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त्यौहार का मौसम आते ही कुम्हारों ने चाक को दी रफ्तार, 2 साल बाद अच्छी आमदनी की आस - Diya making work started in jamui

दिपावली नजदीक आते ही मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हार अपने काम में जुट गये हैं. दिन-रात एक कर वो दीये बना रहे हैं, ताकि त्यौहार में उसे बेचकर कुछ कमाई कर सकें. जिससे परिवार का भरण पोषण हो. पढ़िये पूरी खबर..

जमुई में कुम्हारों ने शुरू की दिपावली की तैयारी
जमुई में कुम्हारों ने शुरू की दिपावली की तैयारी
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Published : Oct 25, 2021, 10:55 AM IST

जमुई: दुर्गा पूजा (Durga Puja) के बाद अब रौशनी का त्यौहार दिपावली (Diwali) आने वाला है. जिसके बाद छठ महापर्व है. ऐसे में मिट्टी का दीया बनाने वाले कुम्हार पंडित अपने काम में जुट गये हैं. जमुई में कुम्हारों ने अपने चाक को रफ्तार दे दी है. दिन रात पूरा परिवार मिलकर एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर मिट्टी के बर्तन और दिये बना रहे हैं और उसे पकाकर रंग रोगन कर तैयार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:दिवाली-छठ पर महंगा हुआ हवाई टिकट, बिहार आने के लिए चुकाना होगा दो से ढाई गुना ज्यादा दाम

कुम्हार पंडित दीये और खिलौने तेजी से तैयार कर रहे हैं. ताकि त्यौहार आने पर उसे बाजार में बेचकर कुछ मुनाफा कमा सकें, जिससे परिवार का भरण पोषण हो. ऐसे ही कुछ मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार पंडितों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की और उनकी परेशानी और समस्याओं को जाना.

मिट्टी के बर्तन बनाने वाले सुनील पंडित कहते हैं कि खेती-बारी भी नहीं है, जमीन भी नहीं है. किसी प्रकार मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते आ रहे हैं. सरकारी सहायता कुछ नहीं मिलती है. सभी परिवार मेहनत मजदूरी कर पेट पालते थे, लेकिन बीते दो वर्षों में कोरोना ने कमर तोड़ दी. काम रोजगार छूट गया, मजदूरी नहीं मिली. जिसके बाद से अपने पुश्तैनी काम में जुटना पड़ा. मिट्टी का सामान बना रहे हैं. मेहनत मजदूरी करके बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पत्नी सिलाई का काम करती है और सभी साथ मिलकर मिट्टी के सामान भी बनाते हैं. उसी के सहारे घर परिवार चलता है.

देखें वीडियो

वहीं महिंदर पंडित ने कहा कि "महंगाई ने तो कमर तोड़ दी है. एक तो वैसे ही चाइनीज लाइटों और सामानों की वजह से मिट्टी के दीये, खिलौने, बर्तन आदि की बिक्री घट गई है. ऊपर से अब तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं. महंगाई बढ़ गई है. महिंदर पंडित ने कहा कि अब कौन दीये में तेल डालकर जलाएगा. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में मजदूरी, रोजगार भी छिन गया. बीते दो वर्षों से घर बैठ गए. जो जमापूंजी बची थी, वह भी खत्म हो गया. किसी तरह काम चल रहा है.

अब दुर्गा पूजा के बाद दीपावली का त्यौहार और छठ महापर्व आ रहा है. इसी को लेकर मिट्टी के बर्तन, दीया, कपटी, चुकड़ी, पतिला, मूर्ति और बच्चों के लिए घरकुंड़ा में सजाने वाले सामान आदि बनाकर तैयार कर रहे हैं. इसी उम्मीद में की कुछ बिक्री हो जाएगी. जिससे परिवार चलाने में मदद मिलेगी. सरकार की ओर से कुछ भी मदद नहीं मिल पा रही है.

ये भी पढ़ें:दिवाली और छठ को लेकर चलायी जाएंगी कई स्पेशल ट्रेनें, यहां देखें पूरी लिस्ट

जमुई: दुर्गा पूजा (Durga Puja) के बाद अब रौशनी का त्यौहार दिपावली (Diwali) आने वाला है. जिसके बाद छठ महापर्व है. ऐसे में मिट्टी का दीया बनाने वाले कुम्हार पंडित अपने काम में जुट गये हैं. जमुई में कुम्हारों ने अपने चाक को रफ्तार दे दी है. दिन रात पूरा परिवार मिलकर एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर मिट्टी के बर्तन और दिये बना रहे हैं और उसे पकाकर रंग रोगन कर तैयार कर रहे हैं.

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कुम्हार पंडित दीये और खिलौने तेजी से तैयार कर रहे हैं. ताकि त्यौहार आने पर उसे बाजार में बेचकर कुछ मुनाफा कमा सकें, जिससे परिवार का भरण पोषण हो. ऐसे ही कुछ मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार पंडितों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बातचीत की और उनकी परेशानी और समस्याओं को जाना.

मिट्टी के बर्तन बनाने वाले सुनील पंडित कहते हैं कि खेती-बारी भी नहीं है, जमीन भी नहीं है. किसी प्रकार मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते आ रहे हैं. सरकारी सहायता कुछ नहीं मिलती है. सभी परिवार मेहनत मजदूरी कर पेट पालते थे, लेकिन बीते दो वर्षों में कोरोना ने कमर तोड़ दी. काम रोजगार छूट गया, मजदूरी नहीं मिली. जिसके बाद से अपने पुश्तैनी काम में जुटना पड़ा. मिट्टी का सामान बना रहे हैं. मेहनत मजदूरी करके बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पत्नी सिलाई का काम करती है और सभी साथ मिलकर मिट्टी के सामान भी बनाते हैं. उसी के सहारे घर परिवार चलता है.

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वहीं महिंदर पंडित ने कहा कि "महंगाई ने तो कमर तोड़ दी है. एक तो वैसे ही चाइनीज लाइटों और सामानों की वजह से मिट्टी के दीये, खिलौने, बर्तन आदि की बिक्री घट गई है. ऊपर से अब तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं. महंगाई बढ़ गई है. महिंदर पंडित ने कहा कि अब कौन दीये में तेल डालकर जलाएगा. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में मजदूरी, रोजगार भी छिन गया. बीते दो वर्षों से घर बैठ गए. जो जमापूंजी बची थी, वह भी खत्म हो गया. किसी तरह काम चल रहा है.

अब दुर्गा पूजा के बाद दीपावली का त्यौहार और छठ महापर्व आ रहा है. इसी को लेकर मिट्टी के बर्तन, दीया, कपटी, चुकड़ी, पतिला, मूर्ति और बच्चों के लिए घरकुंड़ा में सजाने वाले सामान आदि बनाकर तैयार कर रहे हैं. इसी उम्मीद में की कुछ बिक्री हो जाएगी. जिससे परिवार चलाने में मदद मिलेगी. सरकार की ओर से कुछ भी मदद नहीं मिल पा रही है.

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