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कैमूर: टांगी से हमला कर वृद्ध पशुपालक की हत्या

बचाउ सिंह के बड़े भाई रामचरित्र सिंह यादव व रामजग सिंह यादव की साल 1979 में नक्सली हमले में हत्या हो गई थी. हांलाकि परिजनों की माने तो अब गांव में पहले जैसे हालात नहीं हैं.

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Published : Oct 20, 2020, 2:56 PM IST

कैमूर: जिले में एक वृद्ध की हत्या की घटना सामने आई है. रविवार की रात छावनी पर सोए वृद्ध पशुपालक की अज्ञात अपराधियों ने टांगी से हमला करके हत्या कर दी. मामला चैनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम डूमरकोन के सिवाना का है. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है.

हमले के मिले निशान
मृतक की पहचान डूमरकोन गांव निवासी लगभग 55 वर्षीय बचााउ सिंह यादव के रूप में की गई है. घटना के बारे में बताया जा रहा है कि रविवार को रोज की तरह बचााउ सिंह घर खाना खाकर अपनी बकरियों के साथ गांव से पश्चिम स्थित अपनी छावनी पर सोने चला गया. सुबह बचााउ सिंह के परिजनों ने उसे मृत पाया. उसके चेहरे व गले के पास टांगी से हमले का निशान बना हुआ था.

किसी के साथ नहीं था विवाद
बचााउ सिंह के बड़े भाई रामचरित्र सिंह यादव व रामजग सिंह यादव की साल 1979 में नक्सली हमले में हत्या हो गई थी. हांलाकि परिजनों की माने तो अब गांव में पहले जैसे हालात नहीं है. उन्होंने बताया कि बचााउ सिंह का किसी के साथ कोई विवाद नहीं था.

परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे चैनपुर थानाध्यक्ष उदय भानु सिंह ने बताया कि मृतक के परिजनों की तरफ से अभी तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है. मामला दर्ज कराते ही पुलिस जांच में जुट जाएगी. घटना के बाद मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है.

कैमूर: जिले में एक वृद्ध की हत्या की घटना सामने आई है. रविवार की रात छावनी पर सोए वृद्ध पशुपालक की अज्ञात अपराधियों ने टांगी से हमला करके हत्या कर दी. मामला चैनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम डूमरकोन के सिवाना का है. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है.

हमले के मिले निशान
मृतक की पहचान डूमरकोन गांव निवासी लगभग 55 वर्षीय बचााउ सिंह यादव के रूप में की गई है. घटना के बारे में बताया जा रहा है कि रविवार को रोज की तरह बचााउ सिंह घर खाना खाकर अपनी बकरियों के साथ गांव से पश्चिम स्थित अपनी छावनी पर सोने चला गया. सुबह बचााउ सिंह के परिजनों ने उसे मृत पाया. उसके चेहरे व गले के पास टांगी से हमले का निशान बना हुआ था.

किसी के साथ नहीं था विवाद
बचााउ सिंह के बड़े भाई रामचरित्र सिंह यादव व रामजग सिंह यादव की साल 1979 में नक्सली हमले में हत्या हो गई थी. हांलाकि परिजनों की माने तो अब गांव में पहले जैसे हालात नहीं है. उन्होंने बताया कि बचााउ सिंह का किसी के साथ कोई विवाद नहीं था.

परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे चैनपुर थानाध्यक्ष उदय भानु सिंह ने बताया कि मृतक के परिजनों की तरफ से अभी तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है. मामला दर्ज कराते ही पुलिस जांच में जुट जाएगी. घटना के बाद मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है.

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