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कैमूर में 'बीमार' पड़ी एम्बुलेंस, खुली स्वास्थ्य सुविधा की पोल - etv bharat news

बिहार सरकार प्रदेश में अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा कर रही है. वहीं, कैमूर में ज्यादातर एम्बुलेंस जर्जर हालत (Bad Condition of Ambulance in Kaimur) में हैं. जिनसे किसी तरह मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. वे जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल रही हैं.

Ambulance Sick in Kaimur
कैमूर में बीमार पड़ी एम्बुलेंस
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Published : Jan 1, 2022, 7:05 PM IST

Updated : Jan 1, 2022, 11:01 PM IST

कैमूर (भभुआ): सूबे की नीतीश सरकार बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का गुणगान (Health System in Bihar) गाते नहीं थक रही है. वहीं, कैमूर में मरीजों को ले जाने वाली एम्बुलेंस ही बीमार (Ambulance Sick in Kaimur) पड़ गयी है. जिससे मरीजों को अस्पताल ले जाने में काफी कठिनाई हो रही है. कई एम्बुलेंसों की सीटें खस्ताहाल हो गयी है. जिस पर न तो मरीजों के लिटाया जा सकता है और न ही बैठाया. इसके बावजूद दुर्घटना को दवात देने वाली इन्हीं एम्बुलेंस से मरीजों को अस्पताल तक किसी तरह ले जाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- VIDEO: दलालों के कब्जे में बक्सर सदर अस्पताल! कैमरे में कैद हुआ 'काला कारोबार'

कैमूर में जर्जर हो चुकी एम्बुलेंस कैमूर की बदहाल स्वास्थ्य सुविधा (Poor Health Facility in Kaimur) की पोल खोल रही है. वहीं, जिम्मेदार इससे बेखबर हैं. बता दें कि जिले की ज्यादातर एम्बुलेंस खुद बीमारी का दंश झेल रही हैं. कई बार तो चलते रास्ते में ऑटोमेटिक गेट अपने आप खुल जाते हैं. जिससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है. इतना ही नहीं, जर्जर हालत में होने के चलते समय पर अस्पताल पहुंचने में समय भी ज्यादा लगता है. जिससे मरीजों के तीमारदार के साथ ही चालकों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

सबसे खास बात यह है कि एंबुलेंस के ड्राइवरों ने 102 एम्बुलेंस कंट्रोलर पदाधिकारी भानु प्रताप सिंह से लिखित शिकायत की तो उन्होंने नजर अंदाज कर दिया. वहीं, इसकी शिकायत जब 102 एम्बुलेंस परिवहन के फिटनेस पदाधिकारी रत्नेश से की गयी तो मरम्मत कराने के बजाय उन्होंने निर्देश दिया कि ड्राइवर के वेतनमान से काटकर एम्बुलेंस को ठीक कराया जाए. जबकि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा प्रत्येक एम्बुलेंस की फिटनेस के लिए प्रतिमाह 97 हजार रुपये दिये जाते हैं फिर भी एम्बुलेंस खटारा हो गयी हैं.

देखें वीडियो

एम्बुलेंस से मरीज को ले जाने में काफी दिक्कत होती है. गाड़ी बहुत पटकती है और रनिंग में दरवाजा भी खुल जाता है. अधिकारी से 6 महीने से बोल रहे हैं लेकिन कोई भी काम नहीं कराया गया. वह कहते हैं कि चालक के पैसे से काम कराया जाएगा. -विनोद कुमार गुप्ता, एम्बुलेंस चालक

मरीज को लेकर जाते समय गाड़ी की बॉडी हिलने लगती है. सीट टूटने से धूल अंदर आती है. जिससे मरीज के गर्जियन भी डांटते हैं. इसके विषय में बोलने पर अधिकारी कहते हैं कि काम करा दिया जाएगा. -राजेश प्रसाद, एम्बुलेंस चालक

हमारे पास ऐसी कोई भी लिखित या मौखिक शिकायत नहीं आयी है, हर महीने इसकी रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य समिति को भेजा जाती है. मगर इस बार जो रिपोर्ट भेजी गयी है, उसमें 4 एम्बुलेंस ऐसी हैं जिसमें कुछ कमियां पायी गयी हैं. जिसके लिए 500 की कटौती की जा रही है. अगर मुझे कोई शिकायत मिलेगी तो उसे हम वरीय अधिकारियों को देंगें ताकि एम्बुलेंस खराब होने की वजह से किसी भी मरीज को परेशानी न और मरीजों को अच्छी सुविधाएं प्राप्त हों. -विनोद कुमार, उपाधीक्षक भभुआ सदर अस्पताल

ये भी पढ़ें- Video: बिहार का धक्का मार एंबुलेंस... बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था देख रोना आ जाएगा

कैमूर (भभुआ): सूबे की नीतीश सरकार बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का गुणगान (Health System in Bihar) गाते नहीं थक रही है. वहीं, कैमूर में मरीजों को ले जाने वाली एम्बुलेंस ही बीमार (Ambulance Sick in Kaimur) पड़ गयी है. जिससे मरीजों को अस्पताल ले जाने में काफी कठिनाई हो रही है. कई एम्बुलेंसों की सीटें खस्ताहाल हो गयी है. जिस पर न तो मरीजों के लिटाया जा सकता है और न ही बैठाया. इसके बावजूद दुर्घटना को दवात देने वाली इन्हीं एम्बुलेंस से मरीजों को अस्पताल तक किसी तरह ले जाया जा रहा है.

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कैमूर में जर्जर हो चुकी एम्बुलेंस कैमूर की बदहाल स्वास्थ्य सुविधा (Poor Health Facility in Kaimur) की पोल खोल रही है. वहीं, जिम्मेदार इससे बेखबर हैं. बता दें कि जिले की ज्यादातर एम्बुलेंस खुद बीमारी का दंश झेल रही हैं. कई बार तो चलते रास्ते में ऑटोमेटिक गेट अपने आप खुल जाते हैं. जिससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है. इतना ही नहीं, जर्जर हालत में होने के चलते समय पर अस्पताल पहुंचने में समय भी ज्यादा लगता है. जिससे मरीजों के तीमारदार के साथ ही चालकों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

सबसे खास बात यह है कि एंबुलेंस के ड्राइवरों ने 102 एम्बुलेंस कंट्रोलर पदाधिकारी भानु प्रताप सिंह से लिखित शिकायत की तो उन्होंने नजर अंदाज कर दिया. वहीं, इसकी शिकायत जब 102 एम्बुलेंस परिवहन के फिटनेस पदाधिकारी रत्नेश से की गयी तो मरम्मत कराने के बजाय उन्होंने निर्देश दिया कि ड्राइवर के वेतनमान से काटकर एम्बुलेंस को ठीक कराया जाए. जबकि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा प्रत्येक एम्बुलेंस की फिटनेस के लिए प्रतिमाह 97 हजार रुपये दिये जाते हैं फिर भी एम्बुलेंस खटारा हो गयी हैं.

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एम्बुलेंस से मरीज को ले जाने में काफी दिक्कत होती है. गाड़ी बहुत पटकती है और रनिंग में दरवाजा भी खुल जाता है. अधिकारी से 6 महीने से बोल रहे हैं लेकिन कोई भी काम नहीं कराया गया. वह कहते हैं कि चालक के पैसे से काम कराया जाएगा. -विनोद कुमार गुप्ता, एम्बुलेंस चालक

मरीज को लेकर जाते समय गाड़ी की बॉडी हिलने लगती है. सीट टूटने से धूल अंदर आती है. जिससे मरीज के गर्जियन भी डांटते हैं. इसके विषय में बोलने पर अधिकारी कहते हैं कि काम करा दिया जाएगा. -राजेश प्रसाद, एम्बुलेंस चालक

हमारे पास ऐसी कोई भी लिखित या मौखिक शिकायत नहीं आयी है, हर महीने इसकी रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य समिति को भेजा जाती है. मगर इस बार जो रिपोर्ट भेजी गयी है, उसमें 4 एम्बुलेंस ऐसी हैं जिसमें कुछ कमियां पायी गयी हैं. जिसके लिए 500 की कटौती की जा रही है. अगर मुझे कोई शिकायत मिलेगी तो उसे हम वरीय अधिकारियों को देंगें ताकि एम्बुलेंस खराब होने की वजह से किसी भी मरीज को परेशानी न और मरीजों को अच्छी सुविधाएं प्राप्त हों. -विनोद कुमार, उपाधीक्षक भभुआ सदर अस्पताल

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Last Updated : Jan 1, 2022, 11:01 PM IST
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