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कैमूर: नीतीश सरकार की गली-नाली योजना की खुल रही पोल, रोज पानी से होकर स्कूल जाते हैं बच्चे - kaimur

​​​​​​​ग्रामीणों ने बताया कि एक बार अंचलाधिकारी आये थे, उन्होंने पानी खुलवाया था और बरसात बाद स्थाई समाधान की बात कही थी. लेकिन बरसात बीत गई अधिकारी दोबारा नहीं आये.

Masoi village has drainage problem
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Published : Nov 24, 2019, 10:00 AM IST

कैमूर: गली-नाली योजना के आंकड़ों पर भले ही नीतीश सरकार अपनी पीठ थपथपाती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत जिले के चैनपुर प्रखंड में देखने को मिल जाएगी. यहां साल भर से पानी निकासी की समस्या है. जिसे लेकर प्रशासन की ओर से पहल नहीं की गई है. ग्रामीणों का कहना है कि इसको लेकर कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.

नीतीश सरकार की गली-नाली योजना ठप
दरअसल, जिले के चैनपुर प्रखंड के सिरबिट पंचायत के मसोई गांव में करीब सालभर से पानी निकासी की समस्या जैसी की तैसी बनी हुई है. यहां के वार्ड नंबर 11 में 50 घरों के लोगों को और बच्चों तक को प्रतिदिन इस पानी में से गुजर कर कहीं आना-जाना पड़ता है. इसको लेकर ग्रामीण ने लिखित शिकायत अधिकारियों को दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

drainage problem
पानी में साइकिल खींचते बच्चे

प्रशासन से कई बार की गई शिकायत
वार्ड सदस्य मनोहरा देवी ने बताया कि अधिकारियों और मुखिया से कई दफा गुहार लगाया गया है. लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि समस्या पिछले एक सालों से उत्पन्न हो रही है. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. छोटे छोटे स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानियां होती हैं.

drainage problem
पानी से गुजर कर स्कूल को जाते बच्चे

बच्चों और बुजुर्ग को ज्यादा परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि नली के गंदे पानी का कोई निकासी नहीं होने से आए दिन दिक्कत होता है. मुख्य गली पर करीब 50 मीटर तक पानी लग जाता है. इतना ही नहीं जलजमाव से 2 मकान भी गिर गए हैं. उन्होंने कहा कि थाना से लेकर डीएम और विधायक से लेकर सांसद तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. हर जगह से केवल आश्वासन मिलता है.

नीतीश सरकार की गली-नाली योजना की खुली पोल

यह भी पढ़े- मधेपुरा: लोक शिकायत निवारण कार्यालय में अधिकारियों की लापरवाही, नहीं सुनी जा रही जनता की समस्या

'जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा'
ग्रामीणों ने बताया कि एक दफा अंचलाधिकारी आये हुए थे, उन्होंने पानी खुलवाया था और बरसात बाद स्थाई समाधान की बात कही थी. लेकिन बरसात बीत गई अधिकारी दोबारा नहीं आये. ऐसे में बहुत परेशानी होती है. इन हालतों में ग्रामीणों की मांग है कि उनका कोई स्थाई समाधान किया जाए ताकि जलजमाव की समस्या का समाधान हो सके.

कैमूर: गली-नाली योजना के आंकड़ों पर भले ही नीतीश सरकार अपनी पीठ थपथपाती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत जिले के चैनपुर प्रखंड में देखने को मिल जाएगी. यहां साल भर से पानी निकासी की समस्या है. जिसे लेकर प्रशासन की ओर से पहल नहीं की गई है. ग्रामीणों का कहना है कि इसको लेकर कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.

नीतीश सरकार की गली-नाली योजना ठप
दरअसल, जिले के चैनपुर प्रखंड के सिरबिट पंचायत के मसोई गांव में करीब सालभर से पानी निकासी की समस्या जैसी की तैसी बनी हुई है. यहां के वार्ड नंबर 11 में 50 घरों के लोगों को और बच्चों तक को प्रतिदिन इस पानी में से गुजर कर कहीं आना-जाना पड़ता है. इसको लेकर ग्रामीण ने लिखित शिकायत अधिकारियों को दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

drainage problem
पानी में साइकिल खींचते बच्चे

प्रशासन से कई बार की गई शिकायत
वार्ड सदस्य मनोहरा देवी ने बताया कि अधिकारियों और मुखिया से कई दफा गुहार लगाया गया है. लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि समस्या पिछले एक सालों से उत्पन्न हो रही है. लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. छोटे छोटे स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानियां होती हैं.

drainage problem
पानी से गुजर कर स्कूल को जाते बच्चे

बच्चों और बुजुर्ग को ज्यादा परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि नली के गंदे पानी का कोई निकासी नहीं होने से आए दिन दिक्कत होता है. मुख्य गली पर करीब 50 मीटर तक पानी लग जाता है. इतना ही नहीं जलजमाव से 2 मकान भी गिर गए हैं. उन्होंने कहा कि थाना से लेकर डीएम और विधायक से लेकर सांसद तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया. हर जगह से केवल आश्वासन मिलता है.

नीतीश सरकार की गली-नाली योजना की खुली पोल

यह भी पढ़े- मधेपुरा: लोक शिकायत निवारण कार्यालय में अधिकारियों की लापरवाही, नहीं सुनी जा रही जनता की समस्या

'जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा'
ग्रामीणों ने बताया कि एक दफा अंचलाधिकारी आये हुए थे, उन्होंने पानी खुलवाया था और बरसात बाद स्थाई समाधान की बात कही थी. लेकिन बरसात बीत गई अधिकारी दोबारा नहीं आये. ऐसे में बहुत परेशानी होती है. इन हालतों में ग्रामीणों की मांग है कि उनका कोई स्थाई समाधान किया जाए ताकि जलजमाव की समस्या का समाधान हो सके.

Intro:कैमूर।

सीएम नीतीश कुमार की नली गली योजना के आंकड़े भले ही सरकार की पीठ थपथपाने हैं लेकिन इसकी जमीनी हकीकत देखना हो तो जिले के चैनपुर प्रखंड के सिरबिट पंचायत के मसोई गांव को जरूर देखना चाहिए। जहां वार्ड 11 में रहनेवाली क्लास एक कि छोटी बच्ची डॉक्टर बननें का सपना लिए हुए सीएम अंकल से गुहार लगा रहीं हैं कि गली नली का निर्माण करवा दें। स्कूल जाने में परेशानी होती हैं।


Body:आपकों बतादें कि इस वार्ड में नली गली के समस्या से मुखिया में मुंह मोड़ लिया हैं तो दूसरी तरह वार्ड सदस्य और ग्रामीण अधिकारियों से लेकर सांसद तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावे कही से जब कुछ नहीं मिला तो ग्रामीणों निराश हो गए।

आलम यह हैं कि एक साल से लगातार सालोभर मुख्य गली पर जलजमाव रहता हैं गली से गुजर कर रोजाना करीब 50 घरों के लोग जलमग्न गली में गिरते उठते आने जाने को विवश हैं। आलम यह हैं कि आंखों में डॉक्टर बननें के सपने लिए क्लास 1 में पढ़ाई करने वाली छात्रा संजना कुमारी सीएम अंकल से गुहार लगा रहीं हैं लेकिन इन ग्रामीणों की समस्या को सुनने वाला कोई नहीं हैं।


वार्ड सदस्य मनोहरा देवी का कहना हैं कि अधिकारियों और मुखिया से कई दफा गुहार लगा चुकी हैं लेकिन आश्वासन के अलावे कुछ नहीं मिला हैं। उन्होंने बताया कि समस्या पिछले 1 सालों से उत्पन्न हो रहीं हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं हैं। छोटे छोटे स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी होती हैं। सब कुछ रोजाना अपनी आंखों से देखती हैं लेकिन कुछ कर नहीं सकती हैं मजबूर हैं खुद इसी जलमग्न पानी से रोज गुजरती हैं।


ग्रामीणों ने बताया कि नली के गंदे पानी का कोई निकासी नहीं हैं। मुख्य गली पर करीब 50 मीटर तक पानी लग जाता हैं यहीं नही जलजमाव से 2 मकान भी गिर गए हैं। थाना से लेकर डीएम और विधायक से लेकर सांसद तक गुहार लगा चुके हैं। लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया सिर्फ आश्वासन मिलता हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि एक दफा अंचलाधिकारी आये हुए थे उन्होंने पानी खुलवाया था और बरसात बाद स्थाई समाधान की बात कहीं थी लेकिन बरसात बीत गई अधिकारी दोबारा नहीं आये। ऐसे में बहुत परेशानी होती हैं। ग्रामीणों की मांग हैं कि उनका कोई स्थाई समाधान किया जाए ताकि जलजमाव की समस्या का समाधान हो सके।



Conclusion:
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