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सुशासन बाबू के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल-जल योजना की सच्चाई, नदी और जोरिया से प्यास बुझाने को मजबूर हैं ग्रामीण - Nitish Kumar

नीतीश कुमार के सात निश्चय योजनाओं में से एक हर घर नल जल योजना जमुई में अधर में लटका हुआ है. जिले के कुंदन गांव के ग्रामीण आज भी नदी और जोरिया के पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर

जमुई
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Published : Apr 10, 2021, 7:41 PM IST

Updated : Apr 11, 2021, 8:13 AM IST

जमुई: "कहां तो तय था चिरागां हर एक घर के लिए, कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए" यह पंक्ति दुष्यंत कुमार ने अपने जीवन काल में सरकारों को उनकी नाकामी दिखाने के लिए तब लिखी थी जब देश को आजादी मिली थी. नेहरू से लेकर इंदिरा सरीखे तमाम प्रधानमंत्री और गोविंद वल्लभ पंत, लाल बहादुर शास्त्री और श्रीकृष्ण सिंह जैसे सीएम देश और राज्य की बागडोर संभाले हुए थे. जिन्होंने खाद्यान संपन्नता से लेकर गरीबी हटाओ तक का नारा दिया था. लेकिन उनकी लिखी हुई पंक्ति आज भी 'सुशासन बाबू' के राज में उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी तब थी.

नल जल योजना फेल
नल जल योजना फेल

नीतीश कुमार ने साल 2015 अपने ड्रीम प्रोजक्ट की एक पोटली बनाई थी. जिसका नाम दिया था सात निश्चय योजना. उसी ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक था हर घर नल-जल योजना. जिसके माध्यम से हर घर को नल के जरिए जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. मगर योजना का हाल यह है कि कहीं मीनार खड़ी है तो टंकी नहीं, कहीं टंकी भी लगी है तो बोरिंग फेल, कहीं मोटर जला हुआ है, तो कहीं पूरे वार्ड में अभी तक कनेक्शन नहीं पहुंचा पाया है. ये सारी दास्तान जमुई जिले के कुंदर गांव से सामने आ आई है.

सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल
सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल

यह भी पढ़ें: गर्मी बढ़ते ही गया में गहराने लगा पेयजल संकट, बिन पानी सब सून

खुद आकर योजना का हाल देख लें सीएम
बिहार में जिस विकास की बयार की बात कह बीते डेढ़ दशक से नीतीश कुमार सत्ता पर कायम हैं. उनकी योजनाओं का यह हाल है. बड़ी-बड़ी योजनाओं का ऐलान कर खुद को सुशासन बाबू का तमगा देने वाले नीतीश कुमार राजधानी से 165 किलोमीटर चलकर जमुई जिले के कुंदर गांव पहुंच कर अपने महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का हाल खुद चलकर एक बार देख लें.

नदी और जोरिया से प्यास बूझाता गांव
नदी और जोरिया से प्यास बूझाता गांव

अभी तो चैत ने पांव ही रखे हैं और भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई है. बैशाख आते-आते ग्रामीण दो बूंद पानी को तरसते नजर आने लगेंगे. आजादी के सात दशक बाद भी लोग नदी का पानी पीने को मजूबर हैं.

वहीं, इस बाबत कुंदन गांव के ग्रामीणों ने कहा कि जहां भी नल जल का काम हुआ है, अमूमन हर जगह से यही सुनने को मिलता है कि केवल योजना में पैसों का बंदरबांट हुआ है. ग्रामीणों को योजना से कोई लाभ नहीं मिल पाया है. ग्रामीणों ने कहा, 'सरकार चोर डकैत की सुनती है. इंसान की कौन सुनता है. हम लोग गरीब ग्रामीण हैं, जाएं तो जाएं कहां'.

योजना का पोल खोलता ग्रामीण
योजना का पोल खोलता ग्रामीण

यह भी पढ़े: 'सुशासन बाबू' प्यासी ही रह गयी पटना की आरजू

भाजपा कार्यकर्ता ने खोली पोल, बोरिंग करना था 300 फीट कर दिऐ 180 फीट
भाजपा के बिहार प्रदेश कार्य समिति सदस्य संजीत कुमार ने ही योजना का पोल खोलते हुए कहा कि तकरीबन दो वर्ष पहले यहां नल-जल योजना के तहत काम किया गया था. अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते उन्होंने हुए कहा कि 300 फीट बोरिंग करना था लेकिन अधिकारियों ने महज 180 फीट ही बोरिंग की. जिसके चलते पानी टंकी तक पहुंचता ही नहीं है और नल-जल योजना सफल नहीं हो पाया.

चापाकल खराब
चापाकल खराब

'बोरिंग करना था 300 फीट कर दिऐ 180 फीट. अब टंकी तक पानी ही नहीं पहुंचता है तो नल तक कैसे पहुंचेगा. एकाध महीना यही सिलसिला चला, अब मोटर भी जल गया है. बोरिंग भी फेल हो गया है. योजना शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल सका. अधिकारी से शिकायत करते हैं तो कोई सुनवाई नहीं होती है. आज भी लोग नदी व जोरिया का पानी पी रहे हैं.- संजीत कुमार, बीजेपी कार्यकर्ता

वहीं, कुंदन गांव के वार्ड नं 15 में रहने वाले ग्रामीणों ने कहा कि यहां करीब 150 घर हैं. दलित और सवर्ण दोनों की बसाहट है. लेकिन आज तक वे सरकारी योजनाओं से अछूते हैं.

यह भी पढ़ें: करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाने के बाद भी कई जिलों में पेयजल संकट, इस बार भी मंत्रीजी गा रहे 'गीत'

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जमुई: "कहां तो तय था चिरागां हर एक घर के लिए, कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए" यह पंक्ति दुष्यंत कुमार ने अपने जीवन काल में सरकारों को उनकी नाकामी दिखाने के लिए तब लिखी थी जब देश को आजादी मिली थी. नेहरू से लेकर इंदिरा सरीखे तमाम प्रधानमंत्री और गोविंद वल्लभ पंत, लाल बहादुर शास्त्री और श्रीकृष्ण सिंह जैसे सीएम देश और राज्य की बागडोर संभाले हुए थे. जिन्होंने खाद्यान संपन्नता से लेकर गरीबी हटाओ तक का नारा दिया था. लेकिन उनकी लिखी हुई पंक्ति आज भी 'सुशासन बाबू' के राज में उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी तब थी.

नल जल योजना फेल
नल जल योजना फेल

नीतीश कुमार ने साल 2015 अपने ड्रीम प्रोजक्ट की एक पोटली बनाई थी. जिसका नाम दिया था सात निश्चय योजना. उसी ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक था हर घर नल-जल योजना. जिसके माध्यम से हर घर को नल के जरिए जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. मगर योजना का हाल यह है कि कहीं मीनार खड़ी है तो टंकी नहीं, कहीं टंकी भी लगी है तो बोरिंग फेल, कहीं मोटर जला हुआ है, तो कहीं पूरे वार्ड में अभी तक कनेक्शन नहीं पहुंचा पाया है. ये सारी दास्तान जमुई जिले के कुंदर गांव से सामने आ आई है.

सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल
सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल

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खुद आकर योजना का हाल देख लें सीएम
बिहार में जिस विकास की बयार की बात कह बीते डेढ़ दशक से नीतीश कुमार सत्ता पर कायम हैं. उनकी योजनाओं का यह हाल है. बड़ी-बड़ी योजनाओं का ऐलान कर खुद को सुशासन बाबू का तमगा देने वाले नीतीश कुमार राजधानी से 165 किलोमीटर चलकर जमुई जिले के कुंदर गांव पहुंच कर अपने महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का हाल खुद चलकर एक बार देख लें.

नदी और जोरिया से प्यास बूझाता गांव
नदी और जोरिया से प्यास बूझाता गांव

अभी तो चैत ने पांव ही रखे हैं और भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई है. बैशाख आते-आते ग्रामीण दो बूंद पानी को तरसते नजर आने लगेंगे. आजादी के सात दशक बाद भी लोग नदी का पानी पीने को मजूबर हैं.

वहीं, इस बाबत कुंदन गांव के ग्रामीणों ने कहा कि जहां भी नल जल का काम हुआ है, अमूमन हर जगह से यही सुनने को मिलता है कि केवल योजना में पैसों का बंदरबांट हुआ है. ग्रामीणों को योजना से कोई लाभ नहीं मिल पाया है. ग्रामीणों ने कहा, 'सरकार चोर डकैत की सुनती है. इंसान की कौन सुनता है. हम लोग गरीब ग्रामीण हैं, जाएं तो जाएं कहां'.

योजना का पोल खोलता ग्रामीण
योजना का पोल खोलता ग्रामीण

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भाजपा कार्यकर्ता ने खोली पोल, बोरिंग करना था 300 फीट कर दिऐ 180 फीट
भाजपा के बिहार प्रदेश कार्य समिति सदस्य संजीत कुमार ने ही योजना का पोल खोलते हुए कहा कि तकरीबन दो वर्ष पहले यहां नल-जल योजना के तहत काम किया गया था. अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते उन्होंने हुए कहा कि 300 फीट बोरिंग करना था लेकिन अधिकारियों ने महज 180 फीट ही बोरिंग की. जिसके चलते पानी टंकी तक पहुंचता ही नहीं है और नल-जल योजना सफल नहीं हो पाया.

चापाकल खराब
चापाकल खराब

'बोरिंग करना था 300 फीट कर दिऐ 180 फीट. अब टंकी तक पानी ही नहीं पहुंचता है तो नल तक कैसे पहुंचेगा. एकाध महीना यही सिलसिला चला, अब मोटर भी जल गया है. बोरिंग भी फेल हो गया है. योजना शोभा की वस्तु बनकर रह गयी है. ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल सका. अधिकारी से शिकायत करते हैं तो कोई सुनवाई नहीं होती है. आज भी लोग नदी व जोरिया का पानी पी रहे हैं.- संजीत कुमार, बीजेपी कार्यकर्ता

वहीं, कुंदन गांव के वार्ड नं 15 में रहने वाले ग्रामीणों ने कहा कि यहां करीब 150 घर हैं. दलित और सवर्ण दोनों की बसाहट है. लेकिन आज तक वे सरकारी योजनाओं से अछूते हैं.

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Last Updated : Apr 11, 2021, 8:13 AM IST
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