जमुई: पुलिस और नक्सली के बीच मुठभेड़ में एक नक्सली की मौत हो गई. नक्सली मनसा कोड़ा के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन में रोष देखने को मिल रहा है. जिसके कारण लखीसराय जिले के कजरा जंगल में शीर्ष नक्सली नेता की उपस्थिति में एक बैठक का आयोजन किया गया.
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मौत की सजा देने की फरमान जारी
बता दें कि बैठक में पांच स्थानीय लोगों को पुलिस मुखबिरी करने का शक जताते हुए उसे मौत की सजा देने का फरमान जारी किया है. सूत्र बताते हैं कि 11 फरवरी को जमुई-लखीसराय सीमा रेखा के गोबरदाहा जंगल के बांधा पहाड़ के समीप पुलिस नक्सली मुठभेड़ में नक्सली मनसा कोड़ा मारा गया था. जिसके बाद नक्सलियों को शक है कि गोबरदाहा गांव के एक युवक और कुमरतरी गांव के रंजीत कोडा, चोरमारा गांव के लखन कोड़ा, पिंटू राय और 4 माह पहले नक्सली संगठन को छोड़कर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली कमांडर सुरेन कोड़ा ने पुलिस का सूचना दिया है.
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कई नक्सलियों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल
कई नक्सलियों और स्लीपर सेल को गिरफ्तार कर उसे सलाखों के पीछे भेज दिया गया है. जिससे संगठन की रीढ़ टूट गई है. वहीं बाकी जो नक्सली बचे है वह सुरक्षा बलों के रड़ार पर हैं. यही कारण है कि शीर्ष नक्सली प्रवेश दा और अरविंद यादव ने रंजीत कोड़ा, लखन कोड़ा, पिंटू राय सहित पांच लोगों की हत्या की जिम्मेवारी नक्सली संगठन में शामिल हुए नए नक्सली कमांडर नारायण कोड़ा और बीडीओ कोड़ा को दी गई है.
पुलिस अलर्ट
संगठन को यकीन है कि संगठन में शामिल हुए नए नक्सली को पुलिस पहचान नहीं पाएगी और उसके माध्यम से बड़े ही आसानी से उन पांचों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा. हालांकि इस बात की जानकारी सुरक्षा बलों को भी मिल चुकी है. जिसे लेकर पुलिस भी अलर्ट है.