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लॉकडाउन में भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है किन्नर समाज, सरकार से मांगी मदद

कोरोना वायरस के कारण लागू हुए लॉकडाउन के कारण किन्नर समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है. वहीं, कोई भी जनप्रतिनिधि या समाजसेवी इनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. इस कारण किन्नर समाज के लोग परेशान हैं.

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Published : May 30, 2020, 4:12 PM IST

जमुई: समाज से उपेक्षित किन्नर समाज के सामने लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी का संकट आ गया है. कोरोना वायरस को लेकर सामाजिक दूरी के कारण शादी और बच्चे के जन्म जैसे अवसरों पर नाच-गाकर पैसा कमाने वाले किन्नर आज भुखमरी की कगार पर हैं. इन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

jamui
किन्नरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

मलयपुर गांव के मूल निवासी मारुति किन्नर ने बताया कि उसके साथ दस से पंद्रह किन्नर रहती थी. वे लोग ट्रेन में यात्रियों से मांग कर और बधाई गीत गाकर अपना जीवनयापन करती थी, लेकिन लॉकडाउन ने सब चौपट कर दिया है. उसके साथ रहने वाली किन्नर जुली, मुस्कान, रोशनी सहित अन्य लोगों ने राशन के अभाव में मलयपुर गांव छोड़ दिया है.

देखें रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिली कोई मदद
किन्नरों ने बताया कि उनके पास न खाने को अनाज है और न ही खरीदने का कोई उपाय है. किसी प्रकार गांव के आसपास के लोगों से कर्ज लेकर वो अपनी जिंदगी की रक्षा कर रही है. वहीं, उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उन लोगों की कोई मदद नहीं की है. किन्नरों के घर में स्थित किचन में चूल्हे पर धूल की मोटी परत जम गई थी. इससे साफ प्रतीत हो रहा था कि उसके किचन का चूल्हा कई दिनों से जला ही नहीं हो.

जमुई: समाज से उपेक्षित किन्नर समाज के सामने लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी का संकट आ गया है. कोरोना वायरस को लेकर सामाजिक दूरी के कारण शादी और बच्चे के जन्म जैसे अवसरों पर नाच-गाकर पैसा कमाने वाले किन्नर आज भुखमरी की कगार पर हैं. इन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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किन्नरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

मलयपुर गांव के मूल निवासी मारुति किन्नर ने बताया कि उसके साथ दस से पंद्रह किन्नर रहती थी. वे लोग ट्रेन में यात्रियों से मांग कर और बधाई गीत गाकर अपना जीवनयापन करती थी, लेकिन लॉकडाउन ने सब चौपट कर दिया है. उसके साथ रहने वाली किन्नर जुली, मुस्कान, रोशनी सहित अन्य लोगों ने राशन के अभाव में मलयपुर गांव छोड़ दिया है.

देखें रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिली कोई मदद
किन्नरों ने बताया कि उनके पास न खाने को अनाज है और न ही खरीदने का कोई उपाय है. किसी प्रकार गांव के आसपास के लोगों से कर्ज लेकर वो अपनी जिंदगी की रक्षा कर रही है. वहीं, उन्होंने बताया कि प्रशासन ने उन लोगों की कोई मदद नहीं की है. किन्नरों के घर में स्थित किचन में चूल्हे पर धूल की मोटी परत जम गई थी. इससे साफ प्रतीत हो रहा था कि उसके किचन का चूल्हा कई दिनों से जला ही नहीं हो.

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