ETV Bharat / state

'अब परदेश न जाएंगे भैया, गांव में ही करेंगे काम'

ईटीवी भारत से मजदूरों ने दर्द बयां करते हुए बताया कि कंपनी में पेंटिंग का काम करते थे. काम ठप होने के कारण दाने-दाने को मोहताज हो गए. फिर सभी ने अपने घरों से बैंक एकाउंट में पैसा मंगवाया और तीन हजार रुपये में पुरानी साईकल खरीदकर अपने मंजिल के लिए निकल गए.

author img

By

Published : May 13, 2020, 3:24 PM IST

कैमूर
कैमूर

कैमूर : एनएच 2 दिल्ली-कोलकाता हाईवे पर हरियाणा से मधेपुरा के लिए साईकल से सफर कर रहे दिहाड़ी मजदूरों ने ईटीवी भारत से न सिर्फ अपने दर्द को बयां किया बल्कि रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश से जाने से तौबा तक कर डाला. लॉकडाउन में बेरोजगारी का मार झेल रहे मजदूरों ने कहा कि अब काम के लिए प्रदेश नहीं जायेंगे. गांव-घर में ही मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करेंगे.

'मधेपुरा जाना है'
बता दें कि एनएच 2 कर्मनाशा बॉर्डर पर पेड़ की छांव में बैठे मजदूरों ने बताया कि आठ की संख्या में है. साईकिल से हरियाणा से लगातार पांच दिनों में लगभग हजार किलोमीटर का सफर तय कर कैमूर पहुंचे हैं. मजदूरों ने बताया कि उन्हें मधेपुरा जाना है.

देखें पूरी रिपोर्ट

हिम्मत नहीं हारी
ईटीवी भारत से मजदूरों ने दर्द बयां करते हुए बताया कि कंपनी में पेंटिंग का काम करते थे. काम ठप होने के कारण दाने-दाने को मोहताज हो गए. फिर सभी ने अपने घरों से बैंक एकाउंट में पैसा मंगवाया और तीन हजार रुपये में पुरानी साईकल खरीदकर अपनी मंजिल के लिए निकल गए. मजदूरों ने बताया कि रास्ता में उन्हें काफी परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और चलते गए. यदि कहीं कुछ खाने को मिला तो खा लिया नहीं तो पानी के सहारे ही चलते बने.

मजबूरी है साहब
कई मजदूरों ने दूसरे प्रदेश में अब दोबारा लौटने से इंकार कर दिया. कईयों ने कहा कि मजबूरी है साहब, बिहार में रोजगार नहीं मिलता है. इसलिए मजबूरी में काम करने दूसरे प्रदेश में जाते हैं. मजदूरों ने कहा कि यदि सरकार बिहार में रोजगार उपलब्ध कराएगी, तो वापस कभी नहीं जाएंगे और गांव-घर में ही काम करेंगे. ऐसे में अब देखना यह होगा कि सरकार लाखों की संख्या में बिहार लौट रहे मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर पाती है या नहीं.

कैमूर : एनएच 2 दिल्ली-कोलकाता हाईवे पर हरियाणा से मधेपुरा के लिए साईकल से सफर कर रहे दिहाड़ी मजदूरों ने ईटीवी भारत से न सिर्फ अपने दर्द को बयां किया बल्कि रोजगार के लिए दूसरे प्रदेश से जाने से तौबा तक कर डाला. लॉकडाउन में बेरोजगारी का मार झेल रहे मजदूरों ने कहा कि अब काम के लिए प्रदेश नहीं जायेंगे. गांव-घर में ही मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करेंगे.

'मधेपुरा जाना है'
बता दें कि एनएच 2 कर्मनाशा बॉर्डर पर पेड़ की छांव में बैठे मजदूरों ने बताया कि आठ की संख्या में है. साईकिल से हरियाणा से लगातार पांच दिनों में लगभग हजार किलोमीटर का सफर तय कर कैमूर पहुंचे हैं. मजदूरों ने बताया कि उन्हें मधेपुरा जाना है.

देखें पूरी रिपोर्ट

हिम्मत नहीं हारी
ईटीवी भारत से मजदूरों ने दर्द बयां करते हुए बताया कि कंपनी में पेंटिंग का काम करते थे. काम ठप होने के कारण दाने-दाने को मोहताज हो गए. फिर सभी ने अपने घरों से बैंक एकाउंट में पैसा मंगवाया और तीन हजार रुपये में पुरानी साईकल खरीदकर अपनी मंजिल के लिए निकल गए. मजदूरों ने बताया कि रास्ता में उन्हें काफी परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और चलते गए. यदि कहीं कुछ खाने को मिला तो खा लिया नहीं तो पानी के सहारे ही चलते बने.

मजबूरी है साहब
कई मजदूरों ने दूसरे प्रदेश में अब दोबारा लौटने से इंकार कर दिया. कईयों ने कहा कि मजबूरी है साहब, बिहार में रोजगार नहीं मिलता है. इसलिए मजबूरी में काम करने दूसरे प्रदेश में जाते हैं. मजदूरों ने कहा कि यदि सरकार बिहार में रोजगार उपलब्ध कराएगी, तो वापस कभी नहीं जाएंगे और गांव-घर में ही काम करेंगे. ऐसे में अब देखना यह होगा कि सरकार लाखों की संख्या में बिहार लौट रहे मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर पाती है या नहीं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.