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सरकारी आदेश की अवहेलना कर स्कूलों में लकड़ी और उपले पर बन रहा है मीड डे मील - जिला एमडीएम प्रभारी यदुवंश राम

विद्यालय के प्राचार्य का कहना है कि विद्यालय में बिना कनेक्शन के 6 महीने पहले 2 एलपीजी गैस दिया गया था, जिसके बाद आज तक गैस उपलब्ध नहीं कराई गई.

सरकारी स्कूलों में लकड़ी और उपले पर बन रहा मीड डे मील
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Published : Nov 11, 2019, 12:43 PM IST

कैमूर: बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ सरकार ने भले ही मोर्चा खोल दिया है, लेकिन अभी भी प्रदूषण खत्म करने की लड़ाई में कई खामियां हैं. आये दिनों जिले के कई सरकारी विद्यालयों में बनाए जाने वाले मीड डे मील के लिये लकड़ी और उपले का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि सरकार के आदेशानुसार शिक्षा विभाग ने इस पर रोक लगा दिया है. बावजूद इसके लकड़ी और उपले का इस्तेमाल किया जा रहा है.

जिले के चांद प्रखंड के बरांव गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में गैस कनेक्शन होने के बावजूद पिछले 6 महीनों से बच्चों के लिए मीड डे मील लकड़ी और उपले पर बनाया जा रहा है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों की बात करें तो जिले में कुल 1203 विद्यालय हैं, जिसमें 1038 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध करवा दिया गया है. बावजूद इसके जिले के अधिकांश विद्यालयों में एमडीएम के लिए एलपीजी गैस का प्रयोग नहीं होता है.

kaimur
राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते बच्चे

सरकार के आदेशों की अवहेलना
विद्यालय में काम कर रही रसोईये ने बताया कि विद्यालय में सिर्फ एक बार एलपीजी गैस लगभग 6 महीने पहले आया था, लेकिन खत्म होने के बाद दोबारा नहीं आया. ऐसे में विद्यालय में लकड़ी पर ही खाना बनता है.

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लकड़ी और उपले पर खाना बनाती रसोईया

सरकारी स्कूल में लकड़ी और उपले पर बना रहा मीड डे मील
इधर, विद्यालय के प्राचार्य गुलाब सिंह यादव का कहना है कि विद्यालय में बिना कनेक्शन के 6 महीने पहले 2 एलपीजी गैस दिया गया था, जिसके बाद आज तक गैस उपलब्ध नहीं कराई गई. जबकि इस संबंध में एमडीएम प्रभारी को कई दफा सूचना दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए खाना बनाने के लिए लकड़ी और उपले का प्रयोग किया जा रहा है. हालांकि सरकारी आकड़ों के अनुसार इस विद्यालय को एलपीजी कनेक्शन प्राप्त है. ऐसे में प्राचार्य की बातों में कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है.

सरकारी स्कूलों में लकड़ी और उपले पर बन रहा मीड डे मील

यह भी पढ़ें- विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का आगाज, मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल ने लोगों को झूमने पर किया मजबूर

विद्यालय के प्राचार्य पर होगी कार्रवाई
इस मामले पर जब जिला एमडीएम प्रभारी यदुवंश राम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में 1038 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन दिया जा चुका है. विभाग की ओर से यह निर्देश भी जारी किया गया है कि किसी कीमत पर मीड डे मिल गैस पर ही बनाना है. यदि गैस कनेक्शन होने के बावजूद भी स्कूलों में लकड़ी ओर उपले का इस्तेमाल किया जा रहा है तो वैसे विद्यालय के प्राचार्य पर कार्रवाई होगी. यहा तक की उन्हें सस्पेंड भी किया जा सकता हैं. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पत्र जारी कर सभी विद्यालयों के प्राचार्य को इस संबंध में सख्त आदेश जारी किया जा चुका है.

कैमूर: बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ सरकार ने भले ही मोर्चा खोल दिया है, लेकिन अभी भी प्रदूषण खत्म करने की लड़ाई में कई खामियां हैं. आये दिनों जिले के कई सरकारी विद्यालयों में बनाए जाने वाले मीड डे मील के लिये लकड़ी और उपले का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि सरकार के आदेशानुसार शिक्षा विभाग ने इस पर रोक लगा दिया है. बावजूद इसके लकड़ी और उपले का इस्तेमाल किया जा रहा है.

जिले के चांद प्रखंड के बरांव गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में गैस कनेक्शन होने के बावजूद पिछले 6 महीनों से बच्चों के लिए मीड डे मील लकड़ी और उपले पर बनाया जा रहा है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों की बात करें तो जिले में कुल 1203 विद्यालय हैं, जिसमें 1038 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध करवा दिया गया है. बावजूद इसके जिले के अधिकांश विद्यालयों में एमडीएम के लिए एलपीजी गैस का प्रयोग नहीं होता है.

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राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते बच्चे

सरकार के आदेशों की अवहेलना
विद्यालय में काम कर रही रसोईये ने बताया कि विद्यालय में सिर्फ एक बार एलपीजी गैस लगभग 6 महीने पहले आया था, लेकिन खत्म होने के बाद दोबारा नहीं आया. ऐसे में विद्यालय में लकड़ी पर ही खाना बनता है.

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लकड़ी और उपले पर खाना बनाती रसोईया

सरकारी स्कूल में लकड़ी और उपले पर बना रहा मीड डे मील
इधर, विद्यालय के प्राचार्य गुलाब सिंह यादव का कहना है कि विद्यालय में बिना कनेक्शन के 6 महीने पहले 2 एलपीजी गैस दिया गया था, जिसके बाद आज तक गैस उपलब्ध नहीं कराई गई. जबकि इस संबंध में एमडीएम प्रभारी को कई दफा सूचना दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए खाना बनाने के लिए लकड़ी और उपले का प्रयोग किया जा रहा है. हालांकि सरकारी आकड़ों के अनुसार इस विद्यालय को एलपीजी कनेक्शन प्राप्त है. ऐसे में प्राचार्य की बातों में कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है.

सरकारी स्कूलों में लकड़ी और उपले पर बन रहा मीड डे मील

यह भी पढ़ें- विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का आगाज, मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल ने लोगों को झूमने पर किया मजबूर

विद्यालय के प्राचार्य पर होगी कार्रवाई
इस मामले पर जब जिला एमडीएम प्रभारी यदुवंश राम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में 1038 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन दिया जा चुका है. विभाग की ओर से यह निर्देश भी जारी किया गया है कि किसी कीमत पर मीड डे मिल गैस पर ही बनाना है. यदि गैस कनेक्शन होने के बावजूद भी स्कूलों में लकड़ी ओर उपले का इस्तेमाल किया जा रहा है तो वैसे विद्यालय के प्राचार्य पर कार्रवाई होगी. यहा तक की उन्हें सस्पेंड भी किया जा सकता हैं. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पत्र जारी कर सभी विद्यालयों के प्राचार्य को इस संबंध में सख्त आदेश जारी किया जा चुका है.

Intro:कैमूर।

बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदेश सरकार ने भले ही मोर्चा खोल दिया हैं लेकिन अभी भी प्रदुषण खत्म करने की लड़ाई में कई खामियां हैं। आये दिनों जिले के कई सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए बनाए जाने वाले एमडीएम ( मीड डे मील ) को लकड़ी और उपला पर बनते हुए आसानी से देखा जा सकता हैं। हालांकि की शिक्षा विभाग ने इस पर रोक कब का लगा दिया हैं लेकिन यह रोक जमीनी स्तर पर कब देखने को मिलेगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हैं।


Body:आपकों बतादें कि शिक्षा विभाग के अगर आंकड़ों की बात करें तो कैमूर जिले में कुल 1203 विद्यालय हैं जिसमें 1038 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध करवा दिया गया हैं। बावजूद इसके जिले के अधिकांश विद्यालयों में एमडीएम के लिए एलपीजी गैस का प्रयोग नहीं होता हैं।

हम बात कर रहें हैं चांद प्रखंड के बरांव गांव स्तिथ प्राथमिक विद्यालय कि जहां गैस कनेक्शन होने के बावजूद पिछले 6 महीनों से एमडीएम लकड़ी और उपला पर बनाया जा रहा हैं। ऐसे में सोचने वाली बात यह हैं कि जब सरकारी फर्म की सरकार के आदेशों की अवहेलना करेंगे और प्रदूषण बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे तो ऐसे में आम जनता क्या करेंगी।

विद्यालय की रसोईया कान्ति देवी ने बताया कि विद्यालय में सिर्फ एक बार एलपीजी गैस लगभग 6 महीना पहले आया हुआ था लेकिन खत्म होने के बाद दोबारा नहीं आया। ऐसे में विद्यालय में लकड़ी पर ही खाना बनता हैं।

विद्यालय के प्राचार्य गुलाब सिंह यादव का दावा हैं कि उनके विद्यालय में बिना कनेक्शन के 6 महीना पहले 2 एलपीजी गैस दिया गया था। जिसके बाद आज तक गैस उपलब्ध नहीं हुई हैं। जबकि वो इस संबंध में एमडीएम प्रभारी को कई दफा सूचना दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं। इसलिए खाना बनाने के लिए लकड़ी और उपला का प्रयोग करते हैं। हालांकि सरकारी रिकॉर्ड अनुसार इस विद्यालय को एलपीजी कनेक्शन प्राप्त हैं। प्राचार्य की बातों में कितना सच्चाई हैं यह जांच का विषय हैं।


जिला एमडीएम प्रभारी यदुवंश राम ने बताया कि जिले में 1038 विद्यालयों को एलपीजी गैस कनेक्शन दिया जा चुका हैं और विभाग द्वारा यह निर्देश भी जारी किया जा चुका हैं कि किसी कीमत पर एमडीएम को गैस पर ही बनाना हैं। यदि वैसे विद्यालय जिसके यहां गैस कनेक्शन हैं बावजूद लकड़ी का प्रयोग करते हैं उस विद्यालय के प्राचार्य पर कार्रवाई होगी यहां की उन्हें सस्पेंड भी किया जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पत्र जारी करते हुए भी सभी विद्यालयों के प्राचार्य को इस संबंध में सख्त आदेश जारी किया जा चुका हैं।








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