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शौचालय प्रोत्साहन राशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे लाभुक

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Published : Jan 25, 2021, 1:47 PM IST

Updated : Jan 25, 2021, 2:10 PM IST

प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत नंदगांव के ग्राम गांगुडीह निवासी रामजी राम तीन वर्ष से अधिक समय से प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वे शौचालय निर्माण के बाद मिलने वाली प्रोत्साहन राशि देने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन इतने दिनों में भी उन्‍हें पैसे नहीं मिले हैं. वे कार्यालय का चक्‍कर लगाकर थक गए हैं. इसके पीछे कार्यालय कर्मी की गलती सामने आ रही है.

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शौचालय प्रोत्साहन राशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे लाभुक

कैमूर: जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत नंदगांव के ग्राम गांगुडीह के निवासी एक बुजुर्ग व्यक्ति के द्वारा 3 वर्ष से ऊपर के समय से लगातार प्रखंड कार्यालय का चक्कर शौचालय निर्माण होने के बाद मिलने वाले प्रोत्साहन राशि के लिए लगाई जा रही है. बावजूद इतने समय बीतने के बाद भी अब तक उन्हें शौचालय निर्माण के बाद मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान ना हो सका है.

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कर्ज लेकर कराया था शौचालय निर्माण
नंदगांव पंचायत के गांगूडीह निवासी रामजी राम ने बताया कि कर्ज लेकर अपने घर में शौचालय का निर्माण करवाया था. कहा गया था कि प्रोत्‍साहन राशि के रूप में 12 हजार रुपये दिए जाएंगे. इसको लेकर प्रखंड के स्वच्छता कार्यालय में जरूरी कागजात भी जमा कर दिया. लेकिन लंबा समय बीत गया. पैसे नहीं आए. तब प्रखंड कार्यालय पहुंचे. वहां पता चला कि पैसे उनकी जगह दूसरे के खाते में भेज दिए गए है. जिस व्यक्ति के खाते में राशि गई है उससे इसकी रिकवरी की जाएगी तब उन्‍हें भुगतान किया जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उसके बाद से वे लगातार कार्यालय का चक्‍कर लगा रहे हैं. रामजी राम का कहना है कि जिनसे कर्ज लिया था, वे बार-बार पैसे मांगने आते हैं इस कारण जीना मुहाल हो गया है.

ये भी पढ़ें..LAC पर फिर झड़प, भारतीय सेना ने घुसपैठ करने आए चीनी सैनिकों को खदेड़ा

क्या कहते है ब्लॉक कोऑर्डिनेटर
जब इस संबंध में ब्लॉक कोऑर्डिनेटर भगवान उपाध्याय से जानकारी प्राप्त किए तो उनके द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत नंदगांव के ग्राम गागांगुडीह में रामजी राम नाम के दो व्यक्ति हैं दोनों के द्वारा शौचालय का निर्माण करवाया गया है. सिर्फ पिता के नाम में अंतर है. मामला 3 वर्ष पहले का है. उस समय जियो टैगिंग नहीं की जाती थी. सिर्फ स्थल निरीक्षण करके पैसे का भुगतान किया जाता था. उस आधार पर बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि डालने के दौरान डाटा ऑपरेटर की गलती से रामजी राम नाम के उसी गांव के दूसरे व्यक्ति के खाते में भुगतान कर दिया गया.

रिकवरी ना होने के कारण भुगतान में देरी
जिसकी रिकवरी के लिए 4 माह पहले चैनपुर थाने में आवेदन देकर थानाध्यक्ष से रिकवरी के लिए गुहार लगाई गई थी. उक्त मामले में जिस व्यक्ति के खाते में पैसे ट्रांसफर हो गए हैं. उन्हें बुलाकर बातचीत भी किया गया तो उस व्यक्ति के द्वारा बताया गया कि उक्त राशि उनसे खर्च हो गई है. जिसके बाद उनके द्वारा कुछ समय लिया गया कि पैसे इनके द्वारा कार्यालय में जमा किया जाएगा. मगर पैसा रिकवरी ना होने के कारण इनका भुगतान न किया जा सका. दोबारा फिर से उक्त व्यक्ति से संपर्क करके रिकवरी का कार्य किया जाएगा.

कैमूर: जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत नंदगांव के ग्राम गांगुडीह के निवासी एक बुजुर्ग व्यक्ति के द्वारा 3 वर्ष से ऊपर के समय से लगातार प्रखंड कार्यालय का चक्कर शौचालय निर्माण होने के बाद मिलने वाले प्रोत्साहन राशि के लिए लगाई जा रही है. बावजूद इतने समय बीतने के बाद भी अब तक उन्हें शौचालय निर्माण के बाद मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान ना हो सका है.

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कर्ज लेकर कराया था शौचालय निर्माण
नंदगांव पंचायत के गांगूडीह निवासी रामजी राम ने बताया कि कर्ज लेकर अपने घर में शौचालय का निर्माण करवाया था. कहा गया था कि प्रोत्‍साहन राशि के रूप में 12 हजार रुपये दिए जाएंगे. इसको लेकर प्रखंड के स्वच्छता कार्यालय में जरूरी कागजात भी जमा कर दिया. लेकिन लंबा समय बीत गया. पैसे नहीं आए. तब प्रखंड कार्यालय पहुंचे. वहां पता चला कि पैसे उनकी जगह दूसरे के खाते में भेज दिए गए है. जिस व्यक्ति के खाते में राशि गई है उससे इसकी रिकवरी की जाएगी तब उन्‍हें भुगतान किया जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उसके बाद से वे लगातार कार्यालय का चक्‍कर लगा रहे हैं. रामजी राम का कहना है कि जिनसे कर्ज लिया था, वे बार-बार पैसे मांगने आते हैं इस कारण जीना मुहाल हो गया है.

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क्या कहते है ब्लॉक कोऑर्डिनेटर
जब इस संबंध में ब्लॉक कोऑर्डिनेटर भगवान उपाध्याय से जानकारी प्राप्त किए तो उनके द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत नंदगांव के ग्राम गागांगुडीह में रामजी राम नाम के दो व्यक्ति हैं दोनों के द्वारा शौचालय का निर्माण करवाया गया है. सिर्फ पिता के नाम में अंतर है. मामला 3 वर्ष पहले का है. उस समय जियो टैगिंग नहीं की जाती थी. सिर्फ स्थल निरीक्षण करके पैसे का भुगतान किया जाता था. उस आधार पर बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि डालने के दौरान डाटा ऑपरेटर की गलती से रामजी राम नाम के उसी गांव के दूसरे व्यक्ति के खाते में भुगतान कर दिया गया.

रिकवरी ना होने के कारण भुगतान में देरी
जिसकी रिकवरी के लिए 4 माह पहले चैनपुर थाने में आवेदन देकर थानाध्यक्ष से रिकवरी के लिए गुहार लगाई गई थी. उक्त मामले में जिस व्यक्ति के खाते में पैसे ट्रांसफर हो गए हैं. उन्हें बुलाकर बातचीत भी किया गया तो उस व्यक्ति के द्वारा बताया गया कि उक्त राशि उनसे खर्च हो गई है. जिसके बाद उनके द्वारा कुछ समय लिया गया कि पैसे इनके द्वारा कार्यालय में जमा किया जाएगा. मगर पैसा रिकवरी ना होने के कारण इनका भुगतान न किया जा सका. दोबारा फिर से उक्त व्यक्ति से संपर्क करके रिकवरी का कार्य किया जाएगा.

Last Updated : Jan 25, 2021, 2:10 PM IST
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