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माता के इस दरबार में आप लगा सकते हैं ऑनलाइन हाजिरी, कूरियर से भेजे जाते हैं प्रसाद - www.maamundeshwari.org

मां मुंडेश्वरी मंदिर की अनोखी प्रथा है. यहां रक्तहीन बलि दी जाती है. पुजारी अक्षत और फूल लेकर मंत्र पढ़ते हैं जिसके बाद बकरा मां के चरणों में मरणासन्न स्थिति में लेट जाता है और फिर मंत्र पढ़ने के बाद वो उठ जाता है.

मां मुंडेश्वरी मंदिर
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Published : Oct 7, 2019, 8:49 AM IST

कैमूर: जिले के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी की ख्याति पूरे देश में विख्यात है. मां मुंडेश्वरी धाम बकरे की रक्तहीन बली के लिए भी प्रसिद्ध है जो अपने आप में अजूबा है. ऐसे तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन यहां देश के कोने-कोने से आये भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि की नवमी का महत्व ही अलग है.

नवमी के दिन दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और मां को बकरे की बलि चढ़ाते हैं. मां के दर्शन करने आये भक्तों का कहना है कि यहां मांगी हुई हर मन्नत पूरी होती है. ईटीवी भारत से बातचीत में भक्त निरंजन कुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी की मन्नत मांगी थी, जिसके बाद मां ने उनकी मुराद पूरी कर दी. आज निरंजन आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी कर रहे हैं. वो अपने पूरे परिवार के साथ मां मुंडेश्वरी के दर्शन करने आए हैं.

kaimur
मां मुंडेश्वरी मंदिर में भक्तों का लगा तांता

मां मुंडेश्वरी मंदिर की अनोखी प्रथा
मंदिर के प्रधान पुजारी उमेश कुमार मिश्र ने बताया कि यहां एक अनोखी प्रथा है. यहां बकरे को काटा नहीं जाता. पुजारी अक्षत और फूल लेकर मंत्र पढ़ते हैं. जिसके बाद बकरा मां के चरणों में मरणासन्न स्थिति में लेट जाता है और फिर अक्षत और पुष्प लेकर मंत्र पढ़ने से बकरा अपने वास्तविक स्थिति में उठ खड़ा होता है. ऐसी रक्तहीन बली पूरे विश्व में कहीं नहीं होती.

कैमूर से ईटीवी भारत के संवाददाता की रिपोर्ट

ऑनलाइन कर सकते हैं पूजा
पुजारी ने बताया कि वैसे भक्त जो मां के दर्शन के लिये किसी कारण दरबार नहीं आ सकते हैं तो उन्हें उदास होने की जरूरत नही है. धार्मिक न्याय परिषद और जिला प्रशासन द्वारा ऑनलाइन प्रसाद चढ़ावा और पूजा की व्यवस्था कर दी गई हैं. आप www.maamundeshwari.org के माध्यम से मां पर अपना चढ़ावा चढ़ा सकते हैं जिसके बाद कूरियर से भक्तों को प्रसाद भेज दिया जाता है.

कैमूर: जिले के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी की ख्याति पूरे देश में विख्यात है. मां मुंडेश्वरी धाम बकरे की रक्तहीन बली के लिए भी प्रसिद्ध है जो अपने आप में अजूबा है. ऐसे तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन यहां देश के कोने-कोने से आये भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि की नवमी का महत्व ही अलग है.

नवमी के दिन दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और मां को बकरे की बलि चढ़ाते हैं. मां के दर्शन करने आये भक्तों का कहना है कि यहां मांगी हुई हर मन्नत पूरी होती है. ईटीवी भारत से बातचीत में भक्त निरंजन कुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी की मन्नत मांगी थी, जिसके बाद मां ने उनकी मुराद पूरी कर दी. आज निरंजन आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी कर रहे हैं. वो अपने पूरे परिवार के साथ मां मुंडेश्वरी के दर्शन करने आए हैं.

kaimur
मां मुंडेश्वरी मंदिर में भक्तों का लगा तांता

मां मुंडेश्वरी मंदिर की अनोखी प्रथा
मंदिर के प्रधान पुजारी उमेश कुमार मिश्र ने बताया कि यहां एक अनोखी प्रथा है. यहां बकरे को काटा नहीं जाता. पुजारी अक्षत और फूल लेकर मंत्र पढ़ते हैं. जिसके बाद बकरा मां के चरणों में मरणासन्न स्थिति में लेट जाता है और फिर अक्षत और पुष्प लेकर मंत्र पढ़ने से बकरा अपने वास्तविक स्थिति में उठ खड़ा होता है. ऐसी रक्तहीन बली पूरे विश्व में कहीं नहीं होती.

कैमूर से ईटीवी भारत के संवाददाता की रिपोर्ट

ऑनलाइन कर सकते हैं पूजा
पुजारी ने बताया कि वैसे भक्त जो मां के दर्शन के लिये किसी कारण दरबार नहीं आ सकते हैं तो उन्हें उदास होने की जरूरत नही है. धार्मिक न्याय परिषद और जिला प्रशासन द्वारा ऑनलाइन प्रसाद चढ़ावा और पूजा की व्यवस्था कर दी गई हैं. आप www.maamundeshwari.org के माध्यम से मां पर अपना चढ़ावा चढ़ा सकते हैं जिसके बाद कूरियर से भक्तों को प्रसाद भेज दिया जाता है.

Intro:कैमूर।

देश का एक ऐसा मंदिर जहाँ सभी भक्तों की झोली मां अपने आशीर्वाद और प्यार से भर देती हैं। जहां बेरोजगार को रोजगार मिला और निसंतान को संतान ऐसा हैं देश का प्राचीनतम मां मुंडेश्वरी का मंदिर। यू तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन यहां देश के कोने कोने से आये भक्तों का तांता लगा रहता हैं। लेकिन नवरात्रि के नवमी का महत्व ही अलग हैं।


Body:ईटीवी भारत ने जब शारदीय नवरात्रि के नवमी के दिन जब मां मुंडेश्वरी के धाम के प्रधान पुजारी उमेश कुमार मिश्र से बातचीत किया और यहां मौजूद मां के भक्तों से प्रतिक्रिया लिया तो मां के प्रति भक्तों का विश्वास अविश्वास था।

मां के भक्त निरंजन कुमार शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उनके घर की आर्थिक स्तिथ ठीक नही थी। उन्हें किसी के माध्यम से मां की महिमा के बारें में पता चला जिसके बात निरंजन ने मां से रोजगार दिलाने की मन्नत मांगी। जिसके बाद मां ने निरंजन की मुराद पूरी कर दी और आज निरंजन आर्डिनेंस फैक्ट्री में सरकारी जॉब करते हैं। मन्नत पूरा करने निरंजन अपने पूरे परिवार के साथ मुंडेश्वरी आये हुए थे। उन्होंने कहा कि मन्नत पूरा करने और मां आशीर्वाद लेने धाम पर दोबारा आये हुए थे। एक अन्य भक्त ने बताया कि 12 साल से संतान नही होने की वजह से काफी परेशान थे। मां ने इनकी सुनली हैं 12 वर्षो के बाद संतान प्राप्त हुआ।


मंदिर के प्रधान पुजारी उमेश कुमार मिश्र ने बताया कि यहां एक अनोखी प्रथा हैं। यहां रक्तहीन बलि की प्रथा चली आ रही हैं। भक्त अपने मंनोकामना पूरा होने के बाद बकरा लेकर मन्नत पूरा करने आते हैं। और बिना एक बूंद रक्त के ही मात्र फूल और अक्षत से ही बकरे का बलि दिया जाता हैं और पुनः मूर्छित बकरे को प्रसाद स्वरूप दे दिया जाता हैं। पुजारी ने बताया कि वैसे भक्त जो मां का दर्शन किसी कारण के चलते मां के दरबार नही आ सकते हैं तो उन्हें उदास होने की जरूरत नही हैं। धार्मिक न्याय परिषद और जिला प्रशासन द्वारा ऑनलाइन प्रसाद चढ़ावा और पूजा की व्यवस्था कर दी गई हैं। www.maamundeshwari.org के माध्यम से मां पर अपना चढ़ावा चढ़ा सकते हैं। जिसके बाद कूरियर से भक्तों को उनके घर देश के किसी कोने में भेज दिया जाएगा।


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