जमुई: जहां एक ओर बिहार के साथ-साथ पूरे देश में कोरोना संक्रमण को लेकर आम लोगों की जिंदगी पटरी पर उतर गई थी. वहीं जमुई जिले में जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आने से जिले से लेकर सूबे की राजधानी पटना तक हड़कंप मच गया है.
कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब जांच रिपोर्ट की डाटा लीक हो गई. जांच रिपोर्ट की डाटा लीक होते ही स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक के पांव के नीचे से जमीन खिसक गयी. स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर डीएम अवनीश कुमार सिंह ने पूरे मामले की जांच को लेकर एक टीम गठित कर दी.
दो दिनों तक दिनभर चलती रही जांच
गुरुवार और शुक्रवार को टीम के सदस्य दिनभर मामले की जांच में व्यस्त रहे. बताया जाता है कि जमुई जिला के 3 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिकंदरा और जांच के नाम पर जांच करने वाले ऑपरेटर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया.
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जनवरी माह में इन तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 588 लोगों की जांच
जनवरी माह में तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 588 लोगों की जांच तो की गई, लेकिन इस जांच रिपोर्ट में सबसे अधिक फर्जी पाए गए. वह भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 230 लोगों में सिर्फ 12 नाम जमुई शहर के, 150 नाम की लिस्ट में से 65 नाम और सिकंदरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 208 लोगों के नाम में सिर्फ 43 नाम वैध पाए गए.
जबकि वैध पाए गए बरहट प्रखंड में आरटीपीसीआर टेस्ट कराने वाले 26 लोगों के नाम पर एक ही मोबाइल नंबर दर्ज किया गया था. वह नंबर था बांका जिला के रहने वाले बैजू रजक का. वहीं उसने कहा कि उनका ना कभी जमुई आना हुआ है और ना जमुई में कोई संबंध है
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डीएम ने डीटीओ और जनसंपर्क पदाधिकारी को दी जांच की जिम्मेवारी
डीएम अवनीश कुमार सिंह ने जमुई पीएचसी की जांच डीटीओ अनुज कुमार और सिकंदरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के लिए सूचना और जनसंपर्क पदाधिकारी राघवेंद्र कुमार को जिम्मा सौंपा है. वहीं जब टीम सदर अस्पताल स्थित पीएचसी पहुंची तो ब्लॉक कमेटी मोबलाइजर पंकज कुमार ने लीपापोती करते हुए उस डेट में सिर्फ आशा कार्यकर्ताओ की जांच होने की बात कही. इससे साफ पता चलता है कि पूरे मामले को छिपाने के लिए उस डेट में कागजातों को छिपाने का प्रयास किया गया है.