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जमुई: पोस्टमॉर्टम हाउस होने के बावजूद यहां खुले में होता है पोस्टमॉर्टम, ये है वजह

त्रिपुरारी घाट के पास लाखों खर्च कर एक पोस्टमॉर्टम हाउस और शवदाह गृह बनाया गया. लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो रास्ता है, ना ही बिजली- पानी की यहां सुविधा है.

पोस्टमार्टम
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Published : Sep 8, 2019, 5:20 PM IST

जमुई: जिले के सदर अस्पताल से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर लाखों खर्च कर लगभग तीन वर्ष पहले पोस्टमॉर्टम हाउस बनाया गया था. लेकिन आज भी जमुई सदर अस्पताल में खुले में शवों का पोस्टमार्टम कर दिया जाता है. ऐसा पोस्टमार्टम हाउस में समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हो रहा है.

पोस्टमॉर्टम हाउस में नहीं है बिजली-पानी की सुविधा

जमुई टाउन के किउल नदी के बगल पर त्रिपुरारी घाट के पास लाखों खर्च कर एक पोस्टमॉर्टम हाउस और शवदाह गृह बनाया गया. लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो रास्ता है, ना ही बिजली पानी की यहां सुविधा है. सुनसान इलाका होने के कारण कोई भय से यहां नहीं जाना चाहता है.

jamui
सुनसान इलाके में है पोस्टमॉर्टम हाउस

पोस्टमार्टम हाउस की प्रमुख समस्या-

  • पोस्टमॉर्टम हाउस तक पहुंचने के लिए नहीं है सड़क
  • सुनसान इलाका होने के कारण नहीं जाते हैं लोग
  • बिजली और पानी की नहीं है व्यवस्था
  • नहीं रहते हैं ड्यूटी पर कर्मी

जमुई सदर अस्पताल के डीएस डॉ. सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि-

  • डॉक्टर को पोस्टमार्टम हाउस तक जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था नहीं है
  • जगह काफी सुनसान है, सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है
  • इस संबंध में अपने वरीय अधिकारियों को पत्र के माध्यम से सूचित कर चुका हूं. लेकिन अभी तक कोई इंतजाम नहीं हो पाया है.

जमुई: जिले के सदर अस्पताल से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर लाखों खर्च कर लगभग तीन वर्ष पहले पोस्टमॉर्टम हाउस बनाया गया था. लेकिन आज भी जमुई सदर अस्पताल में खुले में शवों का पोस्टमार्टम कर दिया जाता है. ऐसा पोस्टमार्टम हाउस में समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हो रहा है.

पोस्टमॉर्टम हाउस में नहीं है बिजली-पानी की सुविधा

जमुई टाउन के किउल नदी के बगल पर त्रिपुरारी घाट के पास लाखों खर्च कर एक पोस्टमॉर्टम हाउस और शवदाह गृह बनाया गया. लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो रास्ता है, ना ही बिजली पानी की यहां सुविधा है. सुनसान इलाका होने के कारण कोई भय से यहां नहीं जाना चाहता है.

jamui
सुनसान इलाके में है पोस्टमॉर्टम हाउस

पोस्टमार्टम हाउस की प्रमुख समस्या-

  • पोस्टमॉर्टम हाउस तक पहुंचने के लिए नहीं है सड़क
  • सुनसान इलाका होने के कारण नहीं जाते हैं लोग
  • बिजली और पानी की नहीं है व्यवस्था
  • नहीं रहते हैं ड्यूटी पर कर्मी

जमुई सदर अस्पताल के डीएस डॉ. सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि-

  • डॉक्टर को पोस्टमार्टम हाउस तक जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था नहीं है
  • जगह काफी सुनसान है, सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है
  • इस संबंध में अपने वरीय अधिकारियों को पत्र के माध्यम से सूचित कर चुका हूं. लेकिन अभी तक कोई इंतजाम नहीं हो पाया है.
Intro:जमुई सदर अस्पताल से लगभग दो किलोमीटर की दुरी पर लाखों खर्च कर लगभग ' तीन वर्ष ' पूर्व बनाया गया पोस्टमार्टम हाउस लेकिन आज भी जमुई सदर अस्पताल में खुले में कर दिया जाता है शवों का पोस्टमार्टम ??????
इस सवाल का जबाब ढुंढने के लिए etv bharat पहुंचा पोस्टमार्टम हाउस तो सच्चाई जानकर और सिस्टम की लापरवाही और उदासीन रवैया जानकर आप भी दंग रह जाऐंगे

1 पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं कच्ची उबड़ खाबड़ रास्ते से और पगडंडियों से गुजरकर यहां पहुंचा जा सकता है

2 सुनसान इलाका होने के कारण रात में तो छोड़िए दिन में भी कोई इधर आता जाता नहीं

3 लाखों खर्च कर ( पोस्टमार्टम हाउस ) और शवदाह गृह का निर्माण तो कर दिया गया लगभग तीन वर्ष पूर्व लेकिन आजतक न तो बिजली पहुंची न ही पानी की व्यवस्था है

4 एक भी कर्मी की डयूटी नहीं खाली पड़ा रहता है

5 स्थानीय ग्रामीणों ने बताया जब शुरुआत में बना था पोस्टमार्टम हाउस तो एकाध आ जाता था शव पोस्टमार्टम के लिए आज भी कभी - कभार ही आता



Body:जमुई " सदर अस्पताल से लगभग दो किलोमीटर के दुरी पर आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण तो हुआ लेकिन यहां शवों का पोस्टमार्टम कभी - कभार केवल दिन में होता है ज्यादातर पोस्टमार्टम दिन हो या रात जमुई सदर अस्पताल में ही कर दिया जाता है खुले में "

पड़ताल के लिए etv bharat नदी किनारे त्रिपुरारी धाट के बगल में स्थित पोस्टमार्टम हाउस पहुंचा और बाद में जमुई सदर अस्पताल के डीएस डॉ0 सैयद नौशाद अहमद से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही तो डॉ0 ने बताया सड़क , बिजली , पानी और इलाका सुनसान मुख्य समस्या है जिसकी जानकारी उपर के वरीय पदाधिकारियों को दी गई है लेकिन आजतक समस्या का हल नहीं हो पाया ---------------------------------------------------------------------------
जानकारी के अनुसार पहले अंग्रेज के जमाने का छोटा ही पोस्टमार्टम हाउस जमुई टाउन थाना क्षेत्र अंतर्गत आजादनगर मुहल्ले में था धीरे - धीरे आबादी बढ़ने लगी और कई इमारतों के बीच में रास्ते पर पोस्टमार्टम हाउस पड़ने के कारण स्थानीय लोगों ( निवासियों ) ने ऑब्जेक्शन किया तब वहां से पोस्टमार्टम हाउस को हटाया गया

और जमुई टाउन से लगभग दो किलोमीटर दूर किउल नदी के बगल पर त्रिपुरारी धाट के पास लाखों खर्च कर एक पोस्टमार्टम हाउस और एक शवदाह गृह बनाया गया लेकिन यहां पहुंचने के लिए न तो रास्ता है न ही बिजली पानी की यहां सुविधा है सुनसान इलाका होने के कारण कोई भय से जाना भी नहीं चाहता

जमुई सदर अस्पताल के डीएस डॉ0 सैयद नौशाद अहमद ने बताया ---------------------------------------------------------------------------
डॉ0 सैयद नौशाद अहमद ने बताया कि पोस्टमार्टम हाउस तो बना दिया गया लेकिन यहां पहुंचने के लिए

1 सड़क नहीं है , पोस्टमार्टम हाउस में बिजली पानी की सुविधा नहीं है

2 डॉ0 को पोस्टमार्टम हाउस तक जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था नहीं है

3 जगह काफी सुनसान है सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं

4 इन कमियों के संबंध में अपने वरीय अधिकारियों को पत्र के माध्यम से सुचित कर चुका हूं लेकिन अभी तो कोई इंतजाम नहीं हो पाया

etv bharat से बातचीत के दौरान सदर अस्पताल सीएस डॉ0 सैयद नौशाद अहमद ने माना मजबूरी और व्यवस्था के कमी के कारण ही कभी कभार सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम करना पड़ता है

वाइट ------ सदर अस्पताल का सीएस डॉ0 सैयद नौशाद अहमद

वाइट ------ पोस्टमार्टम हाउस के पास स्थानीय

वाइट ------- पीटूसी

राजेश जमुई


Conclusion:जमुई सदर अस्पताल से लगभग दो किलोमीटर की दुरी पर लाखों खर्च कर लगभग ' तीन वर्ष ' पूर्व बनाया गया पोस्टमार्टम हाउस लेकिन आज भी जमुई सदर अस्पताल में खुले में कर दिया जाता है शवों का पोस्टमार्टम ??????
इस सवाल का जबाब ढुंढने के लिए etv bharat पहुंचा पोस्टमार्टम हाउस तो सच्चाई जानकर और सिस्टम की लापरवाही और उदासीन रवैया जानकर आप भी दंग रह जाऐंगे

1 पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं कच्ची उबड़ खाबड़ रास्ते से और पगडंडियों से गुजरकर यहां पहुंचा जा सकता है

2 सुनसान इलाका होने के कारण रात में तो छोड़िए दिन में भी कोई इधर आता जाता नहीं

3 लाखों खर्च कर ( पोस्टमार्टम हाउस ) और शवदाह गृह का निर्माण तो कर दिया गया लगभग तीन वर्ष पूर्व लेकिन आजतक न तो बिजली पहुंची न ही पानी की व्यवस्था है

4 एक भी कर्मी की डयूटी नहीं खाली पड़ा रहता है

5 स्थानीय ग्रामीणों ने बताया जब शुरुआत में बना था पोस्टमार्टम हाउस तो एकाध आ जाता था शव पोस्टमार्टम के लिए आज भी कभी - कभार ही आता
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