कैमूर: जिले के यूपी-बिहार बॉर्डर पर प्रवासी मजदूर कई दिनों तक पैदल सैकड़ों किमी सफर पूरा कर लगभद प्रतिदिन पहुंच रहे हैं. बिहार सरकार ने सभी मजदूरों को हेल्थ जांच के बाद सभी को उनके गृह जिलें तक बसों से मुफ्त में पहुंचाने की बात कही है. लेकिन, जब ईटीवी भारत की टीम ने राज्य बार्डर पर मिल रहे सुविधाओं की जमीनी हकीकत की पड़कता की तो कई ऐसे खुलासे हुए जो सरकारी सुविधाओं की पोल खोल रहे थे.
जिलावार लगाया गया है टेंट
बता दें कि यूपी-बिहार बॉर्डर पर पहुंचने वाले प्रवासियों के लिए जिलावार टेन्ट लगाया गया है. बसों के इंतजार करने के लिए सभी को टेंट में बैठाया जा रहा है. लेकिन टेंट में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही है. बस का इंतजार कर रहे मजदूरों ने बताया कि हम बस के लिए 48 घंटे से इंतजार कर रहे हैं. सैकड़ों किमी की दूरी तय कर घर पहुंचने की आस में पैदल यात्रा कर कैमूर जिले के बिहार-यूपी बॉर्डर पर पहुंचे थे. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण हमलोग यहां पर टेंट के नीचे जैसे-तैसे समय काटने को मजबूर हैं.
बढ़ रहा कोरोना का आंकड़ा
गौरतलब है कि कोरोना वैश्विक आपदा से पूरा विश्व जूझ रहा है. इस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए भारत में लॉकडाउन लागू है. कैमूर की बात की जाए तो अब तक जिला में 32 पॉजिटिव मरीज मिले हैं. वहीं, बिहार के आंकड़े पर नजर डाले तो पूरे बिहार में शुक्रवार की रात 8 और कोरोना के मरीज मिले हैं. ये मरीज पटना, नालंदा, नवादा और बेगूसराय में मिले हैं. इसी के साथ बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 580 हो गई है. कोरोना वायरस ने बिहार के 38 में से 36 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है.