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जमुई: नौकरी तलाशने के बजाय खेती का रास्ता अपना रहे युवा किसान, आर्थिक स्थिति को बना रहे मजबूत

ग्रेजुएशन के बाद नौकरी तलाशने के बजाय पूर्वजों की जमीन पर परंपरागत खेती को छोड़कर किसान ब्रोकली की खेती करना शुरू कर दिए है. जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है.

ब्रोकली की खेती
ब्रोकली की खेती
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Published : Feb 1, 2021, 12:15 PM IST

Updated : Feb 1, 2021, 12:32 PM IST

जमुई: जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर बसा सदर प्रखंड के नीमनवादा गांव के युवा किसान ग्रेजुएशन के बाद भी नौकरी तलाशने के बजाय खेती का रास्ता अपना रहे हैं. किसानों ने अपने पूर्वजों की जमीन पर परंपरागत खेती को छोड़कर सब्जी का उत्पादन शुरू किया है. किसान तकनीकी प्रशिक्षण लेकर ब्रोकली की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.

ब्रोकली की खेती.
ब्रोकली की खेती.

तकनीकी के जरिए कर रहे खेती
एक दौर था जब लोग रोजगार की तलाश में शहर की ओर भाग रहे थे. लेकिन आज युवा लाखों के पैकेज को छोड़कर गांव का रूख कर रहे हैं. उच्च शिक्षा की डिग्री और हाथ में लाखों का पैकेज होने के बाद भी ये युवा अपने इनोवेटिव आइडिया और नई तकनीक के जरिए खेती कर रहे हैं और उनका यह कदम ग्रामीण अंचल के किसानों को लाभ दिला रहा है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.

इसे भी पढ़ें: पटना: वरीयता के आधार पर 63 विधायकों को आवास आवंटित

बच्चों को दे रहे अच्छी शिक्षा ब्रोकली को यूरोपियन सब्जी भी कहा जाता है. किसान इसे बाजार में अच्छे दामों में बेचकर बेहतर आमदनी कर रहे हैं. किसान ने बताया कि पूर्व में वह ब्रोकली की खेती कर बाजार में बेचते थे. उस समय यहां के लोग उसे हरा गोभी और खराब गोभी कहकर नहीं लेते थे. लेकिन किसानों ने अपना प्रयास जारी रखा और आज उनकी ब्रोकली 20 से 35 रुपये प्रति पीस बाजार में बिक रही है.

अन्य सब्जियों की भी खेती
किसान ब्रोकली के साथ अपने खेतों में करेला, भिंडी, बीन्स, नेनुआ, खीरा, पत्तागोभी आदि का उत्पादन कर रहे हैं. ऐसे में नई सब्जियों के बाजार में पहले आने से इन्हें बेहतर कीमत मिल जाती है. करीब चार बीघा जमीन में सब्जियों की खेती कर रहे प्रवेश माहतो प्रतिमाह करीब 40,000 की आमदनी कर लेते हैं. बेहतर आमदनी की बदौलत वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.

ब्रोकली की खेती.
ब्रोकली की खेती.
मंडी और स्टोरेज नहीं होने से किसानों को नहीं मिल रहा उचित दामइस दौरान ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए किसान बाबूलाल महतो ने बताया कि-

अमूमन नीम नवादा गांव से सब्जी भारी तादाद में जिले के अलावा लखीसराय, दलसिंहसराय भी भेजा जाता है. साथ ही बताया कि मार्केट में मंडी न रहने के कारण ब्रोकली सहित अन्य सब्जियों की उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. यदि जिला प्रशासन मार्केट में मंड़ी की व्यवस्था करा दे तो उन्हें सब्जियों की उचित मूल्य प्राप्त होंगे. -बाबूलाल महतो, किसान

यदि जिला प्रशासन के माध्यम से जिले में सब्जियों को रखने के लिए स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध करा दिया जाए तो सब्जियों की उचित मूल्य मिलेंगे. -विश्वनाथ, किसान

विश्वनाथ महतो, किसान
विश्वनाथ महतो, किसान

जमुई: जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर बसा सदर प्रखंड के नीमनवादा गांव के युवा किसान ग्रेजुएशन के बाद भी नौकरी तलाशने के बजाय खेती का रास्ता अपना रहे हैं. किसानों ने अपने पूर्वजों की जमीन पर परंपरागत खेती को छोड़कर सब्जी का उत्पादन शुरू किया है. किसान तकनीकी प्रशिक्षण लेकर ब्रोकली की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.

ब्रोकली की खेती.
ब्रोकली की खेती.

तकनीकी के जरिए कर रहे खेती
एक दौर था जब लोग रोजगार की तलाश में शहर की ओर भाग रहे थे. लेकिन आज युवा लाखों के पैकेज को छोड़कर गांव का रूख कर रहे हैं. उच्च शिक्षा की डिग्री और हाथ में लाखों का पैकेज होने के बाद भी ये युवा अपने इनोवेटिव आइडिया और नई तकनीक के जरिए खेती कर रहे हैं और उनका यह कदम ग्रामीण अंचल के किसानों को लाभ दिला रहा है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.

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बच्चों को दे रहे अच्छी शिक्षा ब्रोकली को यूरोपियन सब्जी भी कहा जाता है. किसान इसे बाजार में अच्छे दामों में बेचकर बेहतर आमदनी कर रहे हैं. किसान ने बताया कि पूर्व में वह ब्रोकली की खेती कर बाजार में बेचते थे. उस समय यहां के लोग उसे हरा गोभी और खराब गोभी कहकर नहीं लेते थे. लेकिन किसानों ने अपना प्रयास जारी रखा और आज उनकी ब्रोकली 20 से 35 रुपये प्रति पीस बाजार में बिक रही है.

अन्य सब्जियों की भी खेती
किसान ब्रोकली के साथ अपने खेतों में करेला, भिंडी, बीन्स, नेनुआ, खीरा, पत्तागोभी आदि का उत्पादन कर रहे हैं. ऐसे में नई सब्जियों के बाजार में पहले आने से इन्हें बेहतर कीमत मिल जाती है. करीब चार बीघा जमीन में सब्जियों की खेती कर रहे प्रवेश माहतो प्रतिमाह करीब 40,000 की आमदनी कर लेते हैं. बेहतर आमदनी की बदौलत वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.

ब्रोकली की खेती.
ब्रोकली की खेती.
मंडी और स्टोरेज नहीं होने से किसानों को नहीं मिल रहा उचित दामइस दौरान ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए किसान बाबूलाल महतो ने बताया कि-

अमूमन नीम नवादा गांव से सब्जी भारी तादाद में जिले के अलावा लखीसराय, दलसिंहसराय भी भेजा जाता है. साथ ही बताया कि मार्केट में मंडी न रहने के कारण ब्रोकली सहित अन्य सब्जियों की उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. यदि जिला प्रशासन मार्केट में मंड़ी की व्यवस्था करा दे तो उन्हें सब्जियों की उचित मूल्य प्राप्त होंगे. -बाबूलाल महतो, किसान

यदि जिला प्रशासन के माध्यम से जिले में सब्जियों को रखने के लिए स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध करा दिया जाए तो सब्जियों की उचित मूल्य मिलेंगे. -विश्वनाथ, किसान

विश्वनाथ महतो, किसान
विश्वनाथ महतो, किसान
Last Updated : Feb 1, 2021, 12:32 PM IST
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