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कैमूर: CM नीतीश का वादा हुआ फेल, 8 महीने बाद भी इको टूरिज्म पर नहीं हुआ कोई काम

सीएम ने 8 महीने पहले हीं पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से घेराबन्दी कराने को कहा था, लेकिन आज भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से करकटगढ़ जलप्रपात में कुछ मौजूद नहीं है. पर्यटक बिना किसी रोक-टोक के झील से महज 5 फीट की दूरी पर खड़े होकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले लेते हैं, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी खतरनाक है.

जलप्रपात
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Published : Aug 23, 2019, 10:49 AM IST

कैमूर: सीएम नीतीश कुमार ने 8 जनवरी 2019 को जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर स्तिथ करकटगढ़ जलप्रपात को इको टूरिज्म बनाने की घोषणा की थी. उन्होनें यह भी ऐलान किया था कि इस जलप्रपात में मगरमच्छ संरक्षण केन्द्र भी बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री के घोषणा के 8 माह से अधिक हो गए, लेकिन आज भी जमीनी स्तर पर कुछ काम नही हो सका है. दूसरी तरफ वन विभाग कैमूर का दावा है कि डीपीआर तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई सूचना उपलब्ध नही हुई है.

कैमूर
करकटगढ़ जलप्रपात से नीचे का दृश्य

सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी खतरनाक
ईटीवी भारत ने जब इस पर्यटक स्थल का जायजा लिया तो पाया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहाँ कुछ काम नहीं हुआ है. पर्यटक आसानी से बिना किसी रोक-टोक के झील से महज 5 फीट की दूरी पर खड़े होकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले सकते हैं. वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह काफी खतरनाक है. पीछे पानी की तेज धार और सैकड़ो फीट की गहराई में कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है.

कैमूर
खतरनाक जगहों पर खड़े पर्यटक

सीएम ने दिए थे घेराबन्दी के आदेश
आपकों बता दें की सीएम ने पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से घेराबन्दी कराने को कहा था, लेकिन आज भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से करकटगढ़ में कुछ मौजूद नही है. सीएम के आने से कुछ काम तो हुआ है, लेकिन अभी भी काम आधा-अधूरा है. वहीं डीएफओ विकास अहलावत ने बताया कि विभाग के द्वारा सरकार को डीआरपी तैयार कर भेज दिया गया है. सरकार से आदेश प्राप्त होते हीं इको टूरिज्म और मगरमच्छ संरक्षण पर काम शुरू किया जाएगा.

करकटगढ़ जलप्रपात पर्यटकों के लिए अभी भी खतरनाक

करकटगढ़ जलप्रपात में 25-30 मगरमच्छ
आपकों बतादें कि कर्मनाशा नदी पर कैमूर वन प्राणी क्षेत्र अंतर्गत इस जलप्रपात में मगरमच्छ की अच्छी खासी संख्या है. वन विभाग की माने तो इस जलप्रपात में 25 से 30 मगरमच्छ हैं, जो सालोभर यहीं रहते हैं. इस जलप्रपात की ऊँचाई करीब 35 फीट है और यह जलप्रपात जिला मुख्यालय भभुआ से 50 किमी की दूरी पर कैमूर पहाड़ी में स्तिथ है.

कैमूर
कैमूर पहाड़ी में स्थित खतरनाक जलप्रपात

शिमला और देहरादून की वादियों से कम नहीं है
आपको बता दें कि यहां की खूबसूरती शिमला और देहरादून की वादियों से कम नहीं है. कैमूर पहाड़ी की गोद में कई कुंड बसे हैं. यहां मंझार कुंड, सीता कुंड और धुंआ कुंड मौजूद है. बिहार के कई हिस्सों से यहां पर लोग पहुंचते हैं और इन खूबसूरत वादियों का मजा लेते हैं. इन खूबसूरत वादियों के बीच बसे झरने को देखकर लोगों का दिल बाग-बाग हो जाता है. लोग झरने में नहाकर भी यहां का लुप्त उठाते हैं.

कैमूर
कैमूर पहाड़ी की खूबसूरती

कैमूर: सीएम नीतीश कुमार ने 8 जनवरी 2019 को जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर स्तिथ करकटगढ़ जलप्रपात को इको टूरिज्म बनाने की घोषणा की थी. उन्होनें यह भी ऐलान किया था कि इस जलप्रपात में मगरमच्छ संरक्षण केन्द्र भी बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री के घोषणा के 8 माह से अधिक हो गए, लेकिन आज भी जमीनी स्तर पर कुछ काम नही हो सका है. दूसरी तरफ वन विभाग कैमूर का दावा है कि डीपीआर तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई सूचना उपलब्ध नही हुई है.

कैमूर
करकटगढ़ जलप्रपात से नीचे का दृश्य

सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी खतरनाक
ईटीवी भारत ने जब इस पर्यटक स्थल का जायजा लिया तो पाया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहाँ कुछ काम नहीं हुआ है. पर्यटक आसानी से बिना किसी रोक-टोक के झील से महज 5 फीट की दूरी पर खड़े होकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले सकते हैं. वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह काफी खतरनाक है. पीछे पानी की तेज धार और सैकड़ो फीट की गहराई में कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है.

कैमूर
खतरनाक जगहों पर खड़े पर्यटक

सीएम ने दिए थे घेराबन्दी के आदेश
आपकों बता दें की सीएम ने पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से घेराबन्दी कराने को कहा था, लेकिन आज भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से करकटगढ़ में कुछ मौजूद नही है. सीएम के आने से कुछ काम तो हुआ है, लेकिन अभी भी काम आधा-अधूरा है. वहीं डीएफओ विकास अहलावत ने बताया कि विभाग के द्वारा सरकार को डीआरपी तैयार कर भेज दिया गया है. सरकार से आदेश प्राप्त होते हीं इको टूरिज्म और मगरमच्छ संरक्षण पर काम शुरू किया जाएगा.

करकटगढ़ जलप्रपात पर्यटकों के लिए अभी भी खतरनाक

करकटगढ़ जलप्रपात में 25-30 मगरमच्छ
आपकों बतादें कि कर्मनाशा नदी पर कैमूर वन प्राणी क्षेत्र अंतर्गत इस जलप्रपात में मगरमच्छ की अच्छी खासी संख्या है. वन विभाग की माने तो इस जलप्रपात में 25 से 30 मगरमच्छ हैं, जो सालोभर यहीं रहते हैं. इस जलप्रपात की ऊँचाई करीब 35 फीट है और यह जलप्रपात जिला मुख्यालय भभुआ से 50 किमी की दूरी पर कैमूर पहाड़ी में स्तिथ है.

कैमूर
कैमूर पहाड़ी में स्थित खतरनाक जलप्रपात

शिमला और देहरादून की वादियों से कम नहीं है
आपको बता दें कि यहां की खूबसूरती शिमला और देहरादून की वादियों से कम नहीं है. कैमूर पहाड़ी की गोद में कई कुंड बसे हैं. यहां मंझार कुंड, सीता कुंड और धुंआ कुंड मौजूद है. बिहार के कई हिस्सों से यहां पर लोग पहुंचते हैं और इन खूबसूरत वादियों का मजा लेते हैं. इन खूबसूरत वादियों के बीच बसे झरने को देखकर लोगों का दिल बाग-बाग हो जाता है. लोग झरने में नहाकर भी यहां का लुप्त उठाते हैं.

कैमूर
कैमूर पहाड़ी की खूबसूरती
Intro:कैमूर।

बिहार के मुखिया ने 8 जनवरी 2019 को जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कैमूर पहाड़ी पर स्तिथ करकटगढ़ जलप्रपात को एको टूरिज्म बनाने की न सिर्फ घोषणा की थी बल्कि यह भी ऐलान किया था कि इस जलप्रपात में मगरमच्छ संरक्षण केन्द्र भी बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री के घोषणा के 8 माह से अधिक हो गए लेकिन आज भी जमीनी स्तर पर कुछ काम नही हो सका हैं। दूसरी तरफ वन विभाग कैमूर का दावा हैं कि डीपीआर तैयार कर सरकार को भेज दिया गया हैं लेकिन अभी सरकार की तरफ से कोई सूचना उपलब्ध नही हुई हैं।


Body:आपकों बतादें की सीएम साहेब ने पर्यटकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से घेराबन्दी कराने को कहा था। लेकिन आज भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से करकटगढ़ में कुछ मौजूद नही हैं। सीएम साहेब के आने से कुछ काम तो हुआ लेकिन अभी तक आधा अधूरा हैं। ईटीवी भारत ने जब इस पर्यटक स्थल का जायजा लिया तो पाया कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से अभी यहाँ न के बराबर काम हुआ हैं। पर्यटक आसानी से बिना किसी रोक टोक के झील से महज 5 फ़ीट की दूरी पर खड़े होकर प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले सकते हैं । लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह काफी खतरनाक हैं। पीछे पानी की तेज धार और सैकड़ो फ़ीट की गहराई में कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती हैं ।


डीएफओ विकास अहलावत ने बताया कि विभाग के द्वारा सरकार को डीआरपी तैयार कर भेज दिया गया हैं। जैसे ही सरकार से आदेश प्राप्त होता हैं। एको टूरिज्म और मगरमच्छ संरक्षण पर काम शुरू किया जाएगा।

करकटगढ़ जलप्रपात में 25-30 मगरमच्छ
आपकों बतादें की कर्मनाशा नदी पर कैमूर वन प्राणी क्षेत्र अंतर्गत इस जलप्रपात में मगरमच्छ की अच्छी खासी संख्या हैं। वन विभाग की माने तो इस जलप्रपात 25 से 30 मगरमच्छ हैं जो सालोभर यही रहते हैं। इस जलप्रपात की ऊँचाई करीब 35 फ़ीट हैं और यह जलप्रपात जिला मुख्यालय भभुआ से 50 किमी की दूरी पर कैमूर पहाड़ी पर स्तिथ हैं।


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