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लोकसभा के नए महासचिव बने उत्पल कुमार सिंह, जमुई के पैतृक गांव में जश्न

जमुई के रहने वाले उत्पल कुमार सिंह को लोकसभा का महासचिव बनाया गया है. 1 दिसंबर को उन्होंने पदभार ग्रहण किया. जैसे ही ये खबर उनके गांव पहुंची लोगों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. उत्पल कुमार ने भी चाची को फोन करके उनके हाथ के पराठे खाने की बात कही.

उत्पल कुमार सिंह
उत्पल कुमार सिंह
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Published : Dec 1, 2020, 6:17 PM IST

Updated : Dec 1, 2020, 8:39 PM IST

जमुई: आदमी चाहे कितना भी बड़ा हो जाए, लेकिन वो अपने गांव की मिट्टी को नहीं भूलता. ऐसे ही हैं लोकसभा के नए महासचिव उत्पल कुमार सिंह. उनका ओहदा ऊंचा भले ही है लेकिन ये आज भी गांव और उसकी मिट्टी से जुड़े हैं. जैसे ही लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने महासचिव के पद के लिए नियुक्त किया, उन्होंने तुरंत अपने गांव फोन घुमाया. चाचा से बात की. गांव आकर चाची के हाथ से बने पराठे और चोखा खाने की इच्छा जताई. अपने उन दोस्तों को भी याद किया जिनके साथ गांव की गलियों में खेला. पड़ोसियों से लेकर पूरे गांव का हालचाल भी पूछा.

उत्पल सिंह की चाची बताती हैं कि उत्पल बचपन से ही सरल स्वभाव का थे और वह पढ़ने में काफी तेज थे. खाना खाते समय भी वह अपने किताबों को हाथों से अलग नहीं करते थे. उन्होंने बताया कि सोमवार को उत्पल ने ही उनके मोबाइल पर फोन कर जानकारी दी थी कि उन्हें लोकसभा के महासचिव पद पर नियुक्त किया गया है.

उत्पल कुमार सिंह का पैतृक निवास
उत्पल कुमार सिंह के परिजन

ईटीवी भारत भी खुशी के इस माहौल में उनके पैतृक गांव मलयपुर पहुंचा. ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने परिजनों से बात की. इस दौरान उनके चाचा जुगल किशोर सिंह और नवल किशोर सिंह ने बताया कि उत्पल बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थे. उनके पिता बोकारो थर्मल पावर में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे, तो उनकी पढ़ाई भी वहीं से हुई थी. हालांकि वह मलयपुर स्थित अपने पैतृक आवास पहुंचकर आईएएस की तैयारी भी करते थे.

उत्पल कुमार सिंह का पैतृक निवास
उत्पल कुमार सिंह का पैतृक निवास

1 दिसंबर को किया पदभार ग्रहण
उत्पल कुमार सिंह ने 1 दिसंबर 2020 को लोकसभा के नए महासचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सोमवार को उत्पल कुमार को इस पद पर नियुक्त किया था. उन्हें कैबिनेट सचिव का रैंक और दर्जा दिया गया है. उत्पल कुमार सिंह 1986 बैच के उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह निवर्तमान स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह पर नियुक्त हुए हैं.

निवर्तमान स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह लेंगे उत्पल कुमार सिंह
स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह उत्पल कुमार सिंह ने ग्रहण किया लोकसभा महासचिव का पदभार

ऐसा रहा पूर्व का कार्यकाल
रिटायर्ड आईएएस उत्पल कुमार सिंह ने अपनी 34 साल की सर्विस में यूपी के मुजफ्फरनगर और आजमगढ़ जैसे चुनौती भरे जिलों से लेकर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दी हैं. जून 2000 में उत्पल कुमार सिंह की पोस्टिंग सबसे पहले उत्तराखंड में बतौर कुमाऊं मंडल विकास निगम में मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर हुई थी.

देखें वीडियो

उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद उन्हें नैनीताल जिले का डीएम बनाया गया, जहां उन्होंने तकरीबन सवा साल तक अपनी सेवाएं दीं और इसके बाद उनकी पदोन्नति सचिव स्तर पर हो गई. साल 2002 में उत्पल कुमार को गढ़वाल मंडल विकास निगम का एमडी बनाया गया.

इन जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी उत्पल कुमार सिंह की कुशल कार्यक्षमता और उनकी बेहतरीन कार्यशैली को देखते हुए उन्हें वर्ष 2012 में भारत सरकार में भेजा गया, जहां उन्होंने कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी का निर्वहन किया. यहां उन्हें पदोन्नति के बाद अपर सचिव बनाया गया और उसके बाद अक्टूबर 2017 में उत्तराखंड सरकार ने उन्हें वापस उत्तराखंड बतौर मुख्य सचिव बुला लिया. इसके बाद वह लगातार उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दे रहे थे.

उत्तराखंड में चल रहे पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए केंद्र ने अपना एक जिम्मेदार अधिकारी उत्तराखंड भेजा था. मुख्य सचिव के तौर पर उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया.

जमुई: आदमी चाहे कितना भी बड़ा हो जाए, लेकिन वो अपने गांव की मिट्टी को नहीं भूलता. ऐसे ही हैं लोकसभा के नए महासचिव उत्पल कुमार सिंह. उनका ओहदा ऊंचा भले ही है लेकिन ये आज भी गांव और उसकी मिट्टी से जुड़े हैं. जैसे ही लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने महासचिव के पद के लिए नियुक्त किया, उन्होंने तुरंत अपने गांव फोन घुमाया. चाचा से बात की. गांव आकर चाची के हाथ से बने पराठे और चोखा खाने की इच्छा जताई. अपने उन दोस्तों को भी याद किया जिनके साथ गांव की गलियों में खेला. पड़ोसियों से लेकर पूरे गांव का हालचाल भी पूछा.

उत्पल सिंह की चाची बताती हैं कि उत्पल बचपन से ही सरल स्वभाव का थे और वह पढ़ने में काफी तेज थे. खाना खाते समय भी वह अपने किताबों को हाथों से अलग नहीं करते थे. उन्होंने बताया कि सोमवार को उत्पल ने ही उनके मोबाइल पर फोन कर जानकारी दी थी कि उन्हें लोकसभा के महासचिव पद पर नियुक्त किया गया है.

उत्पल कुमार सिंह का पैतृक निवास
उत्पल कुमार सिंह के परिजन

ईटीवी भारत भी खुशी के इस माहौल में उनके पैतृक गांव मलयपुर पहुंचा. ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने परिजनों से बात की. इस दौरान उनके चाचा जुगल किशोर सिंह और नवल किशोर सिंह ने बताया कि उत्पल बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज थे. उनके पिता बोकारो थर्मल पावर में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे, तो उनकी पढ़ाई भी वहीं से हुई थी. हालांकि वह मलयपुर स्थित अपने पैतृक आवास पहुंचकर आईएएस की तैयारी भी करते थे.

उत्पल कुमार सिंह का पैतृक निवास
उत्पल कुमार सिंह का पैतृक निवास

1 दिसंबर को किया पदभार ग्रहण
उत्पल कुमार सिंह ने 1 दिसंबर 2020 को लोकसभा के नए महासचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सोमवार को उत्पल कुमार को इस पद पर नियुक्त किया था. उन्हें कैबिनेट सचिव का रैंक और दर्जा दिया गया है. उत्पल कुमार सिंह 1986 बैच के उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह निवर्तमान स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह पर नियुक्त हुए हैं.

निवर्तमान स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह लेंगे उत्पल कुमार सिंह
स्नेहलता श्रीवास्तव की जगह उत्पल कुमार सिंह ने ग्रहण किया लोकसभा महासचिव का पदभार

ऐसा रहा पूर्व का कार्यकाल
रिटायर्ड आईएएस उत्पल कुमार सिंह ने अपनी 34 साल की सर्विस में यूपी के मुजफ्फरनगर और आजमगढ़ जैसे चुनौती भरे जिलों से लेकर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दी हैं. जून 2000 में उत्पल कुमार सिंह की पोस्टिंग सबसे पहले उत्तराखंड में बतौर कुमाऊं मंडल विकास निगम में मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर हुई थी.

देखें वीडियो

उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद उन्हें नैनीताल जिले का डीएम बनाया गया, जहां उन्होंने तकरीबन सवा साल तक अपनी सेवाएं दीं और इसके बाद उनकी पदोन्नति सचिव स्तर पर हो गई. साल 2002 में उत्पल कुमार को गढ़वाल मंडल विकास निगम का एमडी बनाया गया.

इन जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी उत्पल कुमार सिंह की कुशल कार्यक्षमता और उनकी बेहतरीन कार्यशैली को देखते हुए उन्हें वर्ष 2012 में भारत सरकार में भेजा गया, जहां उन्होंने कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी का निर्वहन किया. यहां उन्हें पदोन्नति के बाद अपर सचिव बनाया गया और उसके बाद अक्टूबर 2017 में उत्तराखंड सरकार ने उन्हें वापस उत्तराखंड बतौर मुख्य सचिव बुला लिया. इसके बाद वह लगातार उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दे रहे थे.

उत्तराखंड में चल रहे पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए केंद्र ने अपना एक जिम्मेदार अधिकारी उत्तराखंड भेजा था. मुख्य सचिव के तौर पर उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया.

Last Updated : Dec 1, 2020, 8:39 PM IST
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