जमुई: ग्रामीण इलाकों की दशा और दिशा सुधारने के लिए भारत सरकार की ओर से सांसद आदर्श ग्राम योजना चलाई गई. पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना को जाना गया. 2014 को लांच की गई यह योजना गांवों के लिए बेईमानी सी लग रही है. ऐसा हम नहीं सोनो प्रखंड के बटिया गांव स्थित दहियारी पंचायत बयां कर रहा है.
पिछले पांच साल के कार्यकाल में जमुई सांसद चिराग पासवान ने दहियारी पंचायत को गोद लिया था. इसके बाद गांव के लोगों को लगा था कि अब उनके गांव की सूरत बदल जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस बार जनता ने फिर से चिराग पासवान को चुना है. लेकिन चिराग शायद अपने गोद ली हुई इस पंचायत को भूल गए हैं.
- सोनो ब्लॉक से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दहियारी पंचायत को सांसद आदर्श पंचायत कहा जाता है. लेकिन इस पंचायत के कई गांव विकास से कोसो दूर हैं.
नहीं हुआ विकास
विकास के पैमाने में दहियारी पंचायत का कुरवा गांव बेहद पिछड़ा हुआ है. गांव में बिजली, पानी, चिकित्सा, सड़क और शिक्षा जैसी अन्य मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. वहीं गांव के बच्चों की पढ़ाई के लिए जो स्कूल है. वह इस गांव से चार-पांच किलोमीटर दूर है. जिससे इस इलाके के बच्चे गांव में ही अनपढ़ों की तरह इधर-उधर घूमते नजर आते हैं.
गांव की महिला आशा देवी ने बताया कि उनके पास न तो राशन कार्ड है और न ही आवास मिला है. वो अकेली ऐसी नहीं हैं, जिन्हें ये सुविधाएं नहीं मिली. गांव में कई मकान कच्चे हैं.
- लोजपा सांसद वर्तमान में एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.
- पिता रामविलास पासवान केंद्र सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री हैं.
ग्रामीणों का दर्द
केंद्र सरकार भले ही विकास के बड़े-बड़े दावे क्यों न करती हो. लेकिन तस्वीरें और ग्रामीणों का बयान इस दावे की जमीनी हकीकत बताते हैं. कुराव गांव के आशा देवी, फुलवा देवी, मक्खन पुजहर, कारू पुजहर सहित अन्य लोगों ने बताया कि दूसरे गांव में तो विकास हुआ. लेकिन उनके गांव में कोई विकास का कार्य नहीं हुआ है. सड़क भी जर्जर है. न तो स्कूल है और न ही पानी है. गांव में सामुदायिक भवन ही बनाया गया है. जिस कारण यहां के लोगो को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.