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देववाणी संस्कृत को सुलभ तरीके से पढ़ाने का ये है नायाब तरीका

रवि की इस कक्षा में उनके गांव के ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के बच्चे भी शामिल होते हैं. यहां पढ़ाई मुफ्त है, लेकिन अगर कोई शुल्क देना चाहे तो कुछ भी दे सकता है.

संस्कृत की अनोखी क्लास
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Published : Nov 18, 2019, 3:20 PM IST

जमुई: जिले के एक टीचर ने गांव के बच्चों को संस्कृत शिक्षा देने का अनोखा तरीका निकाला है. इन्होंने खुद विज्ञान और पत्रकारिता की पढ़ाई की है, लेकिन अपने गांव के बच्चों को संस्कृत विषय में पिछड़ता देख इस विषय को आसान बनाने की ठान ली है.

वह अपनी लगन और मेहनत के दम पर बिना किसी औपचारिक डिग्री के खेल-खेल में गांव के बच्चों को संस्कृत की मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. वहीं, अब गांव के बच्चों के परीक्षा में अच्छे अंक भी आने लगे हैं.

Jamui
संस्कृत क्लास में पढ़ाई करते बच्चे

बरामदे में होती है संस्कृत की पढ़ाई
विठलपुर गांव निवासी रवि मिश्रा साधारण परिवार से आते हैं. उन्होंने महानगर में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की है. भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में एम. ए. भी किया है. उन्होंने बताया कि गांव की संस्कृति से मोह ने उन्हें शहर में नहीं रहने दिया. इसलिए वह पत्रकारिता की डिग्री हासिल कर भोपाल से गांव वापस लौट आए. गांव लौटने के बाद उन्हें बच्चो के संस्कृत विषय में कमजोर होने की जानकारी मिली. तो रवि ने खुद बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया. आज रवि की इस कक्षा में उनके गांव के ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के बच्चे भी शामिल होते हैं. यहां पढ़ाई मुफ्त है, लेकिन अगर कोई शुल्क देना चाहे तो कुछ भी दे सकता है.

पेश है रिपोर्ट

गीत गाकर पढ़ाते हैं संस्कृत
उन्होंने बताया कि हमारे देश की संस्कृति को जानने-समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान काफी जरूरी है. इसलिए मैंने ये राह चुनी है. बता दें कि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को रवि खेल-खेल में संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं. वे गीत-संगीत के साथ संस्कृत के श्लोक या व्याकरण के नियम याद रखने की ट्रिक बताते हैं, जिससे बच्चों के लिए इस विषय की पढ़ाई आसान हो जाती है.

Jamui
शिक्षक रवि मिश्रा

'अब संस्कृत अच्छा लगता है'
कक्षा में पढ़ने वाली नेहा ने बताया कि पहले उसे यह विषय समझ में नहीं आता था. इसलिए परीक्षा में नंबर भी कम आते थे. लेकिन यहां पढने के अब संस्कृत विषय धीरे-घीरे आसान होता जा रहा है. परीक्षा में नंबर भी अच्छे आए हैं. कुछ ऐसी ही छात्रा सोनाली कुमारी ने बताया कि उसे भी अब संस्कृत पढ़ना अच्छा लगता है.

Jamui
जानकारी देती छात्रा

ग्रामीणों ने बांधे तारिफों के पुल
रवि के इस कार्य के बाद ग्रामीण उनकी तारिफों के पुल बांधते, नहीं थक रहे हैं. जिले में हर तरफ उनकी प्रशंसा हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि रवि की पहल से बच्चों की पढ़ाई ही नहीं आसान हुई बल्कि गरीब तबके के छात्रों को इसके लिए अलग से पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि रवि की कक्षा में सुबह-शाम दर्जनों बच्चे पहुंचते हैं. इस कक्षा की बदौलत ही गांव के बच्चों को अब संस्कृत की परीक्षा में अच्छे नंबर मिलने लगे हैं.

जमुई: जिले के एक टीचर ने गांव के बच्चों को संस्कृत शिक्षा देने का अनोखा तरीका निकाला है. इन्होंने खुद विज्ञान और पत्रकारिता की पढ़ाई की है, लेकिन अपने गांव के बच्चों को संस्कृत विषय में पिछड़ता देख इस विषय को आसान बनाने की ठान ली है.

वह अपनी लगन और मेहनत के दम पर बिना किसी औपचारिक डिग्री के खेल-खेल में गांव के बच्चों को संस्कृत की मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. वहीं, अब गांव के बच्चों के परीक्षा में अच्छे अंक भी आने लगे हैं.

Jamui
संस्कृत क्लास में पढ़ाई करते बच्चे

बरामदे में होती है संस्कृत की पढ़ाई
विठलपुर गांव निवासी रवि मिश्रा साधारण परिवार से आते हैं. उन्होंने महानगर में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की है. भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में एम. ए. भी किया है. उन्होंने बताया कि गांव की संस्कृति से मोह ने उन्हें शहर में नहीं रहने दिया. इसलिए वह पत्रकारिता की डिग्री हासिल कर भोपाल से गांव वापस लौट आए. गांव लौटने के बाद उन्हें बच्चो के संस्कृत विषय में कमजोर होने की जानकारी मिली. तो रवि ने खुद बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया. आज रवि की इस कक्षा में उनके गांव के ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के बच्चे भी शामिल होते हैं. यहां पढ़ाई मुफ्त है, लेकिन अगर कोई शुल्क देना चाहे तो कुछ भी दे सकता है.

पेश है रिपोर्ट

गीत गाकर पढ़ाते हैं संस्कृत
उन्होंने बताया कि हमारे देश की संस्कृति को जानने-समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान काफी जरूरी है. इसलिए मैंने ये राह चुनी है. बता दें कि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को रवि खेल-खेल में संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं. वे गीत-संगीत के साथ संस्कृत के श्लोक या व्याकरण के नियम याद रखने की ट्रिक बताते हैं, जिससे बच्चों के लिए इस विषय की पढ़ाई आसान हो जाती है.

Jamui
शिक्षक रवि मिश्रा

'अब संस्कृत अच्छा लगता है'
कक्षा में पढ़ने वाली नेहा ने बताया कि पहले उसे यह विषय समझ में नहीं आता था. इसलिए परीक्षा में नंबर भी कम आते थे. लेकिन यहां पढने के अब संस्कृत विषय धीरे-घीरे आसान होता जा रहा है. परीक्षा में नंबर भी अच्छे आए हैं. कुछ ऐसी ही छात्रा सोनाली कुमारी ने बताया कि उसे भी अब संस्कृत पढ़ना अच्छा लगता है.

Jamui
जानकारी देती छात्रा

ग्रामीणों ने बांधे तारिफों के पुल
रवि के इस कार्य के बाद ग्रामीण उनकी तारिफों के पुल बांधते, नहीं थक रहे हैं. जिले में हर तरफ उनकी प्रशंसा हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि रवि की पहल से बच्चों की पढ़ाई ही नहीं आसान हुई बल्कि गरीब तबके के छात्रों को इसके लिए अलग से पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि रवि की कक्षा में सुबह-शाम दर्जनों बच्चे पहुंचते हैं. इस कक्षा की बदौलत ही गांव के बच्चों को अब संस्कृत की परीक्षा में अच्छे नंबर मिलने लगे हैं.

Intro:जमुई " खेल - खेल में गीत और संगीत के माध्यम से संस्कृत की शिक्षा निःशुल्क दे रहे है रवि मिश्रा कोचिंग के माध्यम से "


Body:जमुई " खेल - खेल में गीत और संगीत के माध्यम से संस्कृत की शिक्षा निःशुल्क दे रहे है रवि मिश्रा कोचिंग के माध्यम से "

जमुई " इंसान अगर ठान ले उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं ऐसे ही जिद और जुनून का नाम है ' रवि कुमार मिश्रा सर ' जो आजकल जमुई के छात्र छात्राओं को संस्कृत की शिक्षा नई टेकनिक के द्वारा खेल - खेल में गीत और संगीत के माध्यम से दे रहे है " बच्चे छात्र और छात्राएं बहुत मन लगाकर इस माध्यम से शिक्षा ले रहे है इसका फलाफल भी सामने आ रहा है रवि कुमार
मिश्रा ने etv bharat को बताया पिछले वर्ष 20 से अधिक छात्र छात्राओं को इस कोचिंग में पढ़ाई कर न सिर्फ अन्य विषयों में अधिक नंबर आया संस्कृत विषय के उन्नत नंबर को देखकर लोग अचंभित रह गए "

बच्चों ने भी etv bharat को बताया अमूमन सरकारी स्कूलों में तो संस्कृत विषय की बहुत कम पढ़ाई होती है और जहां होती भी है आसानी से छात्र छात्राओं को समझ नहीं आती लेकिन ' रवि मिश्रा सर ' को कोचिंग में जिस प्रकार से खेल - खेल में गीत संगीत के माध्यम से बताया पढ़ाया जाता है वकाई काबिलेतारीफ है समझ में बहुत आसानी से आता है और पढ़ने में मन भी लगता है

आगे रवि मिश्रा ने etv bharat को बताया सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चो के नंबर कम आ रहे थे कुछ बच्चे फेल भी हो रहे थे ये सब देखकर मन कचोटता था मुझे लगा समाज के प्रति हर नागरिक का कुछ फर्ज है अपने काम अपने प्रोफेशन के साथ - साथ कुछ समय समाज को देना चाहिए और अगर कल के देश के भविष्य नौनिहाल बच्चों के बीच निःशुल्क शिक्षा का ज्ञान बांटा जाए तो इससे बड़ी बात क्या होगी इसी नीयत से हम अपने काम अपनी पढ़ाई के साथ - साथ एक दो शिफ्ट में बच्चों को कोचिंग देने लगे अधिकतर बच्चे दलित पिछड़े अति पिछड़े समाज के है जो महंगे कोचिंग में पढ़ाई नहीं कर सकते परिणाम भी दिखने लगा है अभी जमुई के विठलपूर गांव में कोचिंग चलाया जा रहा है जहां दो शिफ्ट में 60 से अधिक बच्चो को कोचिंग दी जा रही है

विठलपूर गांव के 28 साल के रवि मिश्रा को अपने गांव से लगाव है साधारण परिवार से आने वाले रवि ने महानगर में रहकर उच्च शिक्षा हासिल की लेकिन गांव की संस्कृति से मोह ने उनहें शहर में नहीं रहने दिया इसलिए विज्ञान की पढ़ाई के बाद पत्रकारिता की डिग्री हासिल कर भी वह लौटकर अपने गांव आ गए , गांव में आने के बाद उनहें यहां के बच्चे को संस्कृत में पिछड़ने और उसकी पढ़ाई न होने के बारे में पता चला तो रवि ने खुद बच्चो को पढ़ाने का फैसला किया

वाइट ------ रवि मिश्रा

वाइट ----- कोचिंग में पढ़ाई कर रही लड़कियां

वाइट ------ कोचिंग में पढाई कर रहे लड़के

पीटीसी , वन टू वन ,

राजेश जमुई


Conclusion:जमुई " खेल - खेल में गीत और संगीत के माध्यम से संस्कृत की शिक्षा निःशुल्क दे रहे है रवि मिश्रा कोचिंग के माध्यम से "
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