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लॉकडाउन और सावन महीने की वजह से मंदी की मार झेल रहे चिकेन दुकानदार, परिवार चलाना हुआ मुश्किल

बिहार में लॉकडाउन का सीधा असर छोटे व्यापारियों पर पड़ रहा है. इस वजह से जहानाबाद में चिकन बेचने वाले दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है.

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Published : Jul 22, 2020, 3:42 PM IST

जहानाबाद: जिले में चिकन बेचने वाले दुकानदार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. लॉकडाउन होने के कारण पहले से ही दुकानदारों की हालत खराब है, ऊपर से सावन का महीना चल रहा है. जिससे लोगों ने चिकन खाने से दूरी बना ली है. इस वजह से चिकन और मटन की बिक्री न के बराबर हो गई है.

दुकानदारों के बताया कि अपना पेट और परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है. प्रशासन की ओर से 10 बजे के बाद दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी जाती है. जबकि चिकन और मीट की बिक्री शाम के समय में ज्यादा होती है. दुकानदारों ने कहा कि हम लोगों की आस थी कि सावन के महीने में बाबा भोलेनाथ के सभी मंदिर बंद हैं. कुछ लोग सावन महीने में भी चिकन की खरीदारी करते हैं. लेकिन सब नाउम्मीद ही निकली. आलम ये है कि अब पास में रुपया तक नहीं है.

जानिए दुकानदार की परेशानी
एक दुकानदार ने बताया कि जो पूंजी मेरे पास है, उसे मैं खाने-पीने में खर्च कर रहा हूं. किसी तरह परिवार चला रहा हूं. उन्होंने कहा कि मुझे यह डर सता रहा है कि जब दुकान की पूंजी इस महीने खाने पीने में खर्च कर दूंगा, तो आगे दुकान कैसे चलाउंगा. दुकानदार का कहना है कि इस बात की चिंता सता रही है कि अगर सरकार की ओर से हम लोगों की मदद नहीं की गई तो भूखे मरने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा.

जहानाबाद: जिले में चिकन बेचने वाले दुकानदार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. लॉकडाउन होने के कारण पहले से ही दुकानदारों की हालत खराब है, ऊपर से सावन का महीना चल रहा है. जिससे लोगों ने चिकन खाने से दूरी बना ली है. इस वजह से चिकन और मटन की बिक्री न के बराबर हो गई है.

दुकानदारों के बताया कि अपना पेट और परिवार चलाना काफी मुश्किल हो गया है. प्रशासन की ओर से 10 बजे के बाद दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी जाती है. जबकि चिकन और मीट की बिक्री शाम के समय में ज्यादा होती है. दुकानदारों ने कहा कि हम लोगों की आस थी कि सावन के महीने में बाबा भोलेनाथ के सभी मंदिर बंद हैं. कुछ लोग सावन महीने में भी चिकन की खरीदारी करते हैं. लेकिन सब नाउम्मीद ही निकली. आलम ये है कि अब पास में रुपया तक नहीं है.

जानिए दुकानदार की परेशानी
एक दुकानदार ने बताया कि जो पूंजी मेरे पास है, उसे मैं खाने-पीने में खर्च कर रहा हूं. किसी तरह परिवार चला रहा हूं. उन्होंने कहा कि मुझे यह डर सता रहा है कि जब दुकान की पूंजी इस महीने खाने पीने में खर्च कर दूंगा, तो आगे दुकान कैसे चलाउंगा. दुकानदार का कहना है कि इस बात की चिंता सता रही है कि अगर सरकार की ओर से हम लोगों की मदद नहीं की गई तो भूखे मरने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा.

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