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कैमूर: मां मुंडेश्वरी मंदिर के कपाट खुले, यूपी-बिहार से दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालु

मैनेजर संदीप कुमार ने बताया कि प्रवेश से पहले सभी भक्तों के हाथों को सैनेटाइज करके थर्मल स्क्रीनिंग के बाद प्रवेश दिया जा रहा है. स्क्रीनिंग में किसी का तापमान अधिक मिलता है तो उसे प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

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Published : Jun 8, 2020, 11:20 AM IST

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कैमूर: अनलॉक-1 में सरकार के आदेश के बाद सभी धार्मिक स्थलों को खोल दिया गया है. इसी कड़ी में जिले के भगवानपुर स्थित देश के प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी मंदिर को करीब दो महीने बाद भक्तों के लिए खोला गया. पहले दिन मंदिर खुलते ही यूपी-बिहार के कई जिलों से भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचे.

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श्रद्धालुओं के हाथों को कराया जा रहा सैनेटाइज

गाइडलाइन का किया जा रहा पालन
सरकार की सभी गाइडलाइन का मंदिर में पालन किया जा रहा है. मंदिर के द्वार पर प्रवेश से पहले भक्तों के हाथ को सैनेटाइज किया जा रहा है. साथ ही थर्मल स्क्रीनिंग और सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए भक्तों को दर्शन के लिए भेजा जा रहा है.

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सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए मंदिर में प्रवेश करते श्रद्धालु

मूर्ति छूने की नहीं है अनुमति
मंदिर के पर्यवेक्षक दीन दयाल ने बताया कि भक्तों को मूर्ति छूने की अनुमति नहीं है. मंदिर में चारों तरफ घेरा बना दिया गया है. 6 फीट की दूरी पर गोला का निशान बनाया गया है. भक्तों को निशान पर चलना है और सोशल डिस्टेंस का पालन करना है.

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पंचमुखी शिवलिंग

हाथों को किया जा रहा सैनेटाइज
वहीं, मैनेजर संदीप कुमार ने बताया कि प्रवेश से पहले सभी भक्तों के हाथों को सैनेटाइज करके थर्मल स्क्रीनिंग के बाद प्रवेश दिया जा रहा है. स्क्रीनिंग में किसी का तापमान अधिक मिलता है तो उसे प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

देखें रिपोर्ट

दी जाती है रक्तहीन बलि
बता दें कि मुंडेश्वरी धाम 650 फीट की ऊंची पवरा पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर के शिलालेख के अनुसार कहा जाता है कि यह मंदिर 526 ईसा पूर्व की है. यह देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में एक है. पूरे विश्व में मां मुंडेश्वरी धाम रक्तहीन बलि के लिए जाना जाता है. मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित घोषित किया है. मां के मुख्य मंदिर के बीच में पंचमुखी शिवलिंग है.

कैमूर: अनलॉक-1 में सरकार के आदेश के बाद सभी धार्मिक स्थलों को खोल दिया गया है. इसी कड़ी में जिले के भगवानपुर स्थित देश के प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी मंदिर को करीब दो महीने बाद भक्तों के लिए खोला गया. पहले दिन मंदिर खुलते ही यूपी-बिहार के कई जिलों से भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचे.

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श्रद्धालुओं के हाथों को कराया जा रहा सैनेटाइज

गाइडलाइन का किया जा रहा पालन
सरकार की सभी गाइडलाइन का मंदिर में पालन किया जा रहा है. मंदिर के द्वार पर प्रवेश से पहले भक्तों के हाथ को सैनेटाइज किया जा रहा है. साथ ही थर्मल स्क्रीनिंग और सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए भक्तों को दर्शन के लिए भेजा जा रहा है.

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सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए मंदिर में प्रवेश करते श्रद्धालु

मूर्ति छूने की नहीं है अनुमति
मंदिर के पर्यवेक्षक दीन दयाल ने बताया कि भक्तों को मूर्ति छूने की अनुमति नहीं है. मंदिर में चारों तरफ घेरा बना दिया गया है. 6 फीट की दूरी पर गोला का निशान बनाया गया है. भक्तों को निशान पर चलना है और सोशल डिस्टेंस का पालन करना है.

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पंचमुखी शिवलिंग

हाथों को किया जा रहा सैनेटाइज
वहीं, मैनेजर संदीप कुमार ने बताया कि प्रवेश से पहले सभी भक्तों के हाथों को सैनेटाइज करके थर्मल स्क्रीनिंग के बाद प्रवेश दिया जा रहा है. स्क्रीनिंग में किसी का तापमान अधिक मिलता है तो उसे प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

देखें रिपोर्ट

दी जाती है रक्तहीन बलि
बता दें कि मुंडेश्वरी धाम 650 फीट की ऊंची पवरा पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर के शिलालेख के अनुसार कहा जाता है कि यह मंदिर 526 ईसा पूर्व की है. यह देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में एक है. पूरे विश्व में मां मुंडेश्वरी धाम रक्तहीन बलि के लिए जाना जाता है. मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित घोषित किया है. मां के मुख्य मंदिर के बीच में पंचमुखी शिवलिंग है.

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