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Jamui News: जमुई में रसोइया संघ का जिला स्तरीय सम्मेलन, केंद्र सरकार से 21 हजार प्रतिमाह वेतन की मांग - Etv Bharat Bihar

बिहार के जमुई में रसोईया संघ का जिला सम्मेलन आयोजित किया गया. संघ की ओर से मांग की गई है स्कूल में काम करने वाली रसोईया को 21 हजार रुपए वेतन दिया जाए. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 30, 2023, 4:00 PM IST

जमुईः बिहार के जमुई में रसोइया संघ ने प्रदर्शन (Rasoiya Sangh Protest In Jamui) किया. रविवार को शहर में मार्च निकालते हुए अपनी मांग को रखा. वेतन बढ़ोतरी के साथ-साथ अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की. यह कार्यक्रम भाकपा माले के जन संगठन बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की ओर से किया गया. मार्च निकालने से पहले दिवंगत रसोईया को याद कर पुष्प अर्पित कर झंडोत्तोलन किया.

यह भी पढ़ेंः Patna News: आशा ने मसौढ़ी अमुमंडल अस्पताल का ओपीडी कराया बंद, इलाज कराने आए मरीजों को परेशानी

आशा कर्मियों की हड़ताल को दिया समर्थनः रसोइया संघ की ओर से जिला सम्मेलन के लिए मार्च निकालते हुए द्वारिका विवाह भवन पहुंचे. जिला सम्मेलन की अध्यक्षता मोहम्द हैदर ने और मंच संचालन इंदू देवी की किया. बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ के प्रदेश अध्यक्ष सरोज चौबे ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सबसे पहले आशा कर्मियों की हड़ताल का समर्थन किया. कहा कि मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण योजना कर दिया गया है.

मोदी सरकार में भारी परेशानीः सरोज चौबे ने कहा कि योजना संचालित करने में परेशानी हो रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जब से सरकार आई है तब से कल्याणकारी योजनाओं में बजट की भारी कटौती जारी है. आजतक रसोइय के वेतन में बढ़ोतरी नहीं की गई. इस मंहगाई के जमाने में 1650 रुपए में किसी परिवार का गुजर बसर कैसे हो सकता है? ऊपर से केवल दस महीने का ही मानदेय दिया जाता है.

"जब से मोदी सरकार आई है तब से मध्यान्ह भोजन योजना में काम करने में परेशानी हो रही है. रसोईया को एक महीने का मात्र 1650 रुपए अनुदान दिया जा रहा है. ऊपर से रसोईया को केवल 10 महीने का मानदेय मिलता है. इसलिए सरकार से मांग है कि रसोईया को 21 हजार रुपए वेतन दिया जाए." -सरोज चौबे, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ

रसोईया को एक दिन में मिलता 47 रुपएः भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह ने कहा कि रसोईयो की स्थिति दयनीय है. नियमित मानदेय मिलता है और न साल भर का भुगतान किया जाता है. माले के युवा नेता बाबू साहब सिंह ने कहा कि मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करते नहीं थकती है. मणिपुर में जिस प्रकार महिला के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, उससे दुनिया में देश का सम्मान कम हो गया है. रसोईया बहन महज 47 रुपया में दिन भर काम करती है.

पटना में होगा सम्मेलनः 13 अगस्त को केंद्र सरकार जनविरोधी नीतियों के खिलाफ रसोईया का तीसरा राज्य सम्मेलन होगा. 9-10 सितंबर ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन का सम्मेलन पटना में होगा. रविवार को रसोईया को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो, एनजीओ को मध्यान भोजन योजना से बाहर करो, साल के बारह महीनों का वेतन का भुकतान करो, 21 हजार रुपए वेतन देने आदि की मांग की गई. इस दौरान रसोईया संघ के जिला सचिव मो हैदर, ऐक्टू के जिला संयोजक बासुदेव रॉय, रसोइया संघ के जिलाध्यक्ष इंदु देवी, आदि मौजूद रहे.

जमुईः बिहार के जमुई में रसोइया संघ ने प्रदर्शन (Rasoiya Sangh Protest In Jamui) किया. रविवार को शहर में मार्च निकालते हुए अपनी मांग को रखा. वेतन बढ़ोतरी के साथ-साथ अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की. यह कार्यक्रम भाकपा माले के जन संगठन बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की ओर से किया गया. मार्च निकालने से पहले दिवंगत रसोईया को याद कर पुष्प अर्पित कर झंडोत्तोलन किया.

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आशा कर्मियों की हड़ताल को दिया समर्थनः रसोइया संघ की ओर से जिला सम्मेलन के लिए मार्च निकालते हुए द्वारिका विवाह भवन पहुंचे. जिला सम्मेलन की अध्यक्षता मोहम्द हैदर ने और मंच संचालन इंदू देवी की किया. बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ के प्रदेश अध्यक्ष सरोज चौबे ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सबसे पहले आशा कर्मियों की हड़ताल का समर्थन किया. कहा कि मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण योजना कर दिया गया है.

मोदी सरकार में भारी परेशानीः सरोज चौबे ने कहा कि योजना संचालित करने में परेशानी हो रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जब से सरकार आई है तब से कल्याणकारी योजनाओं में बजट की भारी कटौती जारी है. आजतक रसोइय के वेतन में बढ़ोतरी नहीं की गई. इस मंहगाई के जमाने में 1650 रुपए में किसी परिवार का गुजर बसर कैसे हो सकता है? ऊपर से केवल दस महीने का ही मानदेय दिया जाता है.

"जब से मोदी सरकार आई है तब से मध्यान्ह भोजन योजना में काम करने में परेशानी हो रही है. रसोईया को एक महीने का मात्र 1650 रुपए अनुदान दिया जा रहा है. ऊपर से रसोईया को केवल 10 महीने का मानदेय मिलता है. इसलिए सरकार से मांग है कि रसोईया को 21 हजार रुपए वेतन दिया जाए." -सरोज चौबे, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ

रसोईया को एक दिन में मिलता 47 रुपएः भाकपा माले के जिला सचिव शम्भू शरण सिंह ने कहा कि रसोईयो की स्थिति दयनीय है. नियमित मानदेय मिलता है और न साल भर का भुगतान किया जाता है. माले के युवा नेता बाबू साहब सिंह ने कहा कि मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करते नहीं थकती है. मणिपुर में जिस प्रकार महिला के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, उससे दुनिया में देश का सम्मान कम हो गया है. रसोईया बहन महज 47 रुपया में दिन भर काम करती है.

पटना में होगा सम्मेलनः 13 अगस्त को केंद्र सरकार जनविरोधी नीतियों के खिलाफ रसोईया का तीसरा राज्य सम्मेलन होगा. 9-10 सितंबर ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन का सम्मेलन पटना में होगा. रविवार को रसोईया को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो, एनजीओ को मध्यान भोजन योजना से बाहर करो, साल के बारह महीनों का वेतन का भुकतान करो, 21 हजार रुपए वेतन देने आदि की मांग की गई. इस दौरान रसोईया संघ के जिला सचिव मो हैदर, ऐक्टू के जिला संयोजक बासुदेव रॉय, रसोइया संघ के जिलाध्यक्ष इंदु देवी, आदि मौजूद रहे.

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