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14 अप्रैल 1944 को शहीद हुए अग्निशमन कर्मियों को किया गया याद - fire brigade

कैमूर के भभुआ एवं मोहनिया अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत स्थानीय अग्निशमन कार्यालय में बुधवार को 14 अप्रैल 1944 को शहीद हुए अग्निशमन कर्मियों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.

kaimur
श्रद्धां​जलि देते अग्निशमन कर्मी
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Published : Apr 15, 2021, 3:33 AM IST

Updated : Apr 15, 2021, 6:57 AM IST

कैमूर: कही भी आग लगती है तो सबसे पहले किसकी याद आती है, हमारे और आपके पास जो जवाब होता है उसमें एक ही नाम होता है और वो है फायरब्रिगेड. फायर ब्रिगेड कह लें या दमकल या इन्हें इन्हें हम अग्निशमन विभाग कह लें, इनका मुख्य काम यहीं होता है कि आग की तेज लपटों के बीच कूदकर वहां फंसे लोगों की जान बचाना और आग पर काबू पाना. इसी अग्निशमन विभाग के लिए 14 अप्रैल का दिन विशेष महत्व रखता है. 77 साल पहले इसी दिन को मुंबई बंदरगाह पर लगी एक आग को बुझाने में दमकल कर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. उन्हीं दमकल कर्मियों की शहादत को बुधवार को भभुआ के स्थानीय अग्निशमन कार्यालय में याद किया गया.

इसे भी पढ़ें: अग्निशमन सेवा सप्ताह कार्यक्रम में शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

जहाज में लगी थी आग
जिले के भभुआ एवं मोहनिया अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत स्थानीय अग्निशमन कार्यालय में बुधवार 14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर मालवाहक जहाज में लगे आग को बुझाने में अपनी जान गवाने वाले अग्निशमन कर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई. अग्निशमन पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि 14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर मालवाहक जहाज में अचानक आग लग गई थी. जहाज में सेना के विस्फोटक युद्ध उपकरण एवं रुई थी.

66 अग्निशमन कर्मी हुए थे शहीद
उन्होंने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए पहुंचे 66 अग्निशमन कर्मी आग की भेंट चढ़ गए थे. इस हादसे ने पूरे देश को तब झकझोर कर रख दिया था. उन्हीं जाबाज शहीद अग्निशमन कर्मियों की याद में बुधवार को अग्निशमन कार्यालय परिसर में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर प्रधान अग्निक विजय शर्मा,अग्निक अभिजीत राज,गौतम कुमार,आलमगीर अंसारी, प्रभात कुमार, गृह रक्षक किशन राम, विनोद कुमार आदि शामिल रहे.

कैमूर: कही भी आग लगती है तो सबसे पहले किसकी याद आती है, हमारे और आपके पास जो जवाब होता है उसमें एक ही नाम होता है और वो है फायरब्रिगेड. फायर ब्रिगेड कह लें या दमकल या इन्हें इन्हें हम अग्निशमन विभाग कह लें, इनका मुख्य काम यहीं होता है कि आग की तेज लपटों के बीच कूदकर वहां फंसे लोगों की जान बचाना और आग पर काबू पाना. इसी अग्निशमन विभाग के लिए 14 अप्रैल का दिन विशेष महत्व रखता है. 77 साल पहले इसी दिन को मुंबई बंदरगाह पर लगी एक आग को बुझाने में दमकल कर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. उन्हीं दमकल कर्मियों की शहादत को बुधवार को भभुआ के स्थानीय अग्निशमन कार्यालय में याद किया गया.

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जहाज में लगी थी आग
जिले के भभुआ एवं मोहनिया अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत स्थानीय अग्निशमन कार्यालय में बुधवार 14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर मालवाहक जहाज में लगे आग को बुझाने में अपनी जान गवाने वाले अग्निशमन कर्मियों को श्रद्धांजलि दी गई. अग्निशमन पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि 14 अप्रैल 1944 को मुंबई बंदरगाह पर मालवाहक जहाज में अचानक आग लग गई थी. जहाज में सेना के विस्फोटक युद्ध उपकरण एवं रुई थी.

66 अग्निशमन कर्मी हुए थे शहीद
उन्होंने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए पहुंचे 66 अग्निशमन कर्मी आग की भेंट चढ़ गए थे. इस हादसे ने पूरे देश को तब झकझोर कर रख दिया था. उन्हीं जाबाज शहीद अग्निशमन कर्मियों की याद में बुधवार को अग्निशमन कार्यालय परिसर में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर प्रधान अग्निक विजय शर्मा,अग्निक अभिजीत राज,गौतम कुमार,आलमगीर अंसारी, प्रभात कुमार, गृह रक्षक किशन राम, विनोद कुमार आदि शामिल रहे.

Last Updated : Apr 15, 2021, 6:57 AM IST
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