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पेंशन बंटवारे के लिए जमकर हुई देवर भाभी और ननद में मारपीट, बॉक्सिंग रिंग बना प्रखंड कार्यालय

सास की पेंशन के लिए देवर भाभी और ननद में जमकर लड़ाई हुई. प्रखंड कार्यालय के गेट पर ही तीनों का अखाड़ा सज गया. लोगों का मजमा भी जुट गया. कोई लड़ाई छुड़ाने के लिए नहीं आगे आया. पढ़ें पूरी खबर-

जहानाबाद
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Published : Mar 14, 2022, 11:09 PM IST

जहानाबाद : सास की पेंशन को लेकर परिवार में लड़ाई हो गई. देवर, भाभी और ननद में जमकर मारपीट (Fight between family for pension distribution ) हुई. मौके पर अफरातफरी का माहौल हो गया. कोई भी उन्हें छुड़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. तीनों झोंटाझोटी पर उतारू हो गए, एक दूसरे पर लगातार हमला करने लगे. किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़ाई को छुड़ाएं कैसे? कुछ लोग इसी उधेड़बुन में लगे थे. कुछ लोग मोबाइल तानकर वीडियो बना रहे थे. कुछ लोग ये जानने की कोशिश में जुटे थे कि आखिर क्यों तीनों लड़ रहे हैं?

ये भी पढ़ें- खगड़िया में रणक्षेत्र में तब्दील हुआ चुनाव क्षेत्र, वार्ड सचिव चुनाव को लेकर भिड़े दो गुट

ये पूरा वाकया जहानाबाद के पुराने सदर प्रखंड कार्यालय के परिसर में हो रहा था. लोगों की भारी भीड़ थी. लड़ाई शुरू होते ही लोगों की भीड़ और बढ़ गई. ननद-देवर और भौजाई तीनों गुत्थम गुत्था थे. कोई भी व्यक्ति उन्हें छुड़ाने के लिए आगे नहीं आ रहा था. दरअसल, लड़ाई की असल वजह सास को मिली पेंशन थी. पेंशन के बंटवारे के लिए मां के सामने ही देवर-भाभी और ननद में झगड़ा शुरू हो गया. जब निष्कर्ष नहीं निकला तो तीनों में मारपीट होने लगी. सास कभी बहु को छुड़ाती तो कभी बेटे को भाभी से बचाती. लड़ाई सास के रोके नहीं रुक रही थी.

तीनों इस तरह लड़ रहे थे कि समझ में ही नहीं आ रहा था कि कौन किस तरफ से है? और दुश्मन कौन है? थोड़ी ही देर में सदर प्रखंड कार्यालय बॉक्सिंग रिंग बन चुका था. लग यही रहा था कि पेंशन का पैसा विजेता को पुरस्कार स्वरूप मिलेगा. लोग भी निर्लज्जता से मल्लयुद्ध देख रहे थे. प्रखंड कार्यालय का गेट लड़ाई का गवाह बन गया था. थोड़ी देर में थककर तीनों शांत हो गए. जीता कौन इसका तो पता नहीं लेकिन एक मां अपने परिवार में हुई इस लड़ाई से हार गई.

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जहानाबाद : सास की पेंशन को लेकर परिवार में लड़ाई हो गई. देवर, भाभी और ननद में जमकर मारपीट (Fight between family for pension distribution ) हुई. मौके पर अफरातफरी का माहौल हो गया. कोई भी उन्हें छुड़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. तीनों झोंटाझोटी पर उतारू हो गए, एक दूसरे पर लगातार हमला करने लगे. किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि इस लड़ाई को छुड़ाएं कैसे? कुछ लोग इसी उधेड़बुन में लगे थे. कुछ लोग मोबाइल तानकर वीडियो बना रहे थे. कुछ लोग ये जानने की कोशिश में जुटे थे कि आखिर क्यों तीनों लड़ रहे हैं?

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ये पूरा वाकया जहानाबाद के पुराने सदर प्रखंड कार्यालय के परिसर में हो रहा था. लोगों की भारी भीड़ थी. लड़ाई शुरू होते ही लोगों की भीड़ और बढ़ गई. ननद-देवर और भौजाई तीनों गुत्थम गुत्था थे. कोई भी व्यक्ति उन्हें छुड़ाने के लिए आगे नहीं आ रहा था. दरअसल, लड़ाई की असल वजह सास को मिली पेंशन थी. पेंशन के बंटवारे के लिए मां के सामने ही देवर-भाभी और ननद में झगड़ा शुरू हो गया. जब निष्कर्ष नहीं निकला तो तीनों में मारपीट होने लगी. सास कभी बहु को छुड़ाती तो कभी बेटे को भाभी से बचाती. लड़ाई सास के रोके नहीं रुक रही थी.

तीनों इस तरह लड़ रहे थे कि समझ में ही नहीं आ रहा था कि कौन किस तरफ से है? और दुश्मन कौन है? थोड़ी ही देर में सदर प्रखंड कार्यालय बॉक्सिंग रिंग बन चुका था. लग यही रहा था कि पेंशन का पैसा विजेता को पुरस्कार स्वरूप मिलेगा. लोग भी निर्लज्जता से मल्लयुद्ध देख रहे थे. प्रखंड कार्यालय का गेट लड़ाई का गवाह बन गया था. थोड़ी देर में थककर तीनों शांत हो गए. जीता कौन इसका तो पता नहीं लेकिन एक मां अपने परिवार में हुई इस लड़ाई से हार गई.

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