जमुई: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा देते हुए साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना (Caste Census) नहीं हो सकती. केंद्र के इस फैसले से बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. आरजेडी के बाद अब एलजेपी ने भी जातीय जनगणना की मांग को ठुकराए जाने पर नराजगी जताई है.
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एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिये. हमलोग इसके पक्षधर और इस बात का समर्थन करते हैं. आज की तारीख में कई ऐसी योजनाएं हैं, जो जातीयता के आधार पर बनाई जाती हैं. राशि आवंटित की जाती है. वो राशि सही अनुपात में आवंटित हो उसके लिऐ जरूरी है कि किस जाति की क्या आबादी है उसके आंकड़े भी हमलोगों के पास होने चाहिए.
'राज्य सरकार आंख मूंदे कान बंद किए बैठी है. इस सरकार को बदलने की जरूरत है. हमलोगों द्वारा लगातार सवाल उठाऐ जाते हैं. लेकिन ये सरकार जनता से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान नहीं देती. सरकार उलटे चिराग पासवान को टारगेट करने में लगी रहती है'- चिराग पासवान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, एलजेपी
चिराग पासवान ने कहा कि कई बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी मांग की गई है कि किस जाति के क्या आंकड़े हैं, उसको साझा किया जा. पर वो आंकड़े हमलोगों के पास है नहीं क्योंकि जातिगत जनगणना कभी हुई नहीं. आंकड़े के लिए जरूरी है जातीय जनगणना. हमलोग इसका समर्थन करते हैं
वहीं, प्रिंस राज मामले पर चिराग ने कहा कि मैं ने पहले भी इस बात को कबूल किया है कि मेरी जानकारी में ये था. मैं ने दोनों पक्ष को कहा आपलोग जाएं और अपनी-अपनी एफआईआर दर्ज कराएं मैं ये मानता हूं की पूरी जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी है उसे सजा मिलनी चाहिए.
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बता दें कि जातीय जनगणना कराने की मांग बिहार में काफी सालों से चल रही है. लेकिन ये मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है. इस बार बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने बीते 23 अगस्त को पीएम से मुलाकात कर अपनी मांग पुरजोर तरीके से रखी थी. लेकिन अब केंद्र सरकार ने ये साफ कर दिया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी. जिसके बाद बिहार की राजनीतिक पार्टियों में सयासी घमासान शुरू हो गया है.