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जमुई: पेट की आग बुझाने के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन करने लगे हैं श्रमिक - घर पर नहीं मिला किसी भी प्रकार का रोजगार

जमुई जिले में लॉकडाउन के दौरान घर वापस आए मजदूर एक बार फिर वापस जाने लगे हैं. मजदूरों का कहना है कि घर पर किसी भी प्रकार का रोजगार नहीं मिलने से वापस जाना हमारी मजबूरी हो गई है.

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पेट की आग बुझाने के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन करने लगे श्रमिक.
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Published : Jul 20, 2020, 11:12 PM IST

जमुई(झाझा): देश में बढ़ते कोरोना को लेकर पूर्व में लॉकडाउन लग जाने के बाद कई उद्योग-धंधे बंद हो चुके थे, जिसके कारण मजदूर बीमारी के साथ भुखमरी के डर से अपने घर लौट आए थे. अब घर पर किसी तरह का कामकाज नहीं मिलने और कल-कारखाने खुलने पर फिर से घर लौटे मजदूर वापस काम पर अन्य प्रदेशों के लिए लौट रहे हैं.

प्रदेशों में शुरू होने लगे हैं काम-धंधे
अन्य प्रदेशों में श्रमिकों के अभाव में रूके कामधंधे और उद्योग अब फिर से धीरे-धीरे खुलने लगे हैं, जिसको लेकर अन्य प्रदेशों से बिहार में बस भेजकर मजदूरों को वापस काम पर ले जाया जा रहा है. सोमवार को पुणे से एक बस झाझा पहुंचा जहां दर्जनों की तादाद में श्रमिकों को वापस काम पर ले जाया गया.

घर पर नहीं मिला किसी भी प्रकार का रोजगार
काम पर लौट रहे श्रमिकों ने बताया कि लाॅकडाउन में हमलोगों का कामकाज बंद हो जाने के कारण वापस अपने घर लौट आये थे और लगा कि घर गांव में ही रहकर कमाई करेंगे, लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति बदल गई. एक महीने से अधिक दिन से घर में बैठकर ही खा रहे थे. अब घर की सारी जमा पूंजी समाप्त हो गई है. अब बाहर जाने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है.

जमुई(झाझा): देश में बढ़ते कोरोना को लेकर पूर्व में लॉकडाउन लग जाने के बाद कई उद्योग-धंधे बंद हो चुके थे, जिसके कारण मजदूर बीमारी के साथ भुखमरी के डर से अपने घर लौट आए थे. अब घर पर किसी तरह का कामकाज नहीं मिलने और कल-कारखाने खुलने पर फिर से घर लौटे मजदूर वापस काम पर अन्य प्रदेशों के लिए लौट रहे हैं.

प्रदेशों में शुरू होने लगे हैं काम-धंधे
अन्य प्रदेशों में श्रमिकों के अभाव में रूके कामधंधे और उद्योग अब फिर से धीरे-धीरे खुलने लगे हैं, जिसको लेकर अन्य प्रदेशों से बिहार में बस भेजकर मजदूरों को वापस काम पर ले जाया जा रहा है. सोमवार को पुणे से एक बस झाझा पहुंचा जहां दर्जनों की तादाद में श्रमिकों को वापस काम पर ले जाया गया.

घर पर नहीं मिला किसी भी प्रकार का रोजगार
काम पर लौट रहे श्रमिकों ने बताया कि लाॅकडाउन में हमलोगों का कामकाज बंद हो जाने के कारण वापस अपने घर लौट आये थे और लगा कि घर गांव में ही रहकर कमाई करेंगे, लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति बदल गई. एक महीने से अधिक दिन से घर में बैठकर ही खा रहे थे. अब घर की सारी जमा पूंजी समाप्त हो गई है. अब बाहर जाने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है.

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