कैमूर: नियोजित शिक्षक पिछले 17 फरवरी से हड़ताल पर हैं. सरकार की तरफ से कोई संदेश नहीं आता देख शिक्षकों ने विरोध करने का अलग-अलग तरीका अपनाना शुरू कर दिया है. दरअसल, विरोध-प्रदर्शन करते हुए शिक्षकों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए सामूहिक मुंडन करवाया. इस अनोखे विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों शिक्षक शामिल हुए. आंदोलनकारी शिक्षकों ने कहा कि सरकार वेतनमान देने से बचने के लिए डबल एमए, एमएड की डिग्री के साथ 4 राज्यों में टीईटी उतीर्ण शिक्षकों को अयोग्य बता रही है.
'सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है सरकार'
टीईटी शिक्षक संघर्ष समिति के जिला संयोजक दिवेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकार टीईटी शिक्षकों को वेतनमान और अन्य सुविधा नहीं दे रही है. सरकार की दोहरी नीतियों के खिलाफ आज सामूहिक मुंडन करवाकर विरोध-प्रदर्शन किया गया है. आगे सरकार के खिलाफ नुक्कड़ सभा कर लोगों को सरकार की दोहरी नीतियों के खिलाफ जागरूक किया जाएगा.
वहीं, महासचिव शैलेष कुमार सिंह ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में नियोजित शिक्षक चुनावी कार्य का बहिष्कार करेंगे और सरकार को बता देंगे कि उनकी एकता अखंड है. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाया जाए. सरकार ये चाहती है कि लोगों को गुमराह कर वोट बैंक की राजनीति करते रहें. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. शिक्षक एकता अटूट है.
'बच्चों का पठन-पाठन बाधित'
धरने में शामिल महिला शिक्षकों ने कहा कि आज उनका घर टूट रहा है. परिवार अलग हो रहा है. बावजूद उन्होंने टीईटी पास कर स्कूल में योगदान शुरू किया है. यहां तक कि ट्रांसफर का भी कोई विकल्प नहीं है. जब तक उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिलेगा, धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. आंदोलनकारी शिक्षकों ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन कर रहे शिक्षक एक हैं, यहां ना कोई हिन्दू है और ना ही कोई मुस्लिम.
सात सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल
गौरतलब है कि पूरे प्रदेश भर में साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षक सात सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए हैं. हड़ताल की वजह से तमाम सरकारी स्कूलों में ताला लटका पड़ा है. जिस वजह से छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. यहां तक कि हड़ताली शिक्षक मैट्रिक परीक्षा की कॉपी की जांच करने भी नहीं आ रहे हैं. वहीं, इस मामले में कई शिक्षकों पर कार्रवाई भी हो चुकी है. नियोजित शिक्षक की मानें तो सरकार ने न ही किसी प्रतिनिधि से बात की और न ही किसी प्रकार का लिखित आश्वासन दिया है.