद बना रहीं हैं। इसके लिए नगर परिषद ने शहर में एक प्लांट बैठाया हैं। नगर परिषद की मानें तो आनेवालों दिनों में ऐसे 3 प्लांट और बैठाये जाएंगे जहाँ कचड़े से खाद बनाया जाएगा। ईटीवी भारत से बातचीत में नगर परिषद के सैनिट्री इंस्पेक्टर संजीत कुमार नें बताया कि नगर परिषद के कर्मी प्रतिदिन सुबह डोर टू डोर कचड़ा लेते हैं और फिर सूखे और गीले कचड़े को अलग किया जाता हैं। फिर गीला कचड़ा को इस प्लांट पर लाया जाता हैं जहां खाद बनाने की प्रक्रिया होती हैं। जिसको पैक कर नगर परिषद द्वारा 6 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को उपलब्ध कराया जाता हैं। उन्होंने बताया कि डाभ के छिलखे, पेड़ के टूटे पत्ते और गाय के गोबर को गीले कचड़े में मिक्स किया जाता हैं और 1 लीटर माइनर केमिकल का प्रयोग किया जाता हैं। जिससे 4-5 क्विंटल खाद तैयार होता हैं। पूरे प्रक्रिया में 6-7 सप्ताह का समय लगता हैं। जैसे ही खाद तैयार हो जाता हैं उसकी पैकिंग की जाती हैं और परिषद द्वारा सस्ते दरों में किसानों को उपलब्ध कराया जाता हैं। उन्होंने बताया कि यह खाद एकदम प्राकृतिक केमिकल मुक्त होती हैं अन्य खादों की अपेक्षा प्राकृतिक होने के कारण इसका लाभ अधिक हैं। इसको देखते हुए नगर परिषद द्वारा मशीन लगाने की योजना हैं मशीन 30 घंटों में खाद का निर्माण कर देगी। उन्होंने बताया कि जनसंख्या और एरिया को देखते हुए नगर परिषद द्वारा 3 ऐसे प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया हैं। प्रस्ताव पारित होते ही प्लांट लागये जाएंगे।


Conclusion:नगर परिषद भभुआ के यह कदम स्वच्छ भभुआ को मजबूती प्रदान करता हैं और क्लीन भभुआ और ग्रीन भभुआ के लिए एक कारगार कदम हैं।
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