कैमूर: बिहार में एक बार फिर से चुनावी रणीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर सियासत गरम हो चुकी है. 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर पीके ने राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया है. ऐसे में बिहार के राजनीतिक दलो में बैचेनी बढ़ गई है. इसी बीच बिहार सरकार में जदयू कोटे से अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान ने प्रशांत किशोर को जदयू में शामिल होने का ऑफर (Minister Jama Khan Offer Prashant Kishor To Join JDU) दिया है. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर अगर जदयू में शामिल होते है तो निश्चित रूप से पार्टी को मजबूती मिलेगी. साथ ही जमा खान ने कहा कि वो अगर जदयू में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है.
ये भी पढ़ें: बिहार की सियासत में पीके की दस्तक से मची खलबली, तमाम दलों के निशाने पर आए 'चुनावी रणनीतिकार'
मंत्री जमा खान का प्रशांत किशोर को ऑफर: अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री जमा खान ने चुनावी रणीतिकार प्रशांत किशोर को जदयू में शामिल होने का ऑफर देते हुए कहा कि वो पहले भी हमारी पार्टी से जुड़े रहे हैं. अगर पीके फिर से जदयू में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. उनके पार्टी में शामिल होने से निश्चित तौर पर पार्टी को मजबूती मिलेगी. वो पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं.
''प्रशांत किशोर पहले भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं. अगर वो हमारे पार्टी में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. उनके लिए पार्टी का दरवाजा खुला है, मुख्यमंत्री उनका स्वागत करेंगे. प्रशांत किशोर के जदयू में आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी.''- जमा खान, अलसंख्यक कल्याण मंत्री, बिहार सरकार
2018 में JDU में शामिल हुए थे pK: चार साल पहले बिहार में उनका संक्षिप्त राजनीतिक कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल के साथ शुरू हुआ था. तब उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 16 महीने बाद ही उन्होंने मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने साल 2018 में जेडीयू की सदस्यता ली थी. लेकिन नीतीश कुमार संग उनकी ये राजनीतिक पारी ज्यादा लंबी नहीं चली और उन्होंने 2020 में पार्टी छोड़ दी.
ये भी पढ़ें: राजनीति में प्रशांत किशोर की एंट्री के सवाल पर सीएम नीतीश कुमार ने कही ये बड़ी बात
क्यों खफा हैं प्रशांत-नीतीश?: बता दें कि प्रशांत किशोर और सीएम नीतीश कुमार दोनों की सहमति से सात निश्चय योजना को बिहार में लागू भी किया गया था. पीके सात निश्चय योजना को सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते थे. नीतीश कुमार प्रशांत किशोर से इतने खुश थे कि उन्हें फ्री हैंड दे रखा था. प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी भी बताया जा रहा था. लेकिन परिस्थितियां बदली और दोनों की राहें अलग अलग हो गईं. प्रशांत किशोर ने जदयू छोड़ दिया और फिर दूसरे राज्यों में रणनीतिकार के रूप में काम करने लगे.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP