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दुर्गा पूजा में यहां प्रसाद के तौर पर दिए जाते हैं पौधे, सालों से चली आ रही है परंपरा - रुद्राक्ष और घोड़े की नाल की अंगूठी वितरण

एक श्रद्धालु ने बताया कि बचपन से यहां पौधों का वितरण देखते आ रहे हैं. इसलिए अब आसपास के बच्चों को मिलाकर एक बाल विंग बनाया गया है. जो पौधों को अच्छे से तैयार करते हैं और वितरण में सहयोग करते हैं.

दुर्गा पूजा
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Published : Oct 7, 2019, 2:23 PM IST

कैमूर: जिले में दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. पूजा पंडाल में भक्तों का हुजूम मां के दर्शन के लिए उमड़ रहा है. वहीं, माता के प्रसाद के रूप में यहां पौधे और रुद्राक्ष दिए जा रहे हैं. बताया जाता है कि यहां इस अनोखे तरह के प्रसाद का वितरण कर लोगों को शांति और पर्यावरण को हरा भरा रखने के लिए संदेश दिया जा रहा है.

Kaimur
माता की प्रतिमा

प्रसाद के रूप में दिया जाता है पौधा
बता दें कि जिला मुख्यालय भभुआ स्तिथ वार्ड-17 चमनलाल पोखरा के पास पिछले 30 सालों से मां की मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है. लेकिन यहां की खासियत यह है कि यहां पिछले 20 वर्षों से लगातार अष्ठमी के दिन भक्तों को माता के प्रसाद स्वरूप पौधा दिया जाता है. तो वहीं, नवमी को एक हजार भक्तों के बीच रुद्राक्ष और घोड़े नाल की अंगूठी वितरण की जाती है.

Kaimur
लोगों को पौधा देते पूजा समिति के अध्यक्ष

प्रशासन से भी मिल चुका है सम्मान
पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले 24 वर्षों से भक्तों को अष्ठमी के दिन प्रसाद स्वरूप पौधे और नवमी को रुद्राक्ष और अंगूठी समिति की ओर से श्रद्धालुओं में बांटी जाती है. जिसके लिए समिति को जिला प्रशासन से सम्मान भी मिल चुका है. उन्होंने बताया कि स्वच्छ और हरे-भरे पर्यावरण के लिए समिति ने पौधों को बांटने का निर्णय लिया.

पूजा में पौधे और रुदाक्ष का वितरण

पर्यावरण रहे हरा-भरा
एक श्रद्धालु ने बताया कि बचपन से यहां पौधों का वितरण देखते आ रहे हैं. इसलिए अब आसपास के बच्चों को मिलाकर एक बाल विंग बनाया गया है. जो पौधों को अच्छे से तैयार करते हैं और वितरण में सहयोग करते हैं. बच्चों ने बताया कि वो चाहते हैं कि उनका पर्यावरण हरा-भरा रहे, इसलिए वो इस कार्य को काफी उत्साह से कर रहे हैं.

कैमूर: जिले में दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. पूजा पंडाल में भक्तों का हुजूम मां के दर्शन के लिए उमड़ रहा है. वहीं, माता के प्रसाद के रूप में यहां पौधे और रुद्राक्ष दिए जा रहे हैं. बताया जाता है कि यहां इस अनोखे तरह के प्रसाद का वितरण कर लोगों को शांति और पर्यावरण को हरा भरा रखने के लिए संदेश दिया जा रहा है.

Kaimur
माता की प्रतिमा

प्रसाद के रूप में दिया जाता है पौधा
बता दें कि जिला मुख्यालय भभुआ स्तिथ वार्ड-17 चमनलाल पोखरा के पास पिछले 30 सालों से मां की मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है. लेकिन यहां की खासियत यह है कि यहां पिछले 20 वर्षों से लगातार अष्ठमी के दिन भक्तों को माता के प्रसाद स्वरूप पौधा दिया जाता है. तो वहीं, नवमी को एक हजार भक्तों के बीच रुद्राक्ष और घोड़े नाल की अंगूठी वितरण की जाती है.

Kaimur
लोगों को पौधा देते पूजा समिति के अध्यक्ष

प्रशासन से भी मिल चुका है सम्मान
पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले 24 वर्षों से भक्तों को अष्ठमी के दिन प्रसाद स्वरूप पौधे और नवमी को रुद्राक्ष और अंगूठी समिति की ओर से श्रद्धालुओं में बांटी जाती है. जिसके लिए समिति को जिला प्रशासन से सम्मान भी मिल चुका है. उन्होंने बताया कि स्वच्छ और हरे-भरे पर्यावरण के लिए समिति ने पौधों को बांटने का निर्णय लिया.

पूजा में पौधे और रुदाक्ष का वितरण

पर्यावरण रहे हरा-भरा
एक श्रद्धालु ने बताया कि बचपन से यहां पौधों का वितरण देखते आ रहे हैं. इसलिए अब आसपास के बच्चों को मिलाकर एक बाल विंग बनाया गया है. जो पौधों को अच्छे से तैयार करते हैं और वितरण में सहयोग करते हैं. बच्चों ने बताया कि वो चाहते हैं कि उनका पर्यावरण हरा-भरा रहे, इसलिए वो इस कार्य को काफी उत्साह से कर रहे हैं.

Intro:कैमूर।

जिले में दुर्गा पूजा की धूम देखी जा सकती हैं। पंडालों में भक्तों का हुजूम मां के दर्शन के लिए ललायित देखे जा सकते हैं। दर्शन के बाद मां का प्रसाद भक्तों के लिए आशीर्वाद होता हैं। ऐसे में जरा सोचिए कि अगर प्रसाद में पेड़ के पौधे और रुद्राक्ष दिए जाएं तो भक्तों को हरियाली और शांति दोनों का अनुभव होगा और पर्यावरण को हरा भरा रखने का संदेश।


Body:आपकों बतादें कि जिला मुख्यालय भभुआ स्तिथ वार्ड 17 चमनलाल पोखरा के पास पिछले 30 सालों से मां का मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना किया जाता हैं। लेकिन यहां की खासियत यह हैं कि यहां पिछले 20 वर्षों से लगातार अष्ठमी के दिन भक्तों को माता के प्रसाद स्वरूप पेड़ का पौधा दिया जाता हैं तो वही नवमी को एक हजार भक्तों को रुद्राक्ष और एक हजार को घोड़े की नाल की अंगूठी दी जाती हैं।

पूजा समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार सेठ ने बताया कि पिछले 2प वर्षो से भक्तों को अष्ठमी के दिन प्रसाद स्वरूप पौधे और नवमी को रुद्राक्ष और अंगूठी समिति द्वारा मां के श्रद्धालुओं को बाटी जाती हैं। जिसके लिए समिति को जिला प्रशासन से सम्मान भी मिल चुका हैं। उन्होंने ने बताया कि स्वच्छ और हराभरा पर्यावरण के लिए समिति ने पेड़ के पौधों को बांटने का निर्णय लिया था।

बाल भक्त वर्धन भारद्वाज ने बताया कि बचपन से यहां पौधों का वितरण देखते आ रहे हैं। इसलिए अब आसपास के बच्चों को मिलाकर एक बाल विंग बनाया गया हैं। जो पौधों को अच्छे से तैयार करते हैं और वितरण में सहयोग करते हैं। बच्चों ने बताया कि वो चाहते हैं उनका पर्यावरण हराभरा रहे इसलिए वो इस कार्य को काफी उत्साह से करते हैं।


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