कैमूर(भभुआ): 21वीं शताब्दी का ये युग विज्ञान का युग है. अगर इस युग में कोई आपसे भूत और प्रेत की बात करें तो शायद आप उस पर विश्वास नहीं करेंगे. लेकिन कैमूर जिले के चैनपुर स्थित हरसू ब्रह्म धाम (harsu Brahm Dham temple in Kaimur ) में ऐसा मेला लगता है जिसे लोग भूतों का मेला (ghosts fair in Kaimur ) कहते हैं. नवरात्र के मौके पर मंदिर में भूतों का जमघट लगता है. यानि यहां लोगों पर सवार भूतों को भगाया जाता है. यहां आसानी से महिलाओं को झूमते देखा जा सकता है. हरसू ब्रह्म धाम में आने वाले भक्तों की हर पीड़ा दूर होने का दावा किया जाता है.
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भूतों का मेला: इस धाम में लोगों की भीड़ लगी रहती. जगह-जगह लोग खासकर महिलाओं से भूत भगाने की प्रक्रिया चलती रहती है. उन्हें ना तो अपना होश रहता है ना कोई फिक्र वो बस मदहोश होकर पुजारी के इशारे पर नाचती रहती हैं. लोगों के मुताबिक जो भी बाबा के दरबार में आता है वो कभी खाली हाथ लौट के नहीं जाता है. हरसू ब्रह्म धाम को जिसे पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट के नाम से जाना जाता है.
दूर-दूर से आते हैं लोग: इस धाम में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है. पिछले 650 सालों से यहां भूतों का मेला लग रहा है. प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से लोगों को यहां बचाया जाता है. बिहार के अलावा झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,राजस्थान और देश के है कोने कोने से लोग हरसू ब्रह्म धाम पहुंचते हैं.
मंदिर परिसर में मां दुर्गा के नौ रूप: बाबा हरसू ब्रह्म धाम में पहुंचते ही लोग अपने बच्चों के बाल का मुंडन करवा कर मन्नत उतारते हैं. इस धाम के बारे में मान्यता है कि यहां प्रेतबाधा से पीड़ित लोगों का धाम में पहुंचने से बाबा की कृपा से प्रेतों से मुक्ति पा जाता है. यह मान्यता वर्षों से चली आ रही है. मंदिर परिसर में मां दुर्गा के भी नौ रूपों को भी स्थापित किया गया है,जिन बच्चों का मन्नत होता है उसका मुंडन संस्कार धाम परिसर में होता है.
108 ब्रह्म स्थानों में पहला हरसू: 108 ब्रह्म स्थानों में चैनपुर का पहला हरसू ब्रह्म पूरे भारत में 108 ब्रह्म स्थानों में से पहला हरसू है. हरसू ब्रह्म ट्रस्ट के सचिव कैलाश पति त्रिपाठी बताते हैं कि 1428 ईवी के दौरान यहां राजा शालिवाहन की हुकूमत थी. हरसू पांडे राजा शालिवाहन के मंत्री और राजपुरोहित थे. राजा शालिवाहन को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी. लिहाजा वे चिंतित रहते थे. उनके राजपुरोहित हरशु पांडे ने उन्हें दूसरी शादी का प्रस्ताव दिया. राजा की पहली पत्नी राजस्थान की थी. वहीं राजा की दूसरी पत्नी छत्तीसगढ़ की थी. शालिवाहन के दूसरी शादी करते ही उन्हे पुत्र की प्राप्ति हुई.
पुरोहित के घर को जमींदोज कर दिया था: मान्यताओं के मुताबिक राजपुरोहित ने तब जो नियम बताए थे, राजा ने तोड़ दिया था. राजा की पहली रानी के कहने पर राजा ने राजपुरोहित का घर जमींदोज कर दिया. गुस्से में आकर राजपुरोहित ने राजा के महल में 21 दिन आमरण अनशन पर बैठे. जनवरी 1914 ईस्वी में अपना शरीर त्याग दिया. इसके बाद राजा शालिवाहन का पूरा राज पाठ खत्म हो गया, जिस जगह पर राजपुरोहित ने अपना शरीर त्याग किया था. वहीं, आज की तारीख में हरसू ब्रह्म का गर्भगृह है.
पुजारी ने कहा: हरसू ब्रह्म धाम के पुजारी ने बताया कि भूत-प्रेत,संतानोत्पत्ति, पागलपन और कुष्ट सहित अन्य असाध्य बाधाओं से पीड़ित लोग शांति और निवारण के लिए यहां आते हैं. प्रेत बाधा पीड़ितों को हर सोमवार को व्रत रखना पड़ता है. हरसू ब्रह्म इस घोर कलिकाल में भगवान शंकर के साक्षात अवतार माने जाते हैं. मुगल शासन के अंत के बाद हरसू ब्रह्म धाम के बारे में प्रचार-प्रसार हुआ.
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