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'धान के कटोरे' में आम से हर साल 3 से 4 लाख रुपये की कमा रहे हैं किसान - कैमूर के आम

रामगढ़ के साहूका में बड़े पैमाने पर केमिकल मुक्त आम की खेती की जाती है. आम उत्पादक किसान सुखी पासी ने बताया कि एक साल के लिए पांच एकड़ में फैले आम के दो बगीचे को चार लाख रुपये में मोल लेकर खेती करते हैं. जिसमें आम के एक सीजन में तीन लाख रुपये का मुनाफा आराम से हो जाता है.

कैमूर
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Published : Jun 18, 2020, 10:51 PM IST

कैमूर: जिले के कई किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ फलों की खेती करनी शुरू कर दी है. आत्मनिर्भर बनने के लिए जिले के रामगढ़ प्रखंड के साहूका में किसान बड़े पैमाने पर आम की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहें है. रामगढ़ का आम दिल्ली, कोलकाता सहित कई राज्यों में भी भेजा जाता है. यहां बिना केमिकल के आम पकाया जाता है. साथ ही ग्राहकों को सीधे पेड़ से तोड़कर आम बेच दिया जाता है. इस कारण रास्ते से गुजरने वालों की भीड़ आम के बगीचे में आसानी से देखी जा सकती है.

कैमूर
बगीचे में इकट्ठा आम
धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले में अब लोग पारंपरिक खेती छोड़ नई तकनीकों का प्रयोग कर खेती करना शुरू कर दिए हैं. रामगढ़ के साहूका में बड़े पैमाने पर केमिकल मुक्त आम की खेती की जाती है. आम उत्पादक किसान सुखी पासी ने बताया कि एक साल के लिए पांच एकड़ में फैले आम के दो बगीचे को चार लाख रुपये में मोल लेकर खेती करते हैं. जिसमें आम के एक सीजन में तीन लाख रुपये का मुनाफा आराम से हो जाता है. उन्होंने बताया कि उन्हें आम से काफी मुनाफा मिलता है. इसलिए अब सिर्फ फलों की खेती करते हैं.
ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद रामगढ़ का आम'
सुखी पासी ने आगे बताया कि वो लंगड़ा, सुकुल और मालदा तीन प्रकार के आम की खेती करते हैं. यहां के बगीचों के आम दिल्ली, कोलकाता सहित दूसरे राज्यों में भी जाता है. वहीं, जमुरना पंचायत के मुखिया डॉ. संजय सिंह ने बताया कि न सिर्फ पूरे जिले बल्कि अन्य राज्यों में भी रामगढ़ के साहूका का आम प्रसिद्ध है. यहां आम पकाने में केमिकल का प्रयोग नहीं करके बल्कि सीधे पेड़ से तोड़कर बेचा जाता है. जो आमजन के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि यहां का फल काफी स्वादिष्ट और मीठा भी होता है.

कैमूर
साहूका में आम के पेड़

कैमूर: जिले के कई किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ फलों की खेती करनी शुरू कर दी है. आत्मनिर्भर बनने के लिए जिले के रामगढ़ प्रखंड के साहूका में किसान बड़े पैमाने पर आम की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहें है. रामगढ़ का आम दिल्ली, कोलकाता सहित कई राज्यों में भी भेजा जाता है. यहां बिना केमिकल के आम पकाया जाता है. साथ ही ग्राहकों को सीधे पेड़ से तोड़कर आम बेच दिया जाता है. इस कारण रास्ते से गुजरने वालों की भीड़ आम के बगीचे में आसानी से देखी जा सकती है.

कैमूर
बगीचे में इकट्ठा आम
धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले में अब लोग पारंपरिक खेती छोड़ नई तकनीकों का प्रयोग कर खेती करना शुरू कर दिए हैं. रामगढ़ के साहूका में बड़े पैमाने पर केमिकल मुक्त आम की खेती की जाती है. आम उत्पादक किसान सुखी पासी ने बताया कि एक साल के लिए पांच एकड़ में फैले आम के दो बगीचे को चार लाख रुपये में मोल लेकर खेती करते हैं. जिसमें आम के एक सीजन में तीन लाख रुपये का मुनाफा आराम से हो जाता है. उन्होंने बताया कि उन्हें आम से काफी मुनाफा मिलता है. इसलिए अब सिर्फ फलों की खेती करते हैं.
ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद रामगढ़ का आम'
सुखी पासी ने आगे बताया कि वो लंगड़ा, सुकुल और मालदा तीन प्रकार के आम की खेती करते हैं. यहां के बगीचों के आम दिल्ली, कोलकाता सहित दूसरे राज्यों में भी जाता है. वहीं, जमुरना पंचायत के मुखिया डॉ. संजय सिंह ने बताया कि न सिर्फ पूरे जिले बल्कि अन्य राज्यों में भी रामगढ़ के साहूका का आम प्रसिद्ध है. यहां आम पकाने में केमिकल का प्रयोग नहीं करके बल्कि सीधे पेड़ से तोड़कर बेचा जाता है. जो आमजन के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि यहां का फल काफी स्वादिष्ट और मीठा भी होता है.

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साहूका में आम के पेड़
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