कैमूर(भभुआ): पुल किसी भी इलाके की लाइफ लाइन मानी जाती है. आवागमन को सुलभ और सुगम बनाने का जरिया होता है. ऐसे में कैमूर के नुआंव प्रखण्ड के कर्मनाशा नदी में बने कारीराम पुल (Kaimur Kariram Bridge) का एप्रोच गाईडवाला (रेलिंग) टूट जाना लोगों के लिए मुसीबत बन गया है.
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कारीराम पुल का एप्रोच पथ टूटा
ना बारिश हुई, ना बाढ़ आई, फिर भी कारीराम पुल क्षतिग्रस्त हो गया. यह पुल बिहार को यूपी से जोड़ेने वाला है. पुल का निर्माण कार्य 5 साल से चल रहा है. इसी बीच एप्रोच पथ बनते ही बौछार वाली बारिश में यह ढेर हो गया है. कारीराम पुल को बनाने में 7 करोड़ की लागत आई है.
'हम लोगों की स्थिति पुल ना होने से बहुत खराब है. कभी नाव से जाना पड़ता है, कभी पानी में डूब कर. पुल का निर्माण हुआ है लेकिन काम कमजोर हुआ है.'- विनोद सिंह, पूर्व मुखिया
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ग्रामीणों को चचरी पुल का सहारा
पुल से आवागमन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है. कई सालों से ग्रामीण आवागमन के लिए चचरी पुल का सहारा ले रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पुल होता तो इलाके का विकास हो पाता लेकिन फिलहाल जान जोखिम में डालकर पुल पार किया जा रहा है.
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'पुल में जो भी कार्य हो रहा है वह घटिया है. पैसे का बंदरबांट हो रहा है. पुल मजबूत नहीं है. पाया भी पुल का बढ़ाना चाहिए. तभी बाढ़ में ये पुल रहेगा नहीं तो कुछ ही सालों में ये टूट सकता है.'- अरविद यादव, ग्रामीण
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बिहार यूपी को जोड़ेगा पुल
पुल के बनने से लोगों में खुशी थी. बिहार और उत्तर प्रदेश के जुड़ जाने से लोगों को व्यापार और रोजगार के अवसर तो मिलेंगे ही साथ ही अन्य कामों में सहुलियत होगी. लेकिन एप्रोच पथ टूटने से लोगों में अब निराशा है.
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'पुल निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. 2015 से पुल बन ही रहा है. इसके निर्माण कार्य मे अनियमितता हुई है जिसके कारण पुल से आवागमन चालू होने से पहले ही एप्रोच सड़क वॉल टूट गया.'- गौतम यादव, ग्रामीण
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निर्माण कार्य बाधित
पुल से आवागमन शुरू होते ही स्थानीय ग्रामीणों को नदी में नाव या बांस के चचरी के सहारे जाना नहीं पड़ेगा. पर 5 वर्ष से पुल का निर्माण हो रहा है. पुल तो बन गया पर अभी भी एप्रोच सड़क बनना बाकी है. उसी बीच हल्की बारिश के कारण एप्रोच पुल का गाईडवाला (रेलिंग) एक तरफ का टूट गया, जिससे कार्य बाधित है.
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निर्माण कार्य पर उठे सवाल
पुल की गुणवत्ता पर लोग सवाल उठा रहे हैं. साथ ही दोनों तरफ एप्रोच सड़क पर कार्य होने के बाद मिट्टी का ढेर लगा हुआ है. दरअसल बिहार यूपी सरकार की पहल से इस पुल का निर्माण चल रहा है.
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यह कोई पहला मामला नहीं
पुल क्षतिग्रस्त होने का यह कोई पहला मामला नहीं है. 2020 में सत्तरघाट पुल का एप्रोच पथ टूटकर नदी में बह गया था. गोपलगंज के गंडक नदी पर 263 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पुल का उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार ने किया था.
2020 में शेखपुरा में नवनिर्मित पुल का एप्रोच पथ टूट गया. 1 साल में ही पुल के बीच का भाग अचानक पूरी तरह से भरभरा कर गिर गया था.
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वहीं 2019 में कैमूर के एनएच-2 पर स्थित पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया था. दुर्गावति प्रखंड अंतर्गत कर्मनाशा नदी पर बना ये पुल 4 साल में ही क्षतिग्रस्त हो गया.